कुछ याद आया
जी हाँ वही -- वन फ़ॉर सौरो टू फ़ॉर जॉय थ्री फ़ॉर लैटर फ़ोर फ़ॉर बॉय । 😀
हमारे घर पर अकसर ये आते रहते है । अब यूँ तो दिल्ली मे कौआ चिड़िया दिखना काफ़ी कम हो गया है । पर ये हमारे घर के रेगुलर अतिथि है । वैसे आजकल मैना और कबूतरों की संख्या बहुत ज़्यादा बढ़ गई है। उनकी बात फिर कभी ।
कई बार तो सुबह सुबह आकर इतना ज़ोर ज़ोर से कांव कांव करके शोर मचाते है कि कुछ पूछिये मत । इतने मनमर्ज़ी वाले है कि कई बार उड़ाने और भगाने पर जाते ही नही है । इधर से उड़कर उधर बैठ जाते है । 😊
सारे साल ये आते रहते है पर जब श्राद्ध के दिन होते है तब उन पन्द्रह दिनों मे ये बहुत कम आते है । हो सकता है तब टाइम कम मिलता होगा इन्हें ।
हमारे घर पर अकसर ये आते रहते है । अब यूँ तो दिल्ली मे कौआ चिड़िया दिखना काफ़ी कम हो गया है । पर ये हमारे घर के रेगुलर अतिथि है । वैसे आजकल मैना और कबूतरों की संख्या बहुत ज़्यादा बढ़ गई है। उनकी बात फिर कभी ।
कई बार तो सुबह सुबह आकर इतना ज़ोर ज़ोर से कांव कांव करके शोर मचाते है कि कुछ पूछिये मत । इतने मनमर्ज़ी वाले है कि कई बार उड़ाने और भगाने पर जाते ही नही है । इधर से उड़कर उधर बैठ जाते है । 😊
सारे साल ये आते रहते है पर जब श्राद्ध के दिन होते है तब उन पन्द्रह दिनों मे ये बहुत कम आते है । हो सकता है तब टाइम कम मिलता होगा इन्हें ।
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