स्वतन्त्रता दिवस कुछ अलग सा
आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।
वैसे इस बार बाक़ी त्योहारों की तरह ही स्वतन्त्रता दिवस भी कुछ अलग सा ही मनाया गया । कारण वही कोरोना ।
हर साल हम लोग अपनी सोसाइटी में करीब दस बजे के आस पास स्वतन्त्रता दिवस मनाने के लिये इकट्ठा होते थे । छोटे बच्चे सफ़ेद कुर्ता पैजामा और तिरंगें रंग का का दुपट्टा ओढ़ कर आते थे ।
हम सब महिलायें और पुरूष भी तैयार होकर झंडा रोहण के लिये जमा होते थे । और जब तक सारे लोग आते तब तक गप्पें और एक दूसरे से मिलना जुलना चलता रहता था ।
झंडा फहराने के लिये सब बच्चों को इकट्ठा किया जाता और सारे बच्चे और कोई एक बड़ा उनके साथ मिलकर झंडा फहराता था । और फिर बडे और बच्चे मिलकर राष्ट्रीय गान गाते थे । बहुत सारी फोटो खींचीं जाती ।
और उसके बाद पैकेट में लडडू और समोसा सबको दिया जाता था । जिसे हम लोग लेकर वहीं बग़ीचे में कुर्सी डालकर खाते और थोड़ी देर बातें करते थे ।
हर एक का अलग ग्रुप था । बच्चे अलग दौड़ भाग करते और खेलते । सारे जेंटस एक तरफ़ गुट बना कर पॉलिटिक्स डिस्कस करते थे ।
एक अलग ही उत्सव का माहौल होता था ।
और आधा पौना घंटा बिताकर सब लोग अपने अपने घर चल देते थे ।
पर इस बार तो झंडारोहण हो भी गया और पता ही नहीं चला । क्योंकि सोसाइटी के बस दो चार लड़कों नें ही झंडा फहरा दिया और बस हो गया स्वतन्त्रता दिवस ।
ना हम लोग मिले और ना ही लडडू समोसा मिला । ☹️
वैसे अभी तो हम सबको इस कोरोना से आज़ादी चाहिये । भगवान करे वो दिन जल्दी आये ।
वैसे इस बार बाक़ी त्योहारों की तरह ही स्वतन्त्रता दिवस भी कुछ अलग सा ही मनाया गया । कारण वही कोरोना ।
हर साल हम लोग अपनी सोसाइटी में करीब दस बजे के आस पास स्वतन्त्रता दिवस मनाने के लिये इकट्ठा होते थे । छोटे बच्चे सफ़ेद कुर्ता पैजामा और तिरंगें रंग का का दुपट्टा ओढ़ कर आते थे ।
हम सब महिलायें और पुरूष भी तैयार होकर झंडा रोहण के लिये जमा होते थे । और जब तक सारे लोग आते तब तक गप्पें और एक दूसरे से मिलना जुलना चलता रहता था ।
झंडा फहराने के लिये सब बच्चों को इकट्ठा किया जाता और सारे बच्चे और कोई एक बड़ा उनके साथ मिलकर झंडा फहराता था । और फिर बडे और बच्चे मिलकर राष्ट्रीय गान गाते थे । बहुत सारी फोटो खींचीं जाती ।
और उसके बाद पैकेट में लडडू और समोसा सबको दिया जाता था । जिसे हम लोग लेकर वहीं बग़ीचे में कुर्सी डालकर खाते और थोड़ी देर बातें करते थे ।
हर एक का अलग ग्रुप था । बच्चे अलग दौड़ भाग करते और खेलते । सारे जेंटस एक तरफ़ गुट बना कर पॉलिटिक्स डिस्कस करते थे ।
एक अलग ही उत्सव का माहौल होता था ।
और आधा पौना घंटा बिताकर सब लोग अपने अपने घर चल देते थे ।
पर इस बार तो झंडारोहण हो भी गया और पता ही नहीं चला । क्योंकि सोसाइटी के बस दो चार लड़कों नें ही झंडा फहरा दिया और बस हो गया स्वतन्त्रता दिवस ।
ना हम लोग मिले और ना ही लडडू समोसा मिला । ☹️
वैसे अभी तो हम सबको इस कोरोना से आज़ादी चाहिये । भगवान करे वो दिन जल्दी आये ।
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