उफ़्फ़ ये पाबंदी

अब पाबंदी चाहे किसी चीज़ की हो बुरी लगती ही है । फिर वो चाहे देर रात तक बाहर घूमने की हो या कहीं आने जाने की पाबंदी हो । घरवालों द्वारा लगाई पाबंदी हो या चाहे डाक्टर के द्वारा लगाई पाबंदी ही क्यूँ ना हो । किसी को भी पाबंदी में रहना पसंद नहीं आता है । कुछ पाबंदी में तो कभी कभी ढील भी मिल जाती है पर कुछ में तो ढील मिलना तो दूर कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं होता है और झक मार कर हमें उसी पाबंदी में रहना पड़ता है ।

हालाँकि आजकल पाबंदी का कोई ख़ास मतलब नहीं रह गया है पर फिर भी कुछ पाबंदी अपनेआप ही लागू हो जाती है ।

ज़्यादा सोचने विचारने की ज़रूरत नहीं है हम कोई दार्शनिक पोस्ट नहीं लिख रहे है बल्कि वहाटसऐप की लगाई पाबंदी के बारे में बात कर रहे है । हँसने की ज़रूरत नहीं है । 😃

अब पहले तो एक बार में जितने चाहे उतने लोगों को मैसेज फ़ॉरवर्ड कर दो कोई पूछने वाला नहीं था । सुबह एक ही बार में पंद्रह बीस गुरूप में गुड मॉरनिंग का मैसेज चला जाता था । पर अब तो एक बार में पाँच मैसेज की पाबंदी लगा दी गई है । और इसके तहत एक बार में पाँच से ज़्यादा लोगों को मैसेज भेज ही नहीं सकते है । बार बार पाँच पाँच करके मैसेज ,फ़ोटो भेजनी पड़ती है और बार बार ये भी देखना पड़ता है कि कहीं एक ही जगह दो बार मैसेज ना चला जाये । 😗


और पहले कई बार तो मैसेज ऐसे लिखे होते थे कि लगता था कि मानो भेजने वाले ने स्वयं ही लिखा हो । पर अब तो जो भी मैसेज आते है या जिन्हें हम भेजते है सब पर फ़ॉरवर्ड लिखा होता है । मतलब फ़ुल ट्रान्स्पेरेंसी ।

फ़ालतू में हम लोगों का काम बढ़ा दिया वहाटसऐप की इस पाँच की पाबंदी नें । 😏




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