गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल

कल हमने ये फ़िल्म देखी । अब ये मत कहियेगा कि क्यूँ देखी ।

वैसे जब से फ़िल्म  netflix   पर रिलीज़ हुई है तब से ही विवादों में घिरी हुई है । कुछ तो वायुसेना के अफ़सरों को ग़लत तरीक़े से दिखाये जाने की वजह से तो कुछ किन्हीं और कारणों से ।

जहाँ तक हम सोचते है कि जब किसी भी बायोपिक में उस इंसान से जुड़े पहलू दिखाये जाते है तो ज़ाहिर सी बात कि ज़्यादातर बातें या घटनायें तो उस इंसान ने ही बताई होंगीं ।

हाँ थोडा बहुत फ़िक्शनल भी होता है पर ज़्यादातर सही ही दिखाया जाता है ।

अब इस फ़िल्म में जिस तरह से वायुसेना के अफ़सर दिखाये गये है वो अगर पूरे ना सही तो कुछ ना कुछ तो सही ही दिखाये होगें ।

और वैसे भी जिस ज़माने की ये कहानी है उस समय तो हालात आज से अलग ही थे । ये तो हम सभी जानते है ।

यूँ तो आज भी स्त्री पुरूष बराबर के होते हुये भी कहीं ना कहीं असमानता नज़र आ ही जाती है ।

खैर हमें तो फ़िल्म देखना बहुत पसंद है ही और आजकल तो बायोपिक का चलन चल रहा है । जैसे कुछ दिन पहले शकुन्तला देवी और अब गुंजन सक्सेना ।

वैसे गुंजन सक्सेना के बारे में भी हम ही क्या ज़्यादातर लोग इतना कहाँ जानते है ।

पर हाँ ये फ़िल्म देखने के बाद पता चला कि कैसे और कितना अहम योगदान रहा था उनका कारगिल युद्ध में ।

एक्टिंग तो सभी ने अच्छी ही की है । जाह्नवी कपूर कही कहीं एक्सप्रैशन लेस हो जाती है ।अंगद बेदी ने ठीक ठाक काम किया है । पर पंकज त्रिपाठी और मानव विज ने बहुत अच्छी एक्टिंग करी है ।

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