माँ और मदर्स डे
आज समूचे विश्व मे मदर्स डे मनाया जा रहा है और मनाया भी क्यों ना जाये । क्योंकि मां से बढ़कर इस दुनिया मे कुछ नही है।माँ की महानता तो हमारे देवी देवता भी मानते थे वो चाहे भगवान राम हो या कृष्ण हो या चाहे गणेश जी हो। हमारी फ़िल्मों मे भी माँ का स्थान हमेशा ऊँचा दिखाया गया है। वो गाना तो सुना ही होगा ---
उसको नही देखा हमने कभी ,पर उसकी ज़रूरत क्या होगी
एै माँ तेरी सूरत से अलग ,भगवान की सूरत क्या होगी
माँ इस शब्द को लिखने और बोलने मे ही माँ का एहसास होता है । मां का प्यार और दुलार और डाँट कौन भूल सकता है । मां जो निश्छल और नि:स्वार्थ रूप से अपने बच्चों पर प्यार लुटाती रहती है । अपनी इच्छा और ख़्वाहिशों को पीछे रखकर सिर्फ़ अपने बच्चों की ख़ुशी चाहती है। ये माँ ही होती है जो अपने बच्चों को हर मुसीबत या परेशानी से बचाती है और बच्चों को मुसीबत से लड़ना भी सिखाती है । और हम बच्चों को इस लायक बनाती है कि हम इस दुनिया और समाज मे रह सके ।
भगवान ने मां का दिल इतना क्षमाशील बनाया है कि वो अपने बच्चों की बड़ी से बड़ी ग़लती को माफ़ कर देती है। यही नही बच्चे चाहे कही भी हो अगर वो परेशान होते है तो माँ को पता चल जाता है। मममी से हमारी रोज़ाना फोन पर बात होती थी पर अगर कभी हमारे हैलो कहने का अन्दाज़ ज़रा भी अलग हो जाता था तो वो फ़ौरन पूछती सब ठीक है ना ,कोई परेशानी तो नही है। और जब तक हम उन्हें सन्तोषजनक जवाब नही दे देते थे वो घूम फिर कर उसी बात को पूछती रहती थी । कहने का जरूरत नही है कि माँ तो बच्चों की आवाज़ भर से ही पहचान लेती है कि बच्चे ख़ुश है या दुखी । और आज हम भी मां है और इस बात को मानते भी है और स्वीकारते भी है।
जब हम छोटे थे और कभी कभी मममी के कुछ मना करने पर उनसे उलझ पड़ते थे कि आप तो बस हमे यूँ ही कहती रहती है तो मममी कहती थी कि जब तुम माँ बनोगी तब समझोगी । ये सुनकर तो हम तो हम और भी नाराज़ हो जाते थे ।पर बाद मे ख़ुद माँ बनने पर ये समझ आया कि मममी कितना सही कहती थी ।
पहले मममी हमारी दोस्त थी पर बाद मे दीदी लोगों की शादी के बाद तो मममी हमारी सबसे अच्छी दोस्त बन गई थी ।
हमारी मममी को बहुत सारे शौक़ थे जिनमें से ये कुछ है जैसे शॉपिंग,घूमना, पिकचर देखना सजना सवंरना,गाना गाना (बहुत अच्छा गाती थी ) ताश खेलना ,रेडियो सुनना ,टी. वी देखना ,किसी का जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह सबसे पहले माँ का फोन और कार्ड आता था और खाना बनाने का तो बहुत ज़्यादा शौक़ था और चौंकिये नहीं उनसे ही हमे ये सारे शौक़ विरासत मे मिले है। 😋
कभी कभी हम बच्चे ना चाहते हुये भी माँ को दुख पहुँचा देते है ,कुछ ऐसी बातें होती है जो हम कभी नही भूलते है । जब कभी भी हम लोग कुछ गलत बोलते तो मममी हमेशा कहती थी कि कभी भी बुरा नही बोलते हमेशा अच्छी बातें बोलनी चाहिये क्योंकि कभी कभी बुरी बात सच हो जाती है। और अब हम भी अपने बेटों से यही कहते है ।
वो कहते है ना कि बच्चे को जन्म देना मां का पुनर्जन्म होता है क्योंकि उस नौ महीने के गर्भ के दौरान ही माँ और बच्चे का एक अटूट रिश्ता बन जाता है और जब उस डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द के बाद माँ जब अपने बच्चे को देखती है तो उसकी उस ख़ुशी को शब्दों में बयान नही किया जा सकता है । क्योंकि अपने बच्चे मे उसे अपनी ही तस्वीर दिखती है ।
माँ और बच्चे का रिश्ता हर रिश्ते से ऊपर होता है क्योंकि जैसे बच्चे माँ के बिना अधूरे है ठीक उसी तरह माँ भी बच्चों के बिना अधूरी है । आज मदर्स डे के दिन हमे बहुत दुख हो रहा है क्योंकि हमारी मममी हम सबको छोड़कर हमेशा के लिये बहुत दूर चली गई है। 🙏
हाँ पर इस बात की ख़ुशी भी है कि अब हमारे बेटे हमे मदर्स डे की बधाई देते है ।
तो आप सबको मदर्स डे की ढेरों बधाई और शुभकामनायें ।
उसको नही देखा हमने कभी ,पर उसकी ज़रूरत क्या होगी
एै माँ तेरी सूरत से अलग ,भगवान की सूरत क्या होगी
माँ इस शब्द को लिखने और बोलने मे ही माँ का एहसास होता है । मां का प्यार और दुलार और डाँट कौन भूल सकता है । मां जो निश्छल और नि:स्वार्थ रूप से अपने बच्चों पर प्यार लुटाती रहती है । अपनी इच्छा और ख़्वाहिशों को पीछे रखकर सिर्फ़ अपने बच्चों की ख़ुशी चाहती है। ये माँ ही होती है जो अपने बच्चों को हर मुसीबत या परेशानी से बचाती है और बच्चों को मुसीबत से लड़ना भी सिखाती है । और हम बच्चों को इस लायक बनाती है कि हम इस दुनिया और समाज मे रह सके ।
भगवान ने मां का दिल इतना क्षमाशील बनाया है कि वो अपने बच्चों की बड़ी से बड़ी ग़लती को माफ़ कर देती है। यही नही बच्चे चाहे कही भी हो अगर वो परेशान होते है तो माँ को पता चल जाता है। मममी से हमारी रोज़ाना फोन पर बात होती थी पर अगर कभी हमारे हैलो कहने का अन्दाज़ ज़रा भी अलग हो जाता था तो वो फ़ौरन पूछती सब ठीक है ना ,कोई परेशानी तो नही है। और जब तक हम उन्हें सन्तोषजनक जवाब नही दे देते थे वो घूम फिर कर उसी बात को पूछती रहती थी । कहने का जरूरत नही है कि माँ तो बच्चों की आवाज़ भर से ही पहचान लेती है कि बच्चे ख़ुश है या दुखी । और आज हम भी मां है और इस बात को मानते भी है और स्वीकारते भी है।
जब हम छोटे थे और कभी कभी मममी के कुछ मना करने पर उनसे उलझ पड़ते थे कि आप तो बस हमे यूँ ही कहती रहती है तो मममी कहती थी कि जब तुम माँ बनोगी तब समझोगी । ये सुनकर तो हम तो हम और भी नाराज़ हो जाते थे ।पर बाद मे ख़ुद माँ बनने पर ये समझ आया कि मममी कितना सही कहती थी ।
पहले मममी हमारी दोस्त थी पर बाद मे दीदी लोगों की शादी के बाद तो मममी हमारी सबसे अच्छी दोस्त बन गई थी ।
हमारी मममी को बहुत सारे शौक़ थे जिनमें से ये कुछ है जैसे शॉपिंग,घूमना, पिकचर देखना सजना सवंरना,गाना गाना (बहुत अच्छा गाती थी ) ताश खेलना ,रेडियो सुनना ,टी. वी देखना ,किसी का जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह सबसे पहले माँ का फोन और कार्ड आता था और खाना बनाने का तो बहुत ज़्यादा शौक़ था और चौंकिये नहीं उनसे ही हमे ये सारे शौक़ विरासत मे मिले है। 😋
कभी कभी हम बच्चे ना चाहते हुये भी माँ को दुख पहुँचा देते है ,कुछ ऐसी बातें होती है जो हम कभी नही भूलते है । जब कभी भी हम लोग कुछ गलत बोलते तो मममी हमेशा कहती थी कि कभी भी बुरा नही बोलते हमेशा अच्छी बातें बोलनी चाहिये क्योंकि कभी कभी बुरी बात सच हो जाती है। और अब हम भी अपने बेटों से यही कहते है ।
वो कहते है ना कि बच्चे को जन्म देना मां का पुनर्जन्म होता है क्योंकि उस नौ महीने के गर्भ के दौरान ही माँ और बच्चे का एक अटूट रिश्ता बन जाता है और जब उस डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द के बाद माँ जब अपने बच्चे को देखती है तो उसकी उस ख़ुशी को शब्दों में बयान नही किया जा सकता है । क्योंकि अपने बच्चे मे उसे अपनी ही तस्वीर दिखती है ।
माँ और बच्चे का रिश्ता हर रिश्ते से ऊपर होता है क्योंकि जैसे बच्चे माँ के बिना अधूरे है ठीक उसी तरह माँ भी बच्चों के बिना अधूरी है । आज मदर्स डे के दिन हमे बहुत दुख हो रहा है क्योंकि हमारी मममी हम सबको छोड़कर हमेशा के लिये बहुत दूर चली गई है। 🙏
हाँ पर इस बात की ख़ुशी भी है कि अब हमारे बेटे हमे मदर्स डे की बधाई देते है ।
तो आप सबको मदर्स डे की ढेरों बधाई और शुभकामनायें ।
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