हमारे काम वाले हैल्पर हमारी शान ( लॉकडाउन २.० ) चौथा दिन

आजकल देश में कोरोना के कारण जो स्थिति है मतलब ये लॉकडाउन या कवैरंटाईन जिसके कारण हम लोगों को घर में रहना पड़ रहा है और घर का सारा कामकाज भी करना पड़ रहा है ।

अभी तो पच्चीस छब्बीस दिन ही हुये है। वैसे तो अभी लॉकडाउन २.० तो ३ मई तक है ही मतलब दोनों लॉकडाउन मिलाकर तो सवा महीना हो ही जायेगा । और अभी आगे और कितने दिन ये सब चलेगा कहना मुश्किल है ।


फिलहाल तो हम सभी लोग काम करने के लिये दिमाग़ी तौर पर तैयार है वरना तो एक दिन काम करना मुश्किल हो जाता । और जिस तरह हम लोग ये काम मजबूरी और फिलहाल जोश में कर रहें है । और अपना किये काम से हम सब खूब ख़ुश भी हो रहें है । पर हमें पक्का पता है कि जिस दिन लॉकडाउन से पाबंदी हटेगी उस दिन सबसे पहले हम सब चैन की साँस लेंगें । कि चलो अब इस कामकाज से छुट्टी मिली । 😊


हम लोग तो लॉकडाउन की मजबूरी की वजह से काम कर रहें है पर जो हमारे घरों में काम करने आती है वो भी मजबूरी के तहत ही काम करने आती है । और उनके काम पर आने से हम लोगों को एक तरह की निश्चिंती सी भी रहती है । अरे मतलब काम का कोई टेंशन नहीं रहता है ना ।


आजकल इन हैल्परों को लेकर हमारे एक ग्रुप पर अकसर लोग ये पूछते रहते है कि क्या इनको पूरे महीने की तनख़्वाह देनी चाहिये या नहीं । वैसे तो ज़्यादातर लोग यही कहते है कि हाँ पूरी तनख़्वाह देनी चाहिये । पर हमें ये समझ नहीं आता कि ऐसा सवाल भला मन में आता ही कैसे है ।😳



असल में अकसर जब ये काम वाले छुट्टी करते है या घर गाँव जाते है तो बहुत लोग इनकी तनख़्वाह काट लेते है ये सोच कर और कहकर कि उन दिनों में उसने काम नहीं किया था । और उसकी जगह दूसरे ने काम किया तो पैसे भी उसे ही मिलेंगें ।



पर हमारा मानना और सोचना है कि किसी की तनख़्वाह काटना बहुत ही ग़लत है । और हम तो कभी भी अपने हैल्परों की तनख़्वाह नहीं काटते है ।


और फिर आज के माहौल में तो बिलकुल भी किसी भी हैल्पर की तनख़्वाह नहीं काटनी चाहिये । उनके काटे हुये पैसों से हम भला कितने अमीर हो जायेंगे । हाँ उसकी वजह से हम ग़रीब जरूर हो जायेंगे । क्यूँ सही कहा है ना ।



जिस तरह से हम लोग इस लॉकडाउन के चलते मजबूरी में काम कर रहें है तो वो भी तो किसी ना किसी मजबूरी के कारण ही काम करने आते है ।


हम लोगों को तो इनका शुक्रगुज़ार होना चाहिये कि ये हमारे घरों में काम करते है जिसकी वजह से हम आराम और ऐश की जिंदगी जीते है ।


वरना सोचो ?




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