लगता है पशु -पक्षी भी कवैरंटाईन में चल रहे है ( चौदहवाँ दिन )
अब ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ हम लोग ही कवैरंटाईन को मान रहे है बल्कि हमें तो ऐसा लगता है कि हमारे पशु-पक्षी भी इस कवैरंटाईन का पालन कर रहे है ।
क्या आपको ऐसा नहीं लगता है । पर हमें तो ऐसा ही लग रहा है । अब वो क्या है ना कि जब कहीं आना जाना नहीं हो तो ऐसी बातों पर ध्यान जाता ही है । 😊
क्यों ?
बताते है । बताते है ।
कवैरंटाईन के पहले तो पक्षी जैसे कबूतर ,कौआ , मैना, और कभी कभार गौरेया ,फ़ाख्ता और चील बहुत उड़ते हुये दिखाई देते थे । और हमारे घर की बालकनी में तो कबूतर और मैना बहुत आते थे । पर जब से ये कवैरंटाईन शुरू हुआ है तब से ये पक्षी भी बहुत ही कम उड़ते हुये दिखते है ।
अब ऐसा भी नहीं है कि कबूतर और मैना बिलकुल ही ग़ायब है पर ये पक्षी भी आजकल बस सुबह और शाम को ही नज़र आते है । वरना तो हर समय कबूतर और मैना एक दूसरे को भगाते हुये नज़र आते थे । जब हम इनको खाने के लिये कुछ दाना डालते थे ।
कबूतर मैना क्या हमारे यहाँ तो गिलहरियाँ भी पूरा नीचे ग्राउंड फ़्लोर से सातवीं मंज़िल तक धाम चौकड़ी करती रहती थी मानो ( माउंटेनियरिंग का कोर्स की हों )और हम कहते भी थे कि गिलहरी पेड़ पर चढ़ना छोड़कर दीवार पर चढ़ती घूमती रहती है । और इससे पहले हमने तो गिलहरी को सिर्फ़ पेड़ पर ही चढ़ते देखा था । 🤓
आजकल गिलहरियाँ नही बस गिलहरी मतलब एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो आती है ,जिसकी वजह से भी बहुत शांति सी हो गई है । वरना ये कभी हमारी खिड़की की जाली पर भी फ़र्राटे से दौड़ती रहती थी । और एक तरह की खड़खड़ की आवाज़ सी आती थी ।
ये ही नहीं सड़क पर रहने वाले कुत्ते भी समझते है कि आजकल कवैरंटाईन चल रहा है क्योंकि कहाँ तो सारा दिन कुत्तों के लड़ने और भौंकने की आवाज़ें आती रहती थी वहाँ भी कुछ शांति सी है । पूरा पूरा दिन निकल जाता है ना तो कुत्ते नज़र आते है और ना ही भौंकने की आवाज़ आती है ।
कई बार तो दिन या रात में जब पुलिस वाला बाईक पर सायरन बजाता हुआ जाता था तो जहाँ जहाँ से उसकी बाईक गुज़रती वहाँ वहाँ से कुत्तों के भौंकने का शोर सुनाई देता था । पर आजकल तो पुलिस वाले कई कई बार सायरन बजाते हुये निकलते है पर मजाल है जो कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ जाये ।
अब वो करते है ना भगवान ने इन पशु पक्षियों को भी ख़तरा भाँप लेने की शक्ति दी है मतलब सिक्सथ सेंस दिया है और उसी के चलते ये पशु पक्षी भी हम इंसानों की तरह अपने आप को बचाने में लगे हुये है । 😊
क्या आपको ऐसा नहीं लगता है । पर हमें तो ऐसा ही लग रहा है । अब वो क्या है ना कि जब कहीं आना जाना नहीं हो तो ऐसी बातों पर ध्यान जाता ही है । 😊
क्यों ?
बताते है । बताते है ।
कवैरंटाईन के पहले तो पक्षी जैसे कबूतर ,कौआ , मैना, और कभी कभार गौरेया ,फ़ाख्ता और चील बहुत उड़ते हुये दिखाई देते थे । और हमारे घर की बालकनी में तो कबूतर और मैना बहुत आते थे । पर जब से ये कवैरंटाईन शुरू हुआ है तब से ये पक्षी भी बहुत ही कम उड़ते हुये दिखते है ।
अब ऐसा भी नहीं है कि कबूतर और मैना बिलकुल ही ग़ायब है पर ये पक्षी भी आजकल बस सुबह और शाम को ही नज़र आते है । वरना तो हर समय कबूतर और मैना एक दूसरे को भगाते हुये नज़र आते थे । जब हम इनको खाने के लिये कुछ दाना डालते थे ।
कबूतर मैना क्या हमारे यहाँ तो गिलहरियाँ भी पूरा नीचे ग्राउंड फ़्लोर से सातवीं मंज़िल तक धाम चौकड़ी करती रहती थी मानो ( माउंटेनियरिंग का कोर्स की हों )और हम कहते भी थे कि गिलहरी पेड़ पर चढ़ना छोड़कर दीवार पर चढ़ती घूमती रहती है । और इससे पहले हमने तो गिलहरी को सिर्फ़ पेड़ पर ही चढ़ते देखा था । 🤓
आजकल गिलहरियाँ नही बस गिलहरी मतलब एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो आती है ,जिसकी वजह से भी बहुत शांति सी हो गई है । वरना ये कभी हमारी खिड़की की जाली पर भी फ़र्राटे से दौड़ती रहती थी । और एक तरह की खड़खड़ की आवाज़ सी आती थी ।
ये ही नहीं सड़क पर रहने वाले कुत्ते भी समझते है कि आजकल कवैरंटाईन चल रहा है क्योंकि कहाँ तो सारा दिन कुत्तों के लड़ने और भौंकने की आवाज़ें आती रहती थी वहाँ भी कुछ शांति सी है । पूरा पूरा दिन निकल जाता है ना तो कुत्ते नज़र आते है और ना ही भौंकने की आवाज़ आती है ।
कई बार तो दिन या रात में जब पुलिस वाला बाईक पर सायरन बजाता हुआ जाता था तो जहाँ जहाँ से उसकी बाईक गुज़रती वहाँ वहाँ से कुत्तों के भौंकने का शोर सुनाई देता था । पर आजकल तो पुलिस वाले कई कई बार सायरन बजाते हुये निकलते है पर मजाल है जो कुत्तों के भौंकने की आवाज़ आ जाये ।
अब वो करते है ना भगवान ने इन पशु पक्षियों को भी ख़तरा भाँप लेने की शक्ति दी है मतलब सिक्सथ सेंस दिया है और उसी के चलते ये पशु पक्षी भी हम इंसानों की तरह अपने आप को बचाने में लगे हुये है । 😊
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