खट्टे मीठे से निक नेम्स
जैसे बहुत सारी बातें और चीज़ें लुप्त होती जा रही है वैसे ही आजकल निक नेम या घर मे प्यार से बुलाये जाने वाले नाम भी कुछ लुप्त से होते नज़र आ रहे है या यूँ कहें कि अब कम सुनने में आते है ।
पर पहले हर घर मे गुड्डी, गुडडू ,बबली, बबलू ,गुड़िया ,गुडडा ,बेबी ,डब्बू ,बबबू , पपपू ,गाबू, बाबू ,भइया , हनी ,गुडडन ,मुन्नी ,मुन्ना ,चीकू,पीकू, मुन्नू , मिकी, दीपू ,फततू , नीटू ,चिया,चुम्मू ,पिंकी ,पिंकू ,गुल्लू गुल्ला ,लडडू जैसे नाम किसी ना किसी के हुआ ही करते थे । 😁
ये तो हमें याद आये पर इनके अलावा और भी बहुत सारे निक नेम्स होते है । चलिये आज ऐसे ही कुछ नाम हम बताते है ।
चलिये हम अपने ही कुछ नामों से शुरूआत करते है । क्यूँ आश्चर्य हो रहा है अरे भई हमें घर मे कई नाम से पुकारा जाता था । चूँकि हम हमेशा से गोल मटोल है तो हमारे पापा हमें ढोलक कहते थे। मम्मी प्यार से मंटू कहती थी । हमारे बाबा हमें टुनटुन कहते थे । हमारी दीदी लोग मुन्नी और गुड़िया और हमारे भइया हमें बकटुनिया कहते । 😃
ये तो हुये हमारे नाम चलिये अब कुछ और नाम बताते है ।
पोप --हमारे दादा मतलब ताऊ जी का नाम था चूँकि वो बहुत गोरे थे तो शायद इसीलिये उनका ये नाम रखा गया होगा ।
बददल --हमारे पापा का नाम था । शायद दादा से बिलकुल अलग थे इसलिये ये नाम पड़ा होगा ।
छुनछुन --हमारे छोटे बाबा जिन्हें हम लोग चचचा कहते थे ।
मूनी -- बेटे का नाम है क्योंकि अस्सी के दशक मे एक इंगलिश सीरियल आता था और उसके मिं. मूनी हम लोगों को बहुत पसंद थे।
टूनी-- एक तो नम्बर दो उसपर हॉस्पिटल मे कमरा नम्बर दो और तो और बिल भी टू टू टू टू और मूनी से मिलता हुआ नाम बन गया टूनी ।
टुकटुकी -- ये नाम हमारी एक बंगाली दोस्त का नाम है । और उनकी बेटी का नाम चक्कू है ।
कुँवर --हमारे ममेरे भाई का नाम है और वो इसलिये कि उस समय ज़मींदारी होती थी और चूँकि वो सबसे बड़े बेटे थे तो उनका नाम कुँवर रखा गया ।
हमे तो अपने निक नेम्स बहुत पसंद है और पापा मम्मी द्वारा बुलाये जाने वाले अपने ये प्यारे नाम और उनका बुलाने का स्टाइल भला कैसे भूल सकते है ।
पर आजकल निक नेम्स रखने का चलन काफ़ी कम सा हो गया है । हो सकता है आज की पीढ़ी इसे ठीक नहीं समझती होगी क्योंकि हमेशा घर मे इन नामों से बुलाते रहने से आदत रहती है और बच्चों के बड़े होने पर भी उन्हें इन्हीं निक नेम्स से पुकारा जाता है ।
हम तो ये सोचते है कि निक नेम्स तो होने ही चाहिये ।
क्यूँ क्या ख़याल है आपका । 😊
पर पहले हर घर मे गुड्डी, गुडडू ,बबली, बबलू ,गुड़िया ,गुडडा ,बेबी ,डब्बू ,बबबू , पपपू ,गाबू, बाबू ,भइया , हनी ,गुडडन ,मुन्नी ,मुन्ना ,चीकू,पीकू, मुन्नू , मिकी, दीपू ,फततू , नीटू ,चिया,चुम्मू ,पिंकी ,पिंकू ,गुल्लू गुल्ला ,लडडू जैसे नाम किसी ना किसी के हुआ ही करते थे । 😁
ये तो हमें याद आये पर इनके अलावा और भी बहुत सारे निक नेम्स होते है । चलिये आज ऐसे ही कुछ नाम हम बताते है ।
चलिये हम अपने ही कुछ नामों से शुरूआत करते है । क्यूँ आश्चर्य हो रहा है अरे भई हमें घर मे कई नाम से पुकारा जाता था । चूँकि हम हमेशा से गोल मटोल है तो हमारे पापा हमें ढोलक कहते थे। मम्मी प्यार से मंटू कहती थी । हमारे बाबा हमें टुनटुन कहते थे । हमारी दीदी लोग मुन्नी और गुड़िया और हमारे भइया हमें बकटुनिया कहते । 😃
ये तो हुये हमारे नाम चलिये अब कुछ और नाम बताते है ।
पोप --हमारे दादा मतलब ताऊ जी का नाम था चूँकि वो बहुत गोरे थे तो शायद इसीलिये उनका ये नाम रखा गया होगा ।
बददल --हमारे पापा का नाम था । शायद दादा से बिलकुल अलग थे इसलिये ये नाम पड़ा होगा ।
छुनछुन --हमारे छोटे बाबा जिन्हें हम लोग चचचा कहते थे ।
मूनी -- बेटे का नाम है क्योंकि अस्सी के दशक मे एक इंगलिश सीरियल आता था और उसके मिं. मूनी हम लोगों को बहुत पसंद थे।
टूनी-- एक तो नम्बर दो उसपर हॉस्पिटल मे कमरा नम्बर दो और तो और बिल भी टू टू टू टू और मूनी से मिलता हुआ नाम बन गया टूनी ।
टुकटुकी -- ये नाम हमारी एक बंगाली दोस्त का नाम है । और उनकी बेटी का नाम चक्कू है ।
कुँवर --हमारे ममेरे भाई का नाम है और वो इसलिये कि उस समय ज़मींदारी होती थी और चूँकि वो सबसे बड़े बेटे थे तो उनका नाम कुँवर रखा गया ।
हमे तो अपने निक नेम्स बहुत पसंद है और पापा मम्मी द्वारा बुलाये जाने वाले अपने ये प्यारे नाम और उनका बुलाने का स्टाइल भला कैसे भूल सकते है ।
पर आजकल निक नेम्स रखने का चलन काफ़ी कम सा हो गया है । हो सकता है आज की पीढ़ी इसे ठीक नहीं समझती होगी क्योंकि हमेशा घर मे इन नामों से बुलाते रहने से आदत रहती है और बच्चों के बड़े होने पर भी उन्हें इन्हीं निक नेम्स से पुकारा जाता है ।
हम तो ये सोचते है कि निक नेम्स तो होने ही चाहिये ।
क्यूँ क्या ख़याल है आपका । 😊
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