पापा
परिवार में माँ और पापा दोनों का स्थान बराबर होता है । पापा एक ऐसा स्तंभ जिसकी छत्र छाया में हम बच्चे बडे होते है । पिताजी,पापा,बाबूजी जैसे ये सारे सम्बोधन हमें ये एहसास दिलाते है कि हमारे सिर पर उनका प्यार भरा हाथ है । और हम बिना किसी चिन्ता या फ़िकर के रहते है क्योंकि हमें पता है कि हम तक पहुँचने से पहले उस चिन्ता या परेशानी को पापा से होकर गुज़रना है ।
हमारे पापा से ना केवल है हम भाई बहन बल्कि हमारे सभी कज़िन भी बहुत खुलकर बात कर लेते थे क्योंकि ना तो मम्मी ने और ना ही पापा ने कभी हम बच्चों से कोई दूरी रकखी । हम लोगों को कोई भी परेशानी होती तो झट से पापा को बताते थे । कभी कभी मम्मी हम लोगों को ज़रूर डाँटती थी और पिटाई भी कर देती थी पर पापा ने कभी भी हम लोगों को डाँटा हो ,ऐसा कभी याद हुआ । कई बार मम्मी कहती भी थी कि बच्चों को कभी कभी डाँटा भी करिये । पर पापा तो पापा ही थे ।
बचपन से हम सब की आदत थी कि जब पापा शाम को घर आते थे तो सारा परिवार उनके कमरे में बैठता था और एक डेढ़ घंटे खूब बातें हुआ करती थी ।पापा अपने क़िस्से सुनाते और हम सब अपनी बातें बताते थे । बाद में जब हम सबकी शादी हो गई तब भी जब हम लोग घर जाते तो यही सिस्टम रहता । ना मम्मी और ना ही कभी पापा ने कहा कि वो थके हुए है इसलिये अभी बात नहीं करेंगे । पिकचर देखना हो चाहे होटेल में खाना हों ,इस सबकी आदत हम लोगों में पापा से ही आई है क्योंकि पापा ने हम लोगों को खूब पिकचर दिखाई और होटल मे खाना खूब खिलाया है । 😋
हमारे ससुर जी यूँ तो कम बात करते थे पर हाँ खाने के बाद डाइनिंग टेबल पर ज़रूर आधे घंटे तक बातें हुआ करती थी ।
आज हमारे बेटे भी अपने पापा से खूब बात करते है । हमने भी हमेशा ये ध्यान रकखा कि बच्चे हमेशा पापा से बात करें क्योंकि अगर आपस में बातचीत ना हो तो आदर के साथ साथ एक दूरी सी हो जाती है । जोकि हमारे विचार से अच्छा नहीं है ।
तो आज फादर्स डे के दिन की पोस्ट पापा लोगों को समर्पित । 🙏
हमारे पापा से ना केवल है हम भाई बहन बल्कि हमारे सभी कज़िन भी बहुत खुलकर बात कर लेते थे क्योंकि ना तो मम्मी ने और ना ही पापा ने कभी हम बच्चों से कोई दूरी रकखी । हम लोगों को कोई भी परेशानी होती तो झट से पापा को बताते थे । कभी कभी मम्मी हम लोगों को ज़रूर डाँटती थी और पिटाई भी कर देती थी पर पापा ने कभी भी हम लोगों को डाँटा हो ,ऐसा कभी याद हुआ । कई बार मम्मी कहती भी थी कि बच्चों को कभी कभी डाँटा भी करिये । पर पापा तो पापा ही थे ।
बचपन से हम सब की आदत थी कि जब पापा शाम को घर आते थे तो सारा परिवार उनके कमरे में बैठता था और एक डेढ़ घंटे खूब बातें हुआ करती थी ।पापा अपने क़िस्से सुनाते और हम सब अपनी बातें बताते थे । बाद में जब हम सबकी शादी हो गई तब भी जब हम लोग घर जाते तो यही सिस्टम रहता । ना मम्मी और ना ही कभी पापा ने कहा कि वो थके हुए है इसलिये अभी बात नहीं करेंगे । पिकचर देखना हो चाहे होटेल में खाना हों ,इस सबकी आदत हम लोगों में पापा से ही आई है क्योंकि पापा ने हम लोगों को खूब पिकचर दिखाई और होटल मे खाना खूब खिलाया है । 😋
हमारे ससुर जी यूँ तो कम बात करते थे पर हाँ खाने के बाद डाइनिंग टेबल पर ज़रूर आधे घंटे तक बातें हुआ करती थी ।
आज हमारे बेटे भी अपने पापा से खूब बात करते है । हमने भी हमेशा ये ध्यान रकखा कि बच्चे हमेशा पापा से बात करें क्योंकि अगर आपस में बातचीत ना हो तो आदर के साथ साथ एक दूरी सी हो जाती है । जोकि हमारे विचार से अच्छा नहीं है ।
तो आज फादर्स डे के दिन की पोस्ट पापा लोगों को समर्पित । 🙏
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