अच्छा हुआ जो हम पहले ही पढ़ चुके

कोरोना काल में बडे बडे बदलाव हो रहें है ।

अब कल शिक्षा नीति में बहुत बड़ा बदलाव किया गया है । अब अच्छा या बुरा ये तो बाद में ही पता चलेगा ।

पता तो क्या ही चलेगा जो हो गया सो हो गया ।

अब हम लोगों के समय में साइंस , आर्टस और कॉमरस अलग अलग स्ट्रीम मानी जाती थी और हमारे बेटों ने भी इसी तरह से दसवीं और बारहवीं में पढ़ाई की थी ।

पर अब नई शिक्षा नीति के तहत अब कोई भी स्ट्रीम से पढ़ाई करो , सब बराबर है ।

वैसे साइंस वालों को पहले बहुत गुमान होता था कि हम साइंस साइड से है पर इस शिक्षा नीति ने सबको बराबर कर दिया ।😊

अब हम लोगों के समय में ग्रेजुएशन दो साल में और पोस्ट ग्रेजुएशन दो साल का होता था हालाँकि हमारे समय में ज़ीरो ईयर हो गया था जिसकी वजह से एक साल एक्स्ट्रा लगा था । 🤓

पर ऐसा हमेशा नहीं होता था ।

पर फिर कुछ साल बाद ग्रेजुएशन तीन साल और पोस्ट ग्रेजुएशन दो साल का हुआ मतलब पाँच साल का ।

और अब नये नियम से ग्रेजुएशन चार साल का होगा और मास्टर्स एक साल का मतलब ये भी पाँच साल का होगा पर ग्रेजुएशन में एक साल बढ़ा दिया गया है । पता नहीं क्यों ?

अब बच्चे पढ़ाई के दौरान ब्रेक ले सकते है । अच्छा है ज़्यादा अच्छी तैयारी नहीं हुई तो ब्रेक ले लो । ज़्यादा टेंशन नही होगा ।

वैसे विदेशों में तो पढ़ाई के दौरान ब्रेक लेना बड़ी आम बात है ।

अभी तक तो प्रोफ़ेशनल कॉलेज में ही चार साल का कोर्स होता था पर अब बच्चों को चार साल का ग्रेजुएशन कोर्स करना होगा ।

और एम फ़िल ख़त्म कर दिया गया है अब छात्र सीधे पी.एचडी कर सकेंगें । एम फ़िल ख़त्म करने का फायदा ये है कि छात्रों का एक साल बच जायेगा शायद ।

बहुत सारे बदलाव किये दिये है । यहाँ तक की मिनिस्ट्री का नाम भी बदल दिया गया है ।

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