हम सभी प्रवासी ( लॉकडाउन ४.० ) दसवाँ दिन

जब से देश में कोरोना फैला है और जब से पूरे देश में लॉकडाउन शुरू हुआ तब से ये प्रवासी शब्द बहुत सुनने में आ रहा है । ख़ासकर मज़दूरों के लिये जिन्हें हर टी वी चैनल प्रवासी मज़दूर और श्रमिक कह रहें है ।

जहाँ तक हमें मालूम है पहले तो प्रवासी विदेशों में रहने वालों को ही कहा जाता था पर अब तो अपने ही देश में रहने वालों को प्रवासी कहा जाने लगा है । हर साल प्रवासी भारतीय समिट होता है और उसमें एक तुक समझ आता है ।

कितनी अजीब बात है कि आजकल तो अपने ही देश में रहते हुये सब लोग प्रवासी हुये जा रहे है ।


अब इस तरह तो हम लोग भी जो रहने वाले तो उत्तर प्रदेश के है पर बसे दिल्ली में है तो एक क्या पूरी तरह से हम भी प्रवासी ही है । आख़िर हम भी तो अपना प्रदेश और घर छोड़कर यहाँ रह रहे है मतलब बसे है ।


अब अपने देश कोई भी एक ऐसा शहर ,प्रदेश या ज़िला है जहाँ सिर्फ़ उसी प्रदेश के लोग रहते हों या काम करते हों । हर राज्य में दूसरे राज्य से आये लोग नौकरी करते है और रहते है ।

देश के हर प्रदेश और हर शहर में अलग अलग प्रांतों के लोग रहते है । और इसी से अपने देश में अनेकता में भी एकता है ।

अंडमान में तो एक घर में ही कई प्रदेश के लोग मिल जाते है ।

कहने का मतलब है कि अपने देशवासियों को प्रवासी कहना क्या सही है ।

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