नैनीताल यात्रा एक अनुभव ( पार्ट २ भीमताल )

उम्मीद है कि आपकी थकान उतर गई होगी ।😊

इतने बुरे ट्रैफ़िक जाम के बाद तो उस शाम कहीं निकलने की इच्छा ही नहीं हुई । रात में पांडे जी के होटल से स्वादिष्ट शाकाहारी खाना मँगवाया गया और अगले दिन भीमताल घूमने का प्रोग्राम बनाया गया ।


सुबह तकरीबन बारह बजे के आस पास हम लोग भीमताल के लिये निकले पर चूँकि गूगल बाबा हम लोगों को भीमताल की बजाय नैनीताल वाले रास्ते पर लेकर चल पड़ें । वो इसलिये क्यों कि हमने तल्लीताल भीमताल लिख दिया था । 😳


जैसे ही नैनीताल के रास्ते पर चले कि थोड़ी दूर बाद भुवाली सैनिटोरियम पड़ा जो बहुत ही जर्जर हालत में लग रहा था । वैसे बता दें कि एक ज़माने में भुवाली इस सैनिटोरियम की वजह से ही जाना जाता था पर शायद अब नहीं ।


खैर सैनिटोरियम से बस एक या दो कि. मी. ही गये होगें कि एक बार फिर कारों की लम्बी क़तार नज़र आई और चूँकि वहाँ से कार को वापिस मोड़ना मुश्किल था लिहाज़ा हम लोग भी उसी लाइन में लग गये । रेंगते हुये जब नैनीताल जाने वाले रास्ते पर पहुँचे तो वहाँ बहुत सारे पुलिस वाले खड़े थे और नैनीताल का रास्ता बैरियर लगाकर बंद किया हुआ था । गाड़ियाँ या तो काठगोदाम जा सकती थी या भुवाली ।


वहाँ से वापिस हम लोगों ने कार घुमवाई और भीमताल की ओर चल पड़ें । और थोड़े बहुत ट्रैफ़िक को पार करते हुये जब भीमताल के पास पहुँचने लगे तो जहाँ से बस दो मिनट में भीमताल पहुँच सकते थे वहाँ पुलिस ने बैरियर लगाकर बंद किया हुआ था और सभी कारों को घूमकर दूसरे लम्बे रास्ते से जाने को कह रहे थे ।


हम लोगों की कार भी दूसरे रास्ते से आगे बढ़ने लगी पर जरा दूर चलते ही एक बार फिर हम लोग ट्रैफ़िक जाम में फँस गये । और इस बार तो गाड़ियाँ अपनी जगह से हिल भी नहीं रही थी । कुछ समय बाद ट्रैफ़िक से परेशान होकर कुछ लोग अपनी गाड़ियाँ किसी तरह मोड़कर वापस जाने लगे ।


हम लोगों ने भी सोचा कि अगर अगले पन्द्रह मिनट में रास्ता नहीं खुला तो हम लोग भी वापिस हो लेंगें । पर शायद भगवान ने सुन लिया और रास्ता खुल गया और राम राम करते हुये हम लोग भीमताल पहुँचे पर वहाँ पहुंचकर लगा कि हर तरफ़ बस लोगों का रेला सा है । सड़क पर सिर्फ़ लोग ही लोग ।

जहाँ भीमताल झील ख़त्म होती है वहाँ तक लोग ही लोग और कारें ही कारें । ना पार्किंग की जगह ना ही कार से उतरने की जगह । किसी तरह हम लोग कार से उतरे और भीमताल झील की ओर चलना शुरू किया । झील का पानी काफ़ी साफ़ नज़र आ रहा था ।जिसे देखकर बहुत अच्छा लगा और बहुत सारे लोग बोटिंग करते भी दिख रहे थे । खैर चंद क़दम चलने के बाद ही हम लोगों को एक जगह जरा ख़ाली सी दिखी क्यों कि वहाँ से पर्यटक फ़ोटो खींचकर हटे ही थे ।


हम लोगों ने भी वहाँ फटाफट कुछ फ़ोटो खींचीं और कार की ओर बढ गये क्यों कि इस समय तक हम सबको ज़बरदस्त भूख लगने लगी थी और वहाँ कुछ अच्छा रेस्टोरेंट नज़र नहीं आया और हम लोग भी रेस्टोरेंट ढूँढने के कुछ ज़्यादा इच्छुक नहीं थे । हालाँकि वहाँ चाट और भेलपूरी वग़ैरह खूब बिक रही थी । जिसे खाने का हम लोगों का मन नहीं था ।


हम लोग वहाँ से जल्दी से जल्दी निकलना चाहते थे क्यों कि ये डर भी था कि कहीं फिर से ट्रैफ़िक ना मिल जाये क्यों कि आम तौर पर भुवाली से भीमताल मुश्किल से पन्द्रह मिनट या आधे घंटे में पहुँचा जा सकता है वहीं हमें तीन घंटे से ज़्यादा लग गये थे । 😒


वहाँ से वापिस भुवाली आते हुये एक रेड स्टार नाम के रेस्टोरेंट में हम लोगों ने चाइनीज़ खाना खाया और वापिस घर लौट आये ।और चैन की साँस ली । 😛




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