हर कोई चाहता है
इस भीषण गरमी से राहत पाना । 😀
पर लगता है इन्द्र देव अभी कृपा करने के मूड में नहीं है । आते भी है तो वायु देव उन्हें उड़ाकर ले जाते है । आजकल तो तापमान पढ़ने की ज़रूरत ही नहीं है बाहर की खिली हुई धूप देखकर ही अंदाजा हो जाता है । सुबह सबेरे से ही सूर्य देव अपनी कृपा बरसाने लगते है तो भला दिन में वायु देव कैसे पीछे रहें । 😊
दोपहर तो दूर की बात है दस बजे के बाद तो ऐसा लगता है मानो बारह बज गये हों । और लू का तो अपना ही मिज़ाज है । आजकल तो ए.सी.का ज़माना है पर चूंकि गरमी इतनी ज़्यादा होने लगी है कि बहुत बार ए.सी. भी असर कम करता है । पर एक समय था जब खस के परदे ( जिन्हें बीच बीच में पानी से तर किया जाता था )और कूलर से ही इतनी ठंडक मिल जाती थी कि दिन की गरमी का एहसास ही नहीं होता था और रात तो छत पर सोने में मज़े से गुज़र जाती थी ।
आज सुबह ही हम अख़बार में पढ़ रहे थे कि प्लास्टिक की वजह से गरमी और लू दोनों ज़्यादा होने लगी है । पर हम लोग ये कैसे भूल जाते है कि दिनों दिन पेड़ों की संख्या घटती जा रही है । जब पेड़ नहीं होगें तो बारिश कैसे होगी । अब जब बारिश नहीं होगी तो गरमी से बचने का उपाय तो ख़ुद ही करना होगा ।
लू तो तब भी चलती थी और और अब भी चलती है । तब घर में कहा जाता था कि धूप में बाहर निकलने से पहले खूब पानी पी कर जाओ,प्याज़ ज़रूर खाओ, सत्तू और आम की चटनी का मिला हुआ एक तरह का ड्रिंक पीने से लू नहीं लगती है । हड़का पानी मतलब आम पन्ना तथा बेल और फ़ालसे ,तरबूज़ का ठंडा शरबत ,नींबू पानी गरमी से राहत देता है । ऑरेंज स्कवैश ,ठंडाई मैंगो शेक जैसी पीने की चीज़ें हमेशा घर पर बनती रहती थी ।
हालाँकि बेल और फ़ालसे ,तरबूज़ का शरबत और सत्तू वाला ड्रिंक और आम पन्ना तो आज भी पीना चाहिये । अब अगर गरमी से राहत पानी है तो घर में रहो या घर से बाहर रहें पानी तो खूब पीना पीजिये । तरबूज़,ख़रबूज़,खीरा,ककड़ी,खूब खाइये ।
वैसे हर साल ये कहा जाता है कि इस बार बहुत गरमी पड़ रही है । 🙂
पर लगता है इन्द्र देव अभी कृपा करने के मूड में नहीं है । आते भी है तो वायु देव उन्हें उड़ाकर ले जाते है । आजकल तो तापमान पढ़ने की ज़रूरत ही नहीं है बाहर की खिली हुई धूप देखकर ही अंदाजा हो जाता है । सुबह सबेरे से ही सूर्य देव अपनी कृपा बरसाने लगते है तो भला दिन में वायु देव कैसे पीछे रहें । 😊
दोपहर तो दूर की बात है दस बजे के बाद तो ऐसा लगता है मानो बारह बज गये हों । और लू का तो अपना ही मिज़ाज है । आजकल तो ए.सी.का ज़माना है पर चूंकि गरमी इतनी ज़्यादा होने लगी है कि बहुत बार ए.सी. भी असर कम करता है । पर एक समय था जब खस के परदे ( जिन्हें बीच बीच में पानी से तर किया जाता था )और कूलर से ही इतनी ठंडक मिल जाती थी कि दिन की गरमी का एहसास ही नहीं होता था और रात तो छत पर सोने में मज़े से गुज़र जाती थी ।
आज सुबह ही हम अख़बार में पढ़ रहे थे कि प्लास्टिक की वजह से गरमी और लू दोनों ज़्यादा होने लगी है । पर हम लोग ये कैसे भूल जाते है कि दिनों दिन पेड़ों की संख्या घटती जा रही है । जब पेड़ नहीं होगें तो बारिश कैसे होगी । अब जब बारिश नहीं होगी तो गरमी से बचने का उपाय तो ख़ुद ही करना होगा ।
लू तो तब भी चलती थी और और अब भी चलती है । तब घर में कहा जाता था कि धूप में बाहर निकलने से पहले खूब पानी पी कर जाओ,प्याज़ ज़रूर खाओ, सत्तू और आम की चटनी का मिला हुआ एक तरह का ड्रिंक पीने से लू नहीं लगती है । हड़का पानी मतलब आम पन्ना तथा बेल और फ़ालसे ,तरबूज़ का ठंडा शरबत ,नींबू पानी गरमी से राहत देता है । ऑरेंज स्कवैश ,ठंडाई मैंगो शेक जैसी पीने की चीज़ें हमेशा घर पर बनती रहती थी ।
हालाँकि बेल और फ़ालसे ,तरबूज़ का शरबत और सत्तू वाला ड्रिंक और आम पन्ना तो आज भी पीना चाहिये । अब अगर गरमी से राहत पानी है तो घर में रहो या घर से बाहर रहें पानी तो खूब पीना पीजिये । तरबूज़,ख़रबूज़,खीरा,ककड़ी,खूब खाइये ।
वैसे हर साल ये कहा जाता है कि इस बार बहुत गरमी पड़ रही है । 🙂
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