अजुध्या या अयोध्या
कल पूरे दिन टी वी पर अयोध्या देखते रहे और फैजाबाद और अयोध्या से जुड़ी ना जानें कितनी बातें और यादें बरबस ही दिलो दिमाग में घूम गई ।
फैजाबाद हम लोगों का ननिहाल और अयोध्या हमारी मम्मी का ननिहाल ।
अजुध्या में गांव में मामा लोग जमींदार थे मामा लोगों के खेत खलिहान बाग बगीचा थे , अरे नहीं अभी भी है , अब मामा के बेटे सब देखते है ।
बचपन में हम लोग जब भी गर्मी की छुट्टियों में फैजाबाद जाते थे तो नानी कहती थी कि अजुध्या घूम आओ ।
और जब मामा अजुध्या जाते तो हम सब जिसमें मौसी और मामा के बच्चे होते, उनके साथ जाते थे ।
वहां गांव में ,खेतों में घूमना , ट्यूब वेल के पानी में खेलना ,मामा को गांव वालों से रौब से बात करते देखना ।
अब उस जमाने में यही सब मनोरंजन होता था और हम सब इसी में खूब खुश और मस्त रहते थे ।
साठ सत्तर के दशक में फैजाबाद में तो फिर भी भीड़ भाड़ होती थी पर अजुध्या इतना विकसित नहीं था और ना ही इतनी भीड़ भाड़ होती थी।
और गांव में तो वैसे भी शान्ति और हरियाली होती थी जिसका हम लोग भरपूर आनंद लेते थे ।
अजुध्या जाएं और मंदिर में दर्शन ना करें ऐसा कैसे हो सकता था । क्योंकि बिना दर्शन किए आना मतलब अजुध्या का ट्रिप अधूरा ।
कल टी वी पर अयोध्या ,राम मंदिर और भूमि पूजन देखते रहे और सोचते रहे की एक बार फिर से अजुध्या जाना चाहिए।
बड़े साल हो गए है फैजाबाद और अजुध्या गए हुए ।
वैसे कजिन ने पहले भी कई बार बुलाया है और कल एक बार फिर बुलाया है अजुध्या घूमने का ।
अब corona निपटे तो सोचा जाए ।
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