आज कोई घंटी नहीं बजी ( पहला दिन )

हमें याद नहीं कि ऐसा कभी हुआ था या हुआ होगा कि पूरे दिन घर में कोई घंटी ना बजी हो। फिर वो चाहे door bell हो या इंटरकॉम की घंटी ।

सुबह सबेरे से घर में घंटी बजने शुरू हो जाती थी जो रात के आठ या नौ बजे तक हर थोड़ी देर पर बजती रहती थी।

कभी हमारी हेल्पर पार्वती तो कभी कचरे के लिए तो कभी कार साफ करने वाला घंटी बजा देता था। तो कभी धोबन और कभी माली घंटी बजा देता था। और तो और ये लोग एक बार नहीं दो दो बार घंटी बजाते थे। 😊

और जब ये लोग नहीं तो कभी बिग बास्केट वाला तो कभी amazon वाला घंटी बजा देता।

और दिन में अक्सर गार्ड इंटरकॉम की घंटी बजाता ये बताने के लिए कि कोई कोरियर आया है।

पर आज ना कोई घंटी और ना ही कोई इंटरकॉम की घंटी बजी।

पहले जहां कभी कभी घंटी बजने पर चिढ़ होती थी कि उफ्फ कितनी घंटी बजती है पूरे समय वहीं आज घंटी ना बजने पर सूना सूना सा लग रहा है ।

क्यूं क्या आपको ऐसा नहीं लग रहा है।

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