तीज सूतफेनी और गुझिया
आज भादों में पड़ने वाली हरतालिका तीज है । तो सभी को तीज की हार्दिक शुभकामनाएं ।
ये तो सभी जानते है कि हरतालिका तीज पति की लंबी आयु के लिए होता है । और आज के दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती है।
और इलाहाबाद में तो तीज के दिन खास सफेद एकदम महीन सूतफेनी मिलती है (और जो इलाहाबाद के अलावा कहीं नहीं मिलती है )जिसे दूध और चीनी में डालकर खाने का जो स्वाद होता है ।
आहा कि क्या बताएं। और बहुत सालों तक सूतफेनी की सप्लाई हमें होती रही थी ।😊
यूं तो बचपन से मम्मी को तीज का निर्जला व्रत करते हुए देखते आए है । और हमारी ससुराल में भी ये व्रत होता है ।
इसलिए हमने भी कुछ सालों तक तीज का निर्जला व्रत रक्खा । पर फिर किन्हीं कारणों से हमसे ये व्रत रखना छूट गया ।😔
तीज की सुबह चार बजे उठना नहा धोकर दूध और सूतफेनी और फलाहार खा कर व्रत की शुरुआत करना । और हम और हमारी दीदी भी मम्मी के साथ सुबह सूतफेनी खाने की लालच में उठते और इसलिए सुबह सुबह नहाते भी थे और फिर चौबीस घंटे बिना कुछ खाए पिए रहना । और फिर अगली सुबह चार बजे भोर में उठकर दूध सूतफेनी खा कर व्रत तोड़ना ।
पर व्रत और त्योहार का मतलब ये कतई नहीं होता है कि बस खाली बैठो। समय काटने के लिए पकवान बनाया जाता जैसे गुझिया मालपुआ । और अगले दिन पकवान बनाने की भी तैयारी करना ।
शाम को मम्मी पापा की लाई हुई साड़ी पहनकर ( आज के दिन स्पेशली पापा ही उनके लिए साड़ी लाते थे ) पूजा करती थी और सब साड़ी कपड़ा और सारा श्रृंगार का सामान जिसमे बिंदी चूड़ी आलता कंघी शीशा वगैरा होता था और साथ में मिठाई फल और मेवा चढ़ाती थी ।
और अगले दिन यानी चतुर्थी के दिन हम लोगों के मास्साब जो कि ब्राह्मण थे उनको सुबह सुबह भोजन कराती थी । और उसके बाद ही मम्मी कुछ खाती थी ।
खैर अब आज हम व्रत तो नहीं करते है पर बाकी सब करते है ।मसलन नया कपड़ा मतलब साड़ी या सूट जरूर लेते और पहनते है । और गुझिया मालपुआ भी जरूर बनाते है ।
तो एक बार फिर से आप सभी को तीज की बधाई और शुभकामनाएं।
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