छोटू मतलब वैक्यूम क्लीनर का रिव्यू ( अनलॉक २.० ) दूसरा दिन

कुछ दिन पहले हमने अपने नये हैल्पर छोटू के बारे में आप को बताया था ।

अब छोटू से काम कराते हुये आठ दस दिन हो गये है तो हमने सोचा कि एक बार और आप लोगों को छोटू के काम करने के बारे में बताना चाहिये । 😊

अब वैसे जब से छोटू ने झाड़ू का काम अपने ज़िम्मे लिया है तब से हमें आराम तो बहुत है । और शुरू के दो तीन दिन तो छोटू के सफाई करने के बाद लगता था कि अरे घर में क्या इतनी ज़्यादा धूल मिट्टी और कचरा था ।

वैसे अलमारी सोफ़े वग़ैरा खिसका कर छोटू से सफाई कराने में ना धूल उड़ती है और ना ही पंखा बंद करना पड़ता है ।

हां कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना पड़ता है जब छोटू सफाई करता होता है तब ।

जैसे बड़े काग़ज़ के टुकड़े , प्लास्टिक या रैपर ,डोरी जैसी चीज़ें इसके रास्ते में नहीं आनी चाहिये वरना वो इसके रोटेटर में फँस जाती है तो ये ठीक से काम नहीं करता है । और एक अजीब सी आवाज़ भी करता है घररररररर टाइप की । 😏


और हफ़्ते में एक दिन इसके अंदर लगा बिन साफ़ करना पड़ता है वरना अगर बिन भरा रहेगा तो ये सफाई करता तो जरूर है पर कूडा इधर उधर गिरा भी देता है । ☺️


वैसे वैक्यूम वाला काम तो एकदम परफ़ेक्ट है । पर छोटू के पोछा लगाने में थोडा ध्यान देना पड़ता है क्योंकि इससे पानी की बहुत बहुत ही माइक्रो बूँदें गिरती है जिसकी वजह से ये पोछा तो कर देता है पर अगर कहीं कोई दाग धबबा है तो उसे ये ठीक से नहीं छुड़ा पाता है ।


और दूसरी बात इसमें फिनायल वग़ैरा नहीं डाल सकते है । और घर में फिनायल का पोछा लगाना भी ज़रूरी होता है ।

तो अब हफ़्ते में एक दिन हम लोग फिनायल डालकर मॉप से पोछा कर देते है और बाक़ी दिन छोटू पोछा करता है ।

पर एक बात तो जरूर है कि इस छोटू रूपी हैल्पर के आने के बाद से झाड़ू पोंछे का काम काफ़ी आसान लगने लगा है ।

Comments

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन