कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व
सबसे पहले तो सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ।
कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के साथ ढेर सारी यादें जुड़ी हुई हैं ।
छुटपन में आधे दिन का व्रत रखना और फिर पूरे दिन तरह तरह की व्रत में बनने वाले फलाहार खाना । और साथ में खाना भी खा लेना । 😁
आज के दिन इलाहाबाद में तो खूब झांकियाँ सजती थी । और हम लोग शाम को तैयार होकर देखने जाते थे । और इसी में पूरी शाम निकल जाती थी । 😊
पर हमारी ससुराल लखनऊ में तो अम्माजी और हमारी छोटी ननद ख़ुद ही घर के बरामदे में बहुत सुंदर झाँकी सजाती थी । जिसमें छोटे छोटे मिट्टी के खिलौने , रंग बिरंगी बालू , अलग अलग रंग में चावल को रंगकर उनसे बनाना , नदी बानाना , रंग बिरंगी लाइटें और छोटे छोटे पेड़ पौधे लगाना ।
और ये सब करनें में पूरा दिन लग जाता था पर जब शाम को झाँकी में लाइटें जलती तो उसकी छँटा देखने लायक होती थी । बेहद ख़ूबसूरत ।
अभी कुछ साल पहले हम लोग अपनी सोसाइटी में भी कृष्ण जन्माष्टमी मनाते थे । शाम को हम लोग इकट्ठा होकर पूजा करते थे प्रसाद चढ़ाते थे । कुछ भजन गाते थे और हमारी दोस्त हरे रामा हरे कृष्णा गाने पर मगन होकरझूम झूम कर डाँस करती थी ।
पर अबकी बार तो पूजा तो कोरोना के चलते कुछ भी नहीं । ☹️
वैसे अब हम तो व्रत नहीं करते है पर जिनका जिनका व्रत है वो फलाहार बनाये और खायें । 😊
कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के साथ ढेर सारी यादें जुड़ी हुई हैं ।
छुटपन में आधे दिन का व्रत रखना और फिर पूरे दिन तरह तरह की व्रत में बनने वाले फलाहार खाना । और साथ में खाना भी खा लेना । 😁
आज के दिन इलाहाबाद में तो खूब झांकियाँ सजती थी । और हम लोग शाम को तैयार होकर देखने जाते थे । और इसी में पूरी शाम निकल जाती थी । 😊
पर हमारी ससुराल लखनऊ में तो अम्माजी और हमारी छोटी ननद ख़ुद ही घर के बरामदे में बहुत सुंदर झाँकी सजाती थी । जिसमें छोटे छोटे मिट्टी के खिलौने , रंग बिरंगी बालू , अलग अलग रंग में चावल को रंगकर उनसे बनाना , नदी बानाना , रंग बिरंगी लाइटें और छोटे छोटे पेड़ पौधे लगाना ।
और ये सब करनें में पूरा दिन लग जाता था पर जब शाम को झाँकी में लाइटें जलती तो उसकी छँटा देखने लायक होती थी । बेहद ख़ूबसूरत ।
अभी कुछ साल पहले हम लोग अपनी सोसाइटी में भी कृष्ण जन्माष्टमी मनाते थे । शाम को हम लोग इकट्ठा होकर पूजा करते थे प्रसाद चढ़ाते थे । कुछ भजन गाते थे और हमारी दोस्त हरे रामा हरे कृष्णा गाने पर मगन होकरझूम झूम कर डाँस करती थी ।
पर अबकी बार तो पूजा तो कोरोना के चलते कुछ भी नहीं । ☹️
वैसे अब हम तो व्रत नहीं करते है पर जिनका जिनका व्रत है वो फलाहार बनाये और खायें । 😊
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