शौक़े गिटार ( पांचवां दिन )


वैसे हम जानते है कि कोरोना वायरस के चलते आज के जो हालात है उसमें अपना दिल और दिमाग़ दोनों ही बहुत शांत रखने की ज़रूरत है । और शायद यही कारण है कि सालों से अन्दर रखे गिटार की हमें याद आ गई ।


पता नहीं कब से हमारा गिटार अन्दर ही रखा हुआ था । बेचारा गिटार भी सोचता होगा कि क्या क़िस्मत पाई है कि केस से निकलना ही नहीं होता है । आख़िर कब हमारी क़िस्मत का तारा चमकेगा । और फिर सोचता होगा कि अपना टाइम आयेगा । 😀


पर वो कहते है ना कि हर एक का समय आता है और इस इक्कीस दिन के कवैरंटाईन में गिटार की क़िस्मत भी जाग गई लगती है । और सच में इसका टाइम आ गया । 😄



जब हमने गिटार केस निकाला तो बेचारे पर अथाह धूल लगी दिखी । सबसे पहले तो गिटार केस को साफ़ किया और उसके बाद हमने जब गिटार निकाला तो हमें लगा कि आख़िर हमने गिटार बजाना क्यूँ छोड़ दिया था ।



कभी समय की कमी तो कभी कोई और वजह से गिटार बजाना छूटता ही चला गया । और फिर घर में गिटार भी है ,ये भूल ही गये । और जब कभी यदा कदा गिटार की याद आती तो गिटार को निकाल उसके तारों को सैट करते और थोड़ा बहुत बजाकर रख देते ।


पर वो कहते हैं ना कि देर आये दुरुस्त आये ।


अब इस बार पक्का इरादा करके दोबारा गिटार बजाना शुरू करने जा रहे हैं । 🎸


Comments

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन