आलस क्या होता है भूल ही गये थे 😁

पर कल हमने फिर से जाना कि आलस क्या होता है । 😃

कल बड़े समय बाद तकरीबन पाँच महीने बाद हमने संडे को बिलकुल संडे की तरह बिताया । मतलब फ़ुल ऑन आलस से भरपूर ।

अरे जैसा आप सोच रहें है वैसा बिलकुल नहीं है । हमारी काम वाली वापिस नहीं आई है । 😏

इधर जब से कोरोना फैला है तब से तो हर रोज एक ही जैसा । क्या संडे क्या मंडे ।

हर रोज एक ही रूटीन सुबह उठो ,एक्सरसाइज़ करो फिर किचन का काम धाम करो ,डस्टिंग करो ,छोटू से ( वैक्यूम क्लीनर ) से झाडू लगवाओ, लंच डिनर बनाओ वग़ैरा वग़ैरा ।

पर कल हमने सब कामों से ब्रेक ले लिया था । यानि संडे को हम सुबह तो जरूर उठे पर एक्सरसाइज़ नहीं करी क्योंकि कभी कभी तो उसमें भी ब्रेक लेना चाहिये । 😜

और जब एक्सरसाइज़ नहीं की तो थोडा आलस सा चढ़ा रहा पूरा दिन और बस फिर क्या पूरा दिन बस यूँ ही बिता दिया इधर उधर डोलते हुये । कुछ ज़्यादा काम धाम नहीं किया ।

और तो और पूरा दिन फेसबुक और वहाटसऐप तक नहीं देखा । हाँ बस एक बार सुबह देखा था पर फिर फोन भी देखने का मन नहीं हुआ । 😛

और खाने में भी शॉर्ट कट मार दिया । लंच में पिज़्ज़ा बना दिया जो पन्द्रह मिनट में बन जाता है और रात में मैगी जो पॉंच मिनट में बन गई । वो पाँच मिनट इसलिये क्योंकि हमने उसमें थोड़ी सब्ज़ियाँ भी डाली थी । 😋

और यक़ीन जानिये पूरा दिन बिना कुछ किये बडे मजे में हमने बिता दिया । 😁

यक़ीन ना हो तो ट्राई करके देखिये । 😆

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