पापा

पूरा दिन इसी ऊहापोह में निकल गया
कि पापा पर क्या लिखूँ
क्यों कि पापा एक ऐसी शख़्सियत
जिनको शब्दों में बयां करना
हमारे बस की बात नहीं ।

पर हाँ पापा का हाथ हम सब के सिर पर होना
जब वो थे तब भी और अब जब वो नहीं है तब भी
उस प्यार भरे एहसास को हम सब आज
भी महसूस क़रते है ।

पापा का हम सब भाई बहनों
में कोई भी फ़र्क़ ना करना
याद नहीं कभी भी पापा ने हम कोडाँटा हो
हाँ मम्मी के डाँटने पर मम्मी को ही टोकना


हम पापा कहते तो भइया कभी पापा
तो कभी डैड कहते
तो कभी दीदी ए पा कहती

पापा कहने की ज़रूरत नहीं है कि
हम सब आपसे कितना प्यार करते है
हम सब आपको कितना याद करते है
और आपको कितना मिस करते है । 🙏🙏







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