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Showing posts from September, 2018

अंदाज़ा नहीं था कि फ़ूड प्वाइजनिंग

जानलेवा भी हो सकती है । यूँ तो टी.वी. में और अखबार में जब तब फ़ूड प्वाइजनिंग की ख़बरें पढ़ते और देखते ज़रूर थे पर कभी सोचा ना था कि हम भी इसके शिकार हो सकते है । पर हमारे सोचने से क्या होता है जब इसकी चपेट में आये तब समझ आया कि ये कितनी ख़तरनाक और जानलेवा भी हो सकती है । दो हफ़्ते पहले हम किसी पार्टी में गये थे और पार्टी में खा पीकर घर आ गये । चूँकि वहाँ लंच देर से हुआ था तो रात में घर पर खिचड़ी बनाई क्योंकि हम लोगों का पेट भरा भरा लग रहा था । खैर खिचड़ी खाकर सोये तो रात में हमें कुछ खाँसी सी आने लगी तो हमने सोचा कि खाँसी ज़ुकाम हो रहा है । पर जब सुबह उठे तो बहुत ही अजीब सा लग रहा था और फिर थोड़ी देर में उलटी हुई जिसके बाद हमें आराम मिला और हम नॉरमल महसूस करने लगे । और हमने नाश्ता भी किया । पर अभी ज़रा देर ही हुई कि हमारा पेट भी ख़राब होने लगा । तो हमे लगा कि कुछ नुक़सान तो किया है जिसकी वजह से ये सब हो रहा है । पर समझ नहीं पा रहे थे । खैर दिन में तीन चार बार ऐसे ही चला हम इलेक्ट्राल पानी में मिलाकर पीते रहे और बार बार वॉशरूम भी जाते रहे । साथ ही दवा भी खाई पर कुछ असर नहीं हो

काश ये शुरू ना किया होता तो

कभी कभी क्या हमेशा लगता है कि काश बालों को कलर करना शुरू ना किया होता तो कितना आराम रहता । उफ़ कितना झंझट । वैसे बालों को रंगने का सिलसिला बहुत पुराना है । हमारी मम्मी भी बालों को रंगती थी पर बाद में उन्होंने बालों को रंगना छोड़ दिया था कुछ तो उस समय के हेयर कलर भी उतने अच्छे नहीं होते थे और बाद में उन्हें हेयर कलर से और लगाने के झंझट से परेशानी होने लगी थी तो उन्होंने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया था । शुरू में तो हम लोगों को और उन्हें भी थोड़ा अजीब लगा था पर बाद में उन पर सफ़ेद बालों का कुछ अलग ही तरह का ग्रेस था । 🙏 वैसे कुछ साल पहले हमें भी बाल कलर करने का शौक़ चढ़ा था क्योंकि हम लोगों को देखते थे कि कोई ब्राउन तो कोई गोल्डन कलर और कोई कोई तो बैंगनी कलर बालों में लगाये है तो बहुत बार हमारा भी मन होता पर कभी लगाया नहीं । फिर एक बार हमने भी इसे आज़माने की कोशिश की और पर्लर वाले के भरोसा दिलाने पर कि आजकल तो इतने बडे और अच्छे अच्छे ब्रांड है जो आपके बालों को कोई नुक़सान नहीं करेंगे । अब शौक और फैशन के चलते हमने अपने बालों पर ज़्यादा एक्सपैरिमिंट ना करते हुये लॉरियल का ब्राउन कलर कर

ऑरगैनिक फल और सब्ज़ियाँ

जैसा कि हम सब जानते है कि आजकल ऑरगैनिक फल ,सब्ज़ियों और अन्य खाने की चीज़ों का ऑरगैनिक होना स्वस्थ रहने का मंत्र है । और आजकल तो ये ऑरगैनिक शब्द बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो गया है । जिस प्रोडक्ट पर ऑरगैनिक लिखा है वो माना जाता है कि सेहत के लिये बिलकुल उपयुक्त है और इसीलिये वह प्रोडक्ट महँगा भी होता है । अब तो अगर हम ऑरगैनिक खाद्य सामग्री नहीं खा रहे है तो इसका मतलब कि हम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं है । वैसे भी सेहत के लिये क्या महँगा और क्या सस्ता । जहाँ तक हमें याद है पहले तो सभी फल और सब्ज़ियाँ वग़ैरा आजकल की भाषा में ऑरगैनिक ही होती थी । हर जगह गोबर की खाद या सूखे पत्तों वग़ैरा को गड्ढे में दबा और गला कर कम्पोस्ट खाद बनाई जाती थी और उसे ही खेतों में इस्तेमाल किया जाता था । कीड़े मकोड़ों से फ़सल को बचाने के लिये भी किसान वही दवायें या पेस्टीसाइड डालते थे जो बाद में इस्तेमाल किये जाने पर जनता जनार्दन को नुक़सान ना करे । पर धीरे धीरे शायद ज़्यादा और अच्छी फ़सल के लिये कैमिकल्स से बनी खाद का ज़्यादा इस्तेमाल होना शुरू हो गया । और धीरे धीरे कैमिकल्स से बनी खाद हर कोई इस्तेमाल करने