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Showing posts from July, 2019

नैनीताल यात्रा एक अनुभव ( आख़िरी पार्ट )

दो दिन भुवाली और भीमताल घूमने के बाद तीसरे दिन नैनीताल जाने का प्रोग्राम बना । उसका एक कारण यह भी था कि ये कहा जा रहा था कि सोमवार को नैनीताल जाना सम्भव होगा क्योंकि शनिवार और रविवार का जो पर्यटकों का हुजूम था वो कुछ कम हो जायेगा । अगले दिन सुबह सुबह फटाफट नाश्ता करके हम लोग साढ़े ग्यारह बजे तक नैनीताल के लिये निकले । रास्ते में कुछ ज़्यादा भीड़ भाड नहीं मिली और दो दिन पहले जहाँ से पुलिस वाले बैरियर लगाकर सबको वापिस भेज रहे थे वहाँ पुलिस वाले भी थोड़ा रिलैकस करते हुये दिखे । और मन ही मन हम ख़ुश हो रहे थे कि चलो आज तो आराम से नैनीताल पहुँच ही जायेंगे । पर जैसे ही नैनीताल दिखना शुरू हुआ और नैनीताल एक कि. मी. लिखा दिखा कि बस कार रूक गई । मतलब ट्रैफ़िक जाम की एक लम्बी सी लाइन उस घुमावदार पहाड़ी पर देखी जा सकती थी । और हम लोगों को लगा कि अब तो नैनीताल पहुँचना कहीं मुश्किल ना हो जाये । ट्रैफ़िक में खड़े खड़े जब आधा घंटा होने लगा तो कुछ लडकों ने टैक्सियों से अपना सामान लेकर पैदल चलना ही उचित समझा । और उनकी देखा देखी कुछ और लोग भी मय सामान के पैदल ही चल पड़े । और इंच इंच करके कार आगे ब

नैनीताल यात्रा ( पार्ट ३ ) गोलू देवता का मन्दिर और चाय बाग़ान

इधर थोड़ा व्यस्त रहने की वजह से नैनीताल यात्रा का विवरण छूट गया था । पर चलिये आज आगे चलते है । 😊 भीमताल जाने और ट्रैफ़िक का बुरा हाल देखकर ये सोचा गया कि अगले दिन भुवाली के आस पास की जगह देखी जाये । और ऐसे में गूगल बाबा से ज़्यादा मददगार भला कौन हो सकता है । गूगल बाबा से पता चला कि जहाँ हम लोग रह रहे थे ( पाइन ओक ) वहाँ से चाय बाग़ान और गोलू देवता का मन्दिर बस दो-तीन कि.मी. की दूरी पर ही है । तो अगले दिन हम लोग पहले चाय बाग़ान देखने गये । जहां टिकट बीस रूपये का था । टिकट लेकर जब चाय बाग़ान में गये तो थोड़ा निराश हुये क्यों कि गूगल पर फ़ोटो में चाय बाग़ान काफ़ी बड़ा लग रहा था और हमें भी लगा था कि चाय बाग़ान बड़ा सा होगा पर वहाँ एक छोटे से एरिया को बस पर्यटकों के लिये खोला हुआ था बाक़ी सारा बंद था ।और चूँकि उस दिन रविवार था तो बाग़ान में पत्तियाँ तोड़ती हुई बाग़ान की महिलायें नहीं दिखी । 😏 और इसलिये वहाँ बमुश्किल पन्द्रह मिनट हम लोग रहे । क्योंकि वहाँ घूमने के लिये ज़्यादा कुछ था ही नहीं । हाँ हर कोई उसी जरा से एरिया में अलग अलग पोज देकर फ़ोटो खींच और खिंचा रहे थे । हमने भी

नैनीताल यात्रा एक अनुभव ( पार्ट २ भीमताल )

उम्मीद है कि आपकी थकान उतर गई होगी ।😊 इतने बुरे ट्रैफ़िक जाम के बाद तो उस शाम कहीं निकलने की इच्छा ही नहीं हुई । रात में पांडे जी के होटल से स्वादिष्ट शाकाहारी खाना मँगवाया गया और अगले दिन भीमताल घूमने का प्रोग्राम बनाया गया । सुबह तकरीबन बारह बजे के आस पास हम लोग भीमताल के लिये निकले पर चूँकि गूगल बाबा हम लोगों को भीमताल की बजाय नैनीताल वाले रास्ते पर लेकर चल पड़ें । वो इसलिये क्यों कि हमने तल्लीताल भीमताल लिख दिया था । 😳 जैसे ही नैनीताल के रास्ते पर चले कि थोड़ी दूर बाद भुवाली सैनिटोरियम पड़ा जो बहुत ही जर्जर हालत में लग रहा था । वैसे बता दें कि एक ज़माने में भुवाली इस सैनिटोरियम की वजह से ही जाना जाता था पर शायद अब नहीं । खैर सैनिटोरियम से बस एक या दो कि. मी. ही गये होगें कि एक बार फिर कारों की लम्बी क़तार नज़र आई और चूँकि वहाँ से कार को वापिस मोड़ना मुश्किल था लिहाज़ा हम लोग भी उसी लाइन में लग गये । रेंगते हुये जब नैनीताल जाने वाले रास्ते पर पहुँचे तो वहाँ बहुत सारे पुलिस वाले खड़े थे और नैनीताल का रास्ता बैरियर लगाकर बंद किया हुआ था । गाड़ियाँ या तो काठगोदाम जा सकती थ