अड़तालीस घंटे मे दो फ़िल्म
क्यों आश्चर्य हो रहा है ,हमे भी हुआ । 😊
क्योंकि काफ़ी अरसे बाद हमने इस तरह फ़िल्म देखी । अब हम ये तो बता ही चुके है कि हम फ़िल्मों के कितने शौक़ीन है और पहले तो कई बार हमने फ़िल्म फ़र्स्ट डे फ़र्स्ट शो और कभी कभी एक दिन मे दो फ़िल्म भी देखी है। सुबह बारह से तीन और उसी दिन रात का नौ से बारह का शो भी देखा है । ये तब की बात है जब पी.वी.आर का चलन नही था और हर सिनेमा हॉल मे सिर्फ़ चार शो हुआ करते थे । ख़ैर अब इस बात को एक अरसा हो गया है । 😊
पिछले हफ़्ते हमने बुधवार को अपनी दोस्त के साथ १०२ नॉट आउट देखी और शुक्रवार को पतिदेव के साथ राज़ी देखी ,जो उसी दिन रिलीज़ हुई थी ।दोनों ही फ़िल्म बिलकुल अलग पर दोनों ही फ़िल्मे बहुत अच्छी । जहाँ १०२ हँसी मज़ाक़ के साथ सबको एक बहुत ही सटीक संदेश देती है वहीं राज़ी ये बताती है कि देश के लिये सब कुछ क़ुर्बान ।
१०२ नॉट आउट बाप बेटे के सम्बन्ध पर आधारित है कि किस तरह एक पिता अपने दुखी, निर्विकार ,बेमक़सद , जिंदगी से उदासीन बेटे को वापिस ज़िन्दगी जीने की ओर लाने की कोशिश करता है । और बेटे को ये समझाने की कोशिश कि उम्र एक नम्बर है और अगर हँसी ख़ुशी जीवन जिया जाये तो जीवन जीना आसान हो जाता है । अपने बेटे को दोबारा ख़ुश और उसमे जीने की लालसा जगाने के लिये वो पिता कितने जतन करता है यहाँ तक कि कईबार बेटे के ग़ुस्सा करने पर भी हँसकर रह जाता है । पर हिम्मत नही हारता है जब तक कि बेटा बाबू ख़ुश रहना सीख नही जाता है । यहां तक कि वो अपने बेटे को वृद्ध आश्रम भेजने की तैयारी भी कर लेता है जो आजतक किसी फ़िल्म मे नही हुआ है। 😋
अब अमिताभ बच्चन तो अमिताभ बच्चन ही है जिनके आगे कोई टिक नही सकता है । पर ऋषि कपूर ने भी कमाल की एक्टिंग की है हाँ बस १०२ साल के बच्चन जी थोड़े ज़्यादा एक्टिव नज़र आये पर वो उनके चरित्र के हिसाब से ठीक था और ऋषि कपूर का कुछ कुछ खूसट बुढढे जैसा चरित्र भी काफ़ी मनोरंजक लगा । जिवित त्रिवेदी ने भी काफ़ी अच्छा काम किया है ।
ये मूवी जितनी हल्की फुल्की उस हिसाब से राज़ी थोड़ी संवेदनशील फ़िल्म है । यह फ़िल्म बाप बेटी और देश प्रेम पर आधारित फ़िल्म है ।इस फ़िल्म की कहानी और फ़िल्म का निर्देशन बहुत ही संतुलित और सराहनीय है। फ़िल्म मे कही भी बोरियत नही महसूस होती है। आलिया भट्ट तो हमे वैसे ही बहुत पसंद है पर इस फ़िल्म मे उसने एक्टिंग बहुत बेहतरीन की है। इतनी नाज़ुक और ख़ूबसूरत लगने के साथ साथ बड़ी सधी हुई एक्टिंग करी है । विक्की कौशल और बाक़ी सभी लोगों ने काफ़ी अच्छी एक्टिंग की है । कोई किसी से कम नहीं है ।
सबसे अच्छी बात जिसके लिये मेघना गुलज़ार की तारीफ़ करनी होगी कि उसने इस फ़िल्म मे बहुत ज़्यादा अत्याचार नही दिखाया जैसा कि आम तौर पर इस तरह की फ़िल्मों मे दिखाया जाता है । 👍
क्योंकि काफ़ी अरसे बाद हमने इस तरह फ़िल्म देखी । अब हम ये तो बता ही चुके है कि हम फ़िल्मों के कितने शौक़ीन है और पहले तो कई बार हमने फ़िल्म फ़र्स्ट डे फ़र्स्ट शो और कभी कभी एक दिन मे दो फ़िल्म भी देखी है। सुबह बारह से तीन और उसी दिन रात का नौ से बारह का शो भी देखा है । ये तब की बात है जब पी.वी.आर का चलन नही था और हर सिनेमा हॉल मे सिर्फ़ चार शो हुआ करते थे । ख़ैर अब इस बात को एक अरसा हो गया है । 😊
पिछले हफ़्ते हमने बुधवार को अपनी दोस्त के साथ १०२ नॉट आउट देखी और शुक्रवार को पतिदेव के साथ राज़ी देखी ,जो उसी दिन रिलीज़ हुई थी ।दोनों ही फ़िल्म बिलकुल अलग पर दोनों ही फ़िल्मे बहुत अच्छी । जहाँ १०२ हँसी मज़ाक़ के साथ सबको एक बहुत ही सटीक संदेश देती है वहीं राज़ी ये बताती है कि देश के लिये सब कुछ क़ुर्बान ।
१०२ नॉट आउट बाप बेटे के सम्बन्ध पर आधारित है कि किस तरह एक पिता अपने दुखी, निर्विकार ,बेमक़सद , जिंदगी से उदासीन बेटे को वापिस ज़िन्दगी जीने की ओर लाने की कोशिश करता है । और बेटे को ये समझाने की कोशिश कि उम्र एक नम्बर है और अगर हँसी ख़ुशी जीवन जिया जाये तो जीवन जीना आसान हो जाता है । अपने बेटे को दोबारा ख़ुश और उसमे जीने की लालसा जगाने के लिये वो पिता कितने जतन करता है यहाँ तक कि कईबार बेटे के ग़ुस्सा करने पर भी हँसकर रह जाता है । पर हिम्मत नही हारता है जब तक कि बेटा बाबू ख़ुश रहना सीख नही जाता है । यहां तक कि वो अपने बेटे को वृद्ध आश्रम भेजने की तैयारी भी कर लेता है जो आजतक किसी फ़िल्म मे नही हुआ है। 😋
अब अमिताभ बच्चन तो अमिताभ बच्चन ही है जिनके आगे कोई टिक नही सकता है । पर ऋषि कपूर ने भी कमाल की एक्टिंग की है हाँ बस १०२ साल के बच्चन जी थोड़े ज़्यादा एक्टिव नज़र आये पर वो उनके चरित्र के हिसाब से ठीक था और ऋषि कपूर का कुछ कुछ खूसट बुढढे जैसा चरित्र भी काफ़ी मनोरंजक लगा । जिवित त्रिवेदी ने भी काफ़ी अच्छा काम किया है ।
ये मूवी जितनी हल्की फुल्की उस हिसाब से राज़ी थोड़ी संवेदनशील फ़िल्म है । यह फ़िल्म बाप बेटी और देश प्रेम पर आधारित फ़िल्म है ।इस फ़िल्म की कहानी और फ़िल्म का निर्देशन बहुत ही संतुलित और सराहनीय है। फ़िल्म मे कही भी बोरियत नही महसूस होती है। आलिया भट्ट तो हमे वैसे ही बहुत पसंद है पर इस फ़िल्म मे उसने एक्टिंग बहुत बेहतरीन की है। इतनी नाज़ुक और ख़ूबसूरत लगने के साथ साथ बड़ी सधी हुई एक्टिंग करी है । विक्की कौशल और बाक़ी सभी लोगों ने काफ़ी अच्छी एक्टिंग की है । कोई किसी से कम नहीं है ।
सबसे अच्छी बात जिसके लिये मेघना गुलज़ार की तारीफ़ करनी होगी कि उसने इस फ़िल्म मे बहुत ज़्यादा अत्याचार नही दिखाया जैसा कि आम तौर पर इस तरह की फ़िल्मों मे दिखाया जाता है । 👍
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