छोटे बच्चों के साथ लॉकडाउन ( अट्ठारहवां दिन )
हम सभी लोग इस लॉकडाउन में कुछ अलग और कुछ एक से तरीक़े से ही रह रहें है । हम लोगों के घर में चूँकि कोई छोटा बच्चा या स्कूल या कॉलेज जाने वाले बच्चे नहीं है पर जिनके घर में बच्चे है ,उनके लिये तो लॉकडाउन में एक तरह से डबल काम हो गया होगा ।
अब वैसे तो बच्चे स्कूल वग़ैरा चले जाते थे , शाम को भी बच्चे किसी स्पोटर्स के लिये या कुछ और सीखने के लिये जाते रहे होगे पर आजकल कवैरंटाईन के चलते बच्चों का भी बाहर आना जाना भी बंद हो गया है।
जब हम लोगों को घर मे पूरे समय रहने में परेशानी सी होती है तो छोटे बच्चों को पूरे दिन घर में घर में रहना कितना मुश्किल होता होगा क्योंकि बच्चों में एनर्जी ज़्यादा होती है ।
अब ऐसा नहीं है कि वो लोग कुछ करती नहीं होंगी पर जब बच्चे घर से बाहर स्कूल या शाम को पार्क वग़ैरा में खेलते है तो उनकी एनर्जी भी ख़र्च होती ही है । अब घर में रहते हुये इतनी एनर्जी कहाँ ख़र्च होती होगी । और ऐसे में माओ को ही नये नये तरीक़े ढूँढने पड़ते होंगें ।
हम एक ग्रुप के सदस्य है जिसमें जब से स्कूल बंद हुये है तब पहले तो मॉंये बच्चों के होमवर्क के लिये थोडा चिंतित रहती थी पर लॉकडाउन के बाद से ज़्यादातर मॉंये अकसर यही पूछती रहती है कि बच्चों को कैसे बिजी रखा जाये । और एक अच्छी बात येहै कि इस कवैरंटाईन में सभी मॉंये बच्चों को बिजी रखने के लिये रोज़ कुछ ना कुछ सिखा रहीं है ।
बच्चों को कोई बेकरी के तहत केक, ब्राउनी बनाना सिखा रही हैं तो कोई क्राफ़्ट क्लास ले रहीं है जिसमें बच्चों को अलग अलग चींजें बनाना सिखा रहीं है । बच्चों का टैलेंट शो भी कर रही है जिसमें छोटे दो साल के बच्चे से लेकर बडे बच्चे कोई गाना गाकर तो कोई डाँस करकर तो कोई तबला बजाते है और वीडियो लगाते है । कुछ आठ दस साल के बच्चे इतनी सुंदर पेंटिंग बनाते है कि देखकर आश्चर्य होता है मतलब बेमिसाल ।
वैसे हमारी भांजी और भतीजियां बच्चों को बिजी रखने के नये नये तरीक़े ढूँढती रहती है । कभी बच्चों के साथ कुछ खाना बना रही है तो कभी लूडो और साँप सीढ़ी खेलती है और कभी डाँस और गाना गाना । मतलब किसी ना किसी तरह बच्चों को बिजी रखने की कोशिश और इसमें अच्छी बात ये भी है कि बच्चे सीख भी रहें है और सबका समय भी अच्छे से बीत रहा है ।
और अब चूँकि कोरोना अभी चल ही रहा है तो ज़ाहिर है कि ये लॉकडाउन बढ ही जायेगा तो माँ और बच्चों सबके लिये ही ये एक तरह का इम्तिहान सा है क्योंकि अब बच्चों की पढाई का भी ध्यान रखना होगा और उनके लेकिन नई नई एक्टिविटी की भी खोज करते रहनी होगी ।
अब वैसे तो बच्चे स्कूल वग़ैरा चले जाते थे , शाम को भी बच्चे किसी स्पोटर्स के लिये या कुछ और सीखने के लिये जाते रहे होगे पर आजकल कवैरंटाईन के चलते बच्चों का भी बाहर आना जाना भी बंद हो गया है।
जब हम लोगों को घर मे पूरे समय रहने में परेशानी सी होती है तो छोटे बच्चों को पूरे दिन घर में घर में रहना कितना मुश्किल होता होगा क्योंकि बच्चों में एनर्जी ज़्यादा होती है ।
अब ऐसा नहीं है कि वो लोग कुछ करती नहीं होंगी पर जब बच्चे घर से बाहर स्कूल या शाम को पार्क वग़ैरा में खेलते है तो उनकी एनर्जी भी ख़र्च होती ही है । अब घर में रहते हुये इतनी एनर्जी कहाँ ख़र्च होती होगी । और ऐसे में माओ को ही नये नये तरीक़े ढूँढने पड़ते होंगें ।
हम एक ग्रुप के सदस्य है जिसमें जब से स्कूल बंद हुये है तब पहले तो मॉंये बच्चों के होमवर्क के लिये थोडा चिंतित रहती थी पर लॉकडाउन के बाद से ज़्यादातर मॉंये अकसर यही पूछती रहती है कि बच्चों को कैसे बिजी रखा जाये । और एक अच्छी बात येहै कि इस कवैरंटाईन में सभी मॉंये बच्चों को बिजी रखने के लिये रोज़ कुछ ना कुछ सिखा रहीं है ।
बच्चों को कोई बेकरी के तहत केक, ब्राउनी बनाना सिखा रही हैं तो कोई क्राफ़्ट क्लास ले रहीं है जिसमें बच्चों को अलग अलग चींजें बनाना सिखा रहीं है । बच्चों का टैलेंट शो भी कर रही है जिसमें छोटे दो साल के बच्चे से लेकर बडे बच्चे कोई गाना गाकर तो कोई डाँस करकर तो कोई तबला बजाते है और वीडियो लगाते है । कुछ आठ दस साल के बच्चे इतनी सुंदर पेंटिंग बनाते है कि देखकर आश्चर्य होता है मतलब बेमिसाल ।
वैसे हमारी भांजी और भतीजियां बच्चों को बिजी रखने के नये नये तरीक़े ढूँढती रहती है । कभी बच्चों के साथ कुछ खाना बना रही है तो कभी लूडो और साँप सीढ़ी खेलती है और कभी डाँस और गाना गाना । मतलब किसी ना किसी तरह बच्चों को बिजी रखने की कोशिश और इसमें अच्छी बात ये भी है कि बच्चे सीख भी रहें है और सबका समय भी अच्छे से बीत रहा है ।
और अब चूँकि कोरोना अभी चल ही रहा है तो ज़ाहिर है कि ये लॉकडाउन बढ ही जायेगा तो माँ और बच्चों सबके लिये ही ये एक तरह का इम्तिहान सा है क्योंकि अब बच्चों की पढाई का भी ध्यान रखना होगा और उनके लेकिन नई नई एक्टिविटी की भी खोज करते रहनी होगी ।
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