शंघाई ओरियनटल पर्ल टावर
चलिये आज शनिवार है तो शंघाई घूम कर आते है ।
शंघाई चीन की राजधानी है ।और शंघाई मे बहुत ऊँचे ऊँचे टावर है और शंघाई का ओरियनटल पर्ल रेडियो और टी.वी. टावर चूंकि बहुत ऊँचा है तो चारों ओर से दिखाई देता है । इसकी ऊँचाई ४६८ मीटर है और यह हुआंगपु नदी के पास बना है ।पर्यटकों के लिये सुबह आठ बजे से रात साढ़े नौ बजे तक ये खुला रहता है ।ऑबजरवेशन डैक का टिकट १५० या १८० युआन के आस पास होता है। तो हम भी पहुँच गये इसे देखने । 😊
इस टावर मे होटल , रिवालविंग रेस्टोरेंट और ऑबजरवेशन डैक है । दिन मे तो ये कुछ सिलेटी ,लाल और कुछ कुछ भूरे से रंग का दिखाई देता पर जैसे जैसे शाम होने लगती है तब इसके विभिन्न बदलते रंगों की छटा देखने लायक होती है।
हंडुपु नदी मे बोटिंग करते हुये नदी के किनारे बनी तमाम ऊँची ऊँची इमारतों मे से ये टावर अलग ही दिखता है । क्योंकि हर मिनट इसकी लाइट का रंग बदल जाता है और उन बदलते हुये रंगों को हर कोई अपने कैमरे मे क़ैद करने लगता है। वैसे नदी के किनारे या आसपास बनी सभी इमारतों की लाइट और कुछ इमारतों पर पूरे समय अलग अलग विज्ञापन दिखाई देते रहते है।
चूँकि बोट एक तरह से पूरी नदी का चक्कर लगाती है तो हर कोई आराम से तेज़ चलती हवा और शंघाई की ख़ूबसूरती का आनन्द उठा सकता है । तक़रीबन चालीस मिनट की बोटिंग के बाद हम लोग इस टावर मे बनी शीशे की बनी ऑबजरवेशन डैक पर गये जोकि २५९ मीटर की ऊँचाई पर बनी है । पर यहाँ पहुँचना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि बहुत ही लम्बी लाइन मे लगने के २० - २५ मिनट बाद लिफ़्ट तक पहुँचते है और फिर लिफ़्ट से चंद सैकेंड मे ऊपर पहुँच जाते है ।
जैसे ही शीशे के बने फ़्लोर पर पैर रखते है तो एक सैकेंड को चक्कर सा आ जाता है क्योंकि जब शीशे के फ़्लोर से नीचे देखते है तो इतनी ऊँचाई से नीचे देखते हुये सिर घूम जाता है और दो चार मिनट लगते है अपने आप को संभालने मे और उस शीशे के बने फ़्लोर पर चलने के लिये ।
एक तो वहाँ पहुँच कर सब लोग इतने रोमांचित हो जाते है कि हर तरफ़ एक तरह का शोर सा लगता है । क्योंकि काफ़ी भीड़ होती है । कुछ लोग डर डर कर फ़्लोर पर बैठ बैठ कर चलते हुये नज़र आते है तो वहीं कुछ लोग अति उत्साही बनकर थोड़ा दौड़ते से नज़र आते है । हर कोई फ़ोटो खींचने मे लगा रहता है ।
वैसे शुरू मे तो हम भी नीचे देखकर और उस ग्लास फ़्लोर पर चलने मे डरे थे अरे शीशे का बना है कहीं टूट गया तो । 😋
और हम पतिदेव का हाथ थामकर थोड़ी दूर चले क्योंकि शुरू में ऐसा महसूस होता है कि मानो ज़मीन कुछ हिल सी रही हो । पर जब एक बार उस पर चल लिये तो सारा डर भाग गया और फिर तो चारों ओर चक्कर लगाया और खूब सारी फ़ोटो खींचकर वापिस लिफ़्ट से नीचे उतर आये और अपने होटल को चल दिये । 😀
आख़िर में दुनिया की सबसे ऊँची इमरतों के मॉडल दिखाई देते है । 😊
इस टावर मे होटल , रिवालविंग रेस्टोरेंट और ऑबजरवेशन डैक है । दिन मे तो ये कुछ सिलेटी ,लाल और कुछ कुछ भूरे से रंग का दिखाई देता पर जैसे जैसे शाम होने लगती है तब इसके विभिन्न बदलते रंगों की छटा देखने लायक होती है।
हंडुपु नदी मे बोटिंग करते हुये नदी के किनारे बनी तमाम ऊँची ऊँची इमारतों मे से ये टावर अलग ही दिखता है । क्योंकि हर मिनट इसकी लाइट का रंग बदल जाता है और उन बदलते हुये रंगों को हर कोई अपने कैमरे मे क़ैद करने लगता है। वैसे नदी के किनारे या आसपास बनी सभी इमारतों की लाइट और कुछ इमारतों पर पूरे समय अलग अलग विज्ञापन दिखाई देते रहते है।
चूँकि बोट एक तरह से पूरी नदी का चक्कर लगाती है तो हर कोई आराम से तेज़ चलती हवा और शंघाई की ख़ूबसूरती का आनन्द उठा सकता है । तक़रीबन चालीस मिनट की बोटिंग के बाद हम लोग इस टावर मे बनी शीशे की बनी ऑबजरवेशन डैक पर गये जोकि २५९ मीटर की ऊँचाई पर बनी है । पर यहाँ पहुँचना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि बहुत ही लम्बी लाइन मे लगने के २० - २५ मिनट बाद लिफ़्ट तक पहुँचते है और फिर लिफ़्ट से चंद सैकेंड मे ऊपर पहुँच जाते है ।
जैसे ही शीशे के बने फ़्लोर पर पैर रखते है तो एक सैकेंड को चक्कर सा आ जाता है क्योंकि जब शीशे के फ़्लोर से नीचे देखते है तो इतनी ऊँचाई से नीचे देखते हुये सिर घूम जाता है और दो चार मिनट लगते है अपने आप को संभालने मे और उस शीशे के बने फ़्लोर पर चलने के लिये ।
एक तो वहाँ पहुँच कर सब लोग इतने रोमांचित हो जाते है कि हर तरफ़ एक तरह का शोर सा लगता है । क्योंकि काफ़ी भीड़ होती है । कुछ लोग डर डर कर फ़्लोर पर बैठ बैठ कर चलते हुये नज़र आते है तो वहीं कुछ लोग अति उत्साही बनकर थोड़ा दौड़ते से नज़र आते है । हर कोई फ़ोटो खींचने मे लगा रहता है ।
वैसे शुरू मे तो हम भी नीचे देखकर और उस ग्लास फ़्लोर पर चलने मे डरे थे अरे शीशे का बना है कहीं टूट गया तो । 😋
और हम पतिदेव का हाथ थामकर थोड़ी दूर चले क्योंकि शुरू में ऐसा महसूस होता है कि मानो ज़मीन कुछ हिल सी रही हो । पर जब एक बार उस पर चल लिये तो सारा डर भाग गया और फिर तो चारों ओर चक्कर लगाया और खूब सारी फ़ोटो खींचकर वापिस लिफ़्ट से नीचे उतर आये और अपने होटल को चल दिये । 😀
आख़िर में दुनिया की सबसे ऊँची इमरतों के मॉडल दिखाई देते है । 😊









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