फ़ैशन घूम फिर कर वही

अब आख़िर फ़ैशन मे क्या नया क्या पुराना । घूम फिर कर वही फ़ैशन बार बार आता है । वो चाहे लड़कों का हो या लड़कियों का । आजकल अगर पुराने गाने या फ़िल्मे देखे तो लगता है कि अरे आजकल तो इसी तरह का पहनावा फ़ैशन मे है ।

ये माना जाता है कि फ़िल्म स्टार जो पहनते है वही फ़ैशन बन जाता है। पर हमारा मानना है कि हम जिस कपड़े को पहनकर ख़ुश होते है और अपने आप को जो अच्छा लगता है वो फ़ैशन है । वैसे फ़ैशन का स्टाइल घूम फिर कर नया पुराना होता रहता है। जो पहले की फ़िल्मों मे फ़ैशन दिखता था आजकल वही फ़ैशन वापिस दिख रहा है ।

जहां लड़कियों मे शरारा ,गरारा,लहंगा ,प्लाजो़,( जिसे पहले पैरलल कहा जाता था ) बैलबॉटम ,चूड़ीदार ,सलवार,पटियाला सलवार,लैगिंग ( जो सलैकस से मिलता जुलता है ) ,लॉंग टॉप,शॉर्ट टॉप ,अनारकली सूट,जीन्स कभी टाइट तो कभी ढीली ,कभी पतली मोहरी तो कभी चौड़ी मोहरी ,फ़्रॉक आदि पहले भी पहने जाते थे और आजकल फिर से इन्हीं का चलन हो गया है।

तो वही लड़कों मे भी वही पुराना फ़ैशन थोड़ा नये रूप मे दिखाई देता रहता है। पैन्ट और जीन्स मे मोहरी कभी चौड़ी तो कभी पतली, कुर्ता ,पाजामा ,पठान सूट,बैलबॉटम ,सफ़ारी सूट ,टी शर्ट पर कोट पहनने का चलन भी काफ़ी पुराना ही है ।( राज कपूर के ज़माने से ) पर आजकल बहुत लोग इस स्टाइल को कॉपी करते है ।

अगर सरल भाषा मे कहे तो पहले की ब्लैक और व्हाइट समय की हीरोइन लम्बे कुर्ते और ढीला पाजामा पहनती थी ,बाद मे इस पाजामे को पैरलल के नाम से पहना गया और आजकल इसे प्लाज़ो कह कर पहना जा रहा है।

फिर बीच मे एक समय मे बिलकुल टाइट वाले कुर्ते और चूड़ीदार पैजामे का चलन हो गया था और ये फ़ैशन स्टाइल भी साठ और सत्तर के दशक की फ़िल्मों मे खूब दिखता था । ( आशा पारिख और साधना ,सायरा बानो )अब अगला इसी का फ़ैशन आने वाला है । 😋

सत्तर के दशक मे बैलबॉटम का बहुत प्रचलन था और आजकल एक बार फिर से बैलबॉटम का प्रचलन हो गया है ।

हाँ साड़ी एक ऐसा पहनावा है जो हर समय हर दशक मे पहनी गई है । वैसे आजकल तो साड़ी मे भी बहुत तरह के स्टाइल होने लगे है । हर फ़ैशन आता जाता है पर साड़ी का फ़ैशन सदाबहार है।

फ़ैशन वही है बस नाम बदल जाता है। 😊

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