न्यूज़ है या सीरियल

आजकल तो न्यूज़ देखना मतलब अपना दिमाग़ ख़राब करना होता जा रहा है । 



बस कोई एक न्यूज़ मिल जाये इन न्यूज़ चैनलों को और बस फिर क्या सारे दिन बस एक ही बात को कई कई तरह से दिखाते रहते है ।

शुरू में लगता था कि टी वी की न्यूज़ अखबार वाली न्यूज़ से बेहतर है पर ऐसा पहले तो था पर अब न्यूज़ चैनलों की टीआरपी की दौड़ में अव्वल आने के चक्कर में ये लोग कुछ भी और किसी भी हद तक जा सकते है ।

धीरे धीरे अब एक बार फिर लगने लगा है कि अखबार और रेडियो न्यूज़ वाला ज़माना ही ठीक था जिसमें रोज कुछ नई ख़बर पढ़ी जाती थी ना कि पूरे दिन क्या पूरे हफ़्ते तक बस एक ही ख़बर देखते और सुनते रहो ।

ऐसा नहीं है कि पहले सनसनीख़ेज़ ख़बरें नहीं होती थी पर उन ख़बरों से पूरे समय रूबरू नहीं होते रहते थे ।

ख़बर ख़बर की तरह होती थी ।

पर आजकल तो टी वी चैनल वाले पूरी तरह से जेम्स बांड बनते जा रहें है । जो सुराग़ कोई ना ढूँढ पाये वो ये लोग खोज निकालते है ।

हर चैनल अपनी पीठ ठोंकता रहता है ब्रेकिंग न्यूज़ के बहाने और सबसे पहले ख़बर दिखाने का दावा करने के बहाने ।

हमें तो अब न्यूज़ न्यूज़ कम सीरियल की तरह ज़्यादा लगता है । 😏

क्या ग़लत कह रहें है ।

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