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Showing posts from March, 2020

ग्रुप चैटिंग या फोन पर बात करते रहिये ( नवाँ दिन )

कोरोना वायरस के चलते जब से घर पर रह रहे है तब से सबसे ज़्यादा दिक़्क़त बाहर ना आ -जा पाने की है । अब सब्ज़ी फल के लिये तो निकलना दूर की बात है आजकल तो टहलने के लिये भी बाहर निकलना नहीं हो रहा है । और अगर कोई टहलने के लिये निकल जाये तो लोग फोन या मैसेज करके चेतावनी देते है कि घर में ही रहिये वरना कोरोना होने का ख़तरा है । और जब बाहर नहीं जा पाते है तो कभी कभी मन उचटने सा लगता है । अब मन को समझाना और बहलाना भी तो बहुत ज़रूरी है । क्योंकि मन तो आख़िर मन है । और ऐसे समय में वीडियो कॉल ,स्काइप ,फ़ेसटाइम या फोन कॉल वग़ैरा समय बिताने और लोगों से जुड़ने के लिये सबसे बेहतर माध्यम हो रहें है । और हों भी क्यूँ ना घर बैठे बैठे सबके चेहरे दिख जाते है और बात भी हो जाती है । क्यूँ क्या आपको ऐसा नहीं लगता है । अब यूँ तो हम पहले भी फोन करते रहते थे और कभी कभार वीडियो कॉल भी कर लेते थे । पर आज के कवैरंटाईन के समय में तो हम फोन तो कर ही रहें है साथ ही हम रोज़ ही एक - दो वीडियो कॉल भी कर रहें है । इससे अपना भी मन लगा रहता है और शायद दूसरे का भी कुछ मन बदल जाता होगा । 😊 और इससे सबसे

फ़िट रहना भी ज़रूरी है ( सातवाँ दिन )

आज के हालात ऐसे है कि हम सबका फ़िट रहना बहुत ज़रूरी है । अब आप कहेगें कि जब हम लोग घर का सारा काम ख़ुद ही कर रहे हैं तो भला एक्सरसाइज़ की क्या ज़रूरत है । जी हाँ बिलकुल ज़रूरत है क्योंकि आम तौर पर हम लोग या तो बाहर वॉक के लिये जाते थे या जिम वग़ैरा भी जाते थे। पर इस कवैरंटाईन के चलते सभी कुछ ठप्प सा हो गया है । ये ज़रूर है कि आजकल घर का काम करते हुये हमें लगता है कि कुछ और एक्सरसाइज़ की ज़रूरत ही नहीं है । पर नहीं । ऐसा नहीं है । अगर फ़िट नहीं रहेंगे तो सारा काम कैसे करेंगे । एक्सरसाइज़ तो अपने आप को स्ट्रोंग और सेहतमंद बनाने के लिये करनी चाहिये ।जिसकी आज के समय में हम सबको अभी बहुत ज़रूरत है । वो कहते है ना फ़िट रहो काम करो । हमें आम तौर पर घर में एक्सरसाइज़ करना बिलकुल भी पसंद नहीं है । वैसे हम बहुत ज़्यादा करते भी नहीं है क्यों कि वो क्या है ना हम थोड़े आलसी टाइप के हैं। 😛 हाँ वॉक ज़रूर कर लेते है ( और इसका श्रेय हमारे पतिदेव को जाता है ) अब तो वॉक में मजा आने लगा है वरना पहले तो हमें वॉक में भी बड़ी बोरियत लगती थी । अब पहले थोड़ा पतले भी तो थे ना । 😀 खैर आजक

अति शांत किचन ( छठां दिन )

क्यूँ आपको नहीं लग रहा है कि किचन में बहुत शांति है । जब से कवैरंटाईन शुरू हुआ है तब से ना तो खाना बनाने वाली और ना ही झाड़ू वाली घर पर काम करने आ रही है । हमने तो इक्कीस मार्च से ही अपनी पार्वती को छुट्टी दे दी थी ये कहकर कि अगर सब ठीक रहा तो पहली अप्रैल से आना । खैर अब तो इक्कीस दिन के कवैरंटाईन के चलते तो पन्द्रह अप्रैल या उससे आगे भी घर पर ही रहना हो सकता है । पिछले कई सालों से जब से हमने खाना बनाने वाली रखना शुरू किया तब से हमने खाना बनाना बहुत कम कर दिया था । हाँ बस कुछ स्पेशल अवसर हो या कोई स्पेशल डिश बनानी हो या कुछ स्पेशल नाश्ता बनाना हो तो ही हम किचन का रूख करते थे । पर अब तो रोज़ ही हम किचन का रूख करते है । 😋 अब ऐसे तो पार्वती के आते ही चाय का दौर शुरू होता । वैसे ये अभी भी बरक़रार है बस फ़र्क़ ये है कि अब हम आवाज़ नहीं लगाते है कि पार्वती चाय बना दो । जब भी चाय या कॉफ़ी पीनी होती है तो खुद ही किचन में जाकर बना लेते है । नाश्ता क्या बनेगा या खाने में क्या क्या बनना है ।हर थोड़ी देर पर या तो पार्वती कुछ पूछने के लिये आवाज़ लगाती या फिर हम उसे कुछ बताने के लिये

चाय तो पिला ही सकते है ( तीसरा दिन )

जब से ये कवैरंटाईन शुरू हुआ है तब से हम सबने अपने आप को अपने घरों में ही बंद कर लिया है । और ज़्यादा से ज़्यादा यही कोशिश है कि घर से बिलकुल भी बाहर ना निकलें वरना करोना के संक्रमण की चपेट में आ सकते है । लिहाज़ा हम सब तो अपने घरों के कम्फ़र्ट ज़ोन में बंद हो गये है । पर हमारी जिंदगी आराम से चलती रहे । पानी की दिक़्क़त ना हो ,( क्योंकि पानी के लिये मोटर चलानी होती है ) लोगों को बाहर आने जाने के लिये हर समय मुस्तैदी से गेट खोलने को तैयार । और इसके लिये वो लोग चौबीस घंटे लगे हुये है । जी हाँ हम सोसाइटी और बिल्डिंग के सिक्योरिटी गार्डस की बात कर रहे है जो अपनी जान को ख़तरे में डालकर हम सबको कोई परेशानी ना हो ,इसलिये रोज़ समय पर आते है । और चूँकि कर्फ़्यू लागू है तो ज़ाहिर सी बात है कि सड़क पर सभी चाय की दुकानें भी बंद है जहाँ से वो लोग रोज़ चाय ख़रीदकर पीते थे । तो क्या हम लोग रात वाले गार्ड को सुबह और दिन वाले गार्डस को कम से कम दिन में दो बार चाय तो पिला ही सकते है । वैसे हमने तो पहले दिन से ही गार्डस को चाय पिलाना शुरू कर दिया है आप कब शुरू करेंगें ।

शौक़े गिटार ( पांचवां दिन )

वैसे हम जानते है कि कोरोना वायरस के चलते आज के जो हालात है उसमें अपना दिल और दिमाग़ दोनों ही बहुत शांत रखने की ज़रूरत है । और शायद यही कारण है कि सालों से अन्दर रखे गिटार की हमें याद आ गई । पता नहीं कब से हमारा गिटार अन्दर ही रखा हुआ था । बेचारा गिटार भी सोचता होगा कि क्या क़िस्मत पाई है कि केस से निकलना ही नहीं होता है । आख़िर कब हमारी क़िस्मत का तारा चमकेगा । और फिर सोचता होगा कि अपना टाइम आयेगा । 😀 पर वो कहते है ना कि हर एक का समय आता है और इस इक्कीस दिन के कवैरंटाईन में गिटार की क़िस्मत भी जाग गई लगती है । और सच में इसका टाइम आ गया । 😄 जब हमने गिटार केस निकाला तो बेचारे पर अथाह धूल लगी दिखी । सबसे पहले तो गिटार केस को साफ़ किया और उसके बाद हमने जब गिटार निकाला तो हमें लगा कि आख़िर हमने गिटार बजाना क्यूँ छोड़ दिया था । कभी समय की कमी तो कभी कोई और वजह से गिटार बजाना छूटता ही चला गया । और फिर घर में गिटार भी है ,ये भूल ही गये । और जब कभी यदा कदा गिटार की याद आती तो गिटार को निकाल उसके तारों को सैट करते और थोड़ा बहुत बजाकर रख देते । पर वो कहते हैं ना कि देर आये

अपना काम स्वयं करो ( चौथा दिन )

अब आजकल कोरोना के चलते हर कोई सेल्फ़ कवैरंटाईन में है । और इस कवैरंटाईन के चलते तो हम सभी पर ये बात सही बैठ रही है ।क्यूँ क्या कुछ ग़लत कह रहें है । हालाँकि पहले भी तो थोड़ा बहुत काम हम लोग करते थे पर फिर धीरे धीरे काम करने की आदत छूटती सी गई । पर आजकल तो बस काम ही काम । और काम किये बिना चारा भी तो नहीं है । अब इक्कीस दिन का समय कोई कम तो है नहीं । और फ़िलहाल आगे की भी कोई गारंटी नही है ।😳 क्योंकि ना तो इतने दिन तक घर को बिना साफ़ सफाई के रखा जा सकता है और ना ही खाना बनाये बग़ैर रहा जा सकता है । हाँ कभी कभी काम को शॉर्ट कट तरीक़े से भले किया जा सकता है । पर चूँकि गरमी का मौसम शुरू हो रहा है तो थोड़ी धूल धककड भी होनी शुरू हो रही है । और उससे उबरने का सबसे सही तरीक़ा है कि हर कोई अपना काम स्वयं करे । और अगर ज़्यादा काम हो तो मिल बॉंटकर भी करें । क्योंकि घर में यूँ भी पूरे दिन कुछ ना कुछ काम हो ही जाता है । वैसे आपका तो पता नहीं पर हमें आजकल अपने से काम करने में एक अलग तरह की अनुभूति सी हो रही है । फ़िलहाल तो अच्छी ही हो रही है ,आगे का पता नहीं। 😀 बक़ौल हमारी दीदी

घर का दरवाज़ा ही नहीं खुला ( दूसरा दिन )

अब चूँकि आजकल हर कोई घर में ही रह रहा है तो सुबह से शाम और शाम से रात हो जाती है पर दरवाज़ा खोलने या बंद करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती है । अब ना तो सुबह अखबार उठाने के लिये दरवाज़ा खोलने की ज़रूरत है और ना ही किसी और के लिये क्योंकि आजकल ना तो किसी को आना है और ना ही किसी को बाहर जाना है। कवैरैनटाइन के चलते सुबह का टहलना भी बंद हो गया है तो भला दरवाज़ा क्यों कर खुलेगा । ना तो किसी काम वालों को आना और ना टहलने जाना और ना ही पति या बेटे को ऑफ़िस जाना । ना तो बाज़ार जाना और ना ही अपनी ही सोसाइटी में किसी से मिलने जाना है और ना ही किसी को मिलने आना है जिसके लिये दरवाज़ा खोला जाये । आज के इस हालात पर ये गाना काफ़ी फ़िट बैठ रहा है हांलाकि ये रोमांटिक गाना है पर फिर भी सही है । 😁 बाहर से कोई अन्दर ना आ सके अन्दर से कोई बाहर ना जा सके सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो

आज कोई घंटी नहीं बजी ( पहला दिन )

हमें याद नहीं कि ऐसा कभी हुआ था या हुआ होगा कि पूरे दिन घर में कोई घंटी ना बजी हो। फिर वो चाहे door bell हो या इंटरकॉम की घंटी । सुबह सबेरे से घर में घंटी बजने शुरू हो जाती थी जो रात के आठ या नौ बजे तक हर थोड़ी देर पर बजती रहती थी। कभी हमारी हेल्पर पार्वती तो कभी कचरे के लिए तो कभी कार साफ करने वाला घंटी बजा देता था। तो कभी धोबन और कभी माली घंटी बजा देता था। और तो और ये लोग एक बार नहीं दो दो बार घंटी बजाते थे। 😊 और जब ये लोग नहीं तो कभी बिग बास्केट वाला तो कभी amazon वाला घंटी बजा देता। और दिन में अक्सर गार्ड इंटरकॉम की घंटी बजाता ये बताने के लिए कि कोई कोरियर आया है। पर आज ना कोई घंटी और ना ही कोई इंटरकॉम की घंटी बजी। पहले जहां कभी कभी घंटी बजने पर चिढ़ होती थी कि उफ्फ कितनी घंटी बजती है पूरे समय वहीं आज घंटी ना बजने पर सूना सूना सा लग रहा है । क्यूं क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा है।

corona का खतरा

पिछले दो महीने से corona के बारे में सुन सुन कर हम सब काफी हद तक जागरूक तो हो रहे है पर फिर भी बहुत अधिक सावधानी बरतने की हम सभी को जरूरत है।  corona  वायरस जो कि चीन से शुरू होकर तकरीबन सारी दुनिया में फ़ैल गया है और अब अपने हिंदुस्तान में भी फ़ैल रहा है। तो जाहिर सी बात है कि यहां पर भी हर तरह की सावधानी बरती जा रही है और बरती जाएगी। इसी सावधानी के तहत देश के ज्यादातर स्कूल,कॉलेज,सिनेमाघर,जिम  और बहुत सारे ऑफिस वगैरा बंद कर दिए गए है । और यात्रा पर भी पाबंदी है।  अब हर मॉल जो खुले है वहां हर एक की स्क्रीनिंग की जा रही है। हर दुकान और रेस्टोरेंट में हैंड सैनिटाइजर रक्खे हैं। और अब तो हर कोई इतना जागरूक हो गया है कि अपने साथ भी हैंड सैनिटाइजर लेकर चलता है।क्यूंकि बचाव में ही सुरक्षा है।  आजकल तो क्या  फोन और क्या टी वी हर जगह corona के बारे में विज्ञापन आता है कि कैसे हाथ साफ करते रहना चाहिए ।और अगर किसी को खांसी जुखाम है तो उससे दूरी बनाकर रखनी चाहिए ,वगैरा वगैरा। और वॉट्सएप तो corona  के जोक्स से भरा हुआ है। वैसे कमाल है वॉट्सएप वालों का कि हर रोज इतने नए नए जोक्स बनाते है।  स्कूल बं