संजू एक फ़िल्म
हमने संजू देखी और इसमें कोई दो राय नहीं है कि रनबीर कपूर ने बहुत ही अच्छी एक्टिंग की है । जिस तरह से संजय दत्त के स्टाइल में हाथ ढीले छोड़कर चलना ,सिर को थोड़ा हिलाकर डायलॉग बोलना और कैसे यंग संजय दत्त के लिये वज़न कम करना और बाद में बड़ा परिपक्व दिखने के लिये वज़न बढ़ाना । रनबीर कपूर की जितनी तारीफ़ की जाय उतनी कम है ।
कहानी तो सभी को संजय दत्त की मालूम है कि एक समय में वो ड्रग्स एडिकट था और कैसे टाडा में गन रखने के लिये उस पर केस चला और सज़ा हुई । और इस दौरान उसकी जिंदगी में क्या क्या घटित हुआ ये तो हम सभी पढ़ते और जानते रहे है ।
इस फ़िल्म से संजय दत्त को एक तरह से भटका हुआ दिखाया है । ठीक है बहुत बार माँ बाप ग़लत भी हो सकते है पर उसका मतलब ये नहीं होता है कि आप गलत रास्ते पर चल दें । और उस ग़लती का परिणाम ना केवल वो बल्कि उसके माँ बाप को भी झेलना पड़ता है ।
ड्रग्स के बारे में तो कहा ही जाता है कि इसको मज़े या दुख दर्द को भुलाने के लिये लेना तो आसान है पर इसके चंगुल से निकलना बहुत मुश्किल है । और इसको बख़ूबी फ़िल्म में दिखाया गया है ।
अपनी हिफ़ाज़त के लिये गन रखना सोचें तो ठीक भी है और ग़लत भी है । हो सकता है उस समय के हालात पिता और बहनों की सुरक्षा के लिये उसे गन रखने की ज़रूरत महसूस हुई होगी। पर फिर भी । क्योंकि अगर हर कोई इस तरह गन रखने लगे तो क्या होगा ।
हरेक की जिंदगी में बहुत सारे उतार चढ़ाव आते है पर इसका मतलब ये कहीं नहीं होता कि आप हर बार ग़लत रास्ते पर ही जाओ । अगर फ़िल्म में दिखाया है कि सुनील दत्त बार बार संजय दत्त को ग़लत काम या ग़लत रास्ते पर जाने से रोकते है पर हर बार संजय दत्त एक और ग़लत काम में उलझ जाता है । तो असल जिंदगी में सुनील दत्त को कितनी तकलीफ़ हुई होगी ।
कैसे एक पिता अपने भटके हुये बेटे को सही रास्ते पर लाने के लिये कितने जतन करता है इस किरदार में परेश रावल ने ठीक अभिनय किया है पर संजय दत्त के दोस्त कमलेश के रूप में विक्की कौशल नें कमाल की एक्टिंग की है । नरगिस के छोटे से रोल में मनीषा कोईराला ठीक लगी बाक़ी और हीरोइनें भी ठीक ठाक है पर अनुष्का शर्मा का हेयर स्टाइल उसके चेहरे पर कुछ सूट नहीं कर रहा था , अजीबोग़रीब सा ।
फ़िल्म एक बार देखने लायक तो है ।
कहानी तो सभी को संजय दत्त की मालूम है कि एक समय में वो ड्रग्स एडिकट था और कैसे टाडा में गन रखने के लिये उस पर केस चला और सज़ा हुई । और इस दौरान उसकी जिंदगी में क्या क्या घटित हुआ ये तो हम सभी पढ़ते और जानते रहे है ।
इस फ़िल्म से संजय दत्त को एक तरह से भटका हुआ दिखाया है । ठीक है बहुत बार माँ बाप ग़लत भी हो सकते है पर उसका मतलब ये नहीं होता है कि आप गलत रास्ते पर चल दें । और उस ग़लती का परिणाम ना केवल वो बल्कि उसके माँ बाप को भी झेलना पड़ता है ।
ड्रग्स के बारे में तो कहा ही जाता है कि इसको मज़े या दुख दर्द को भुलाने के लिये लेना तो आसान है पर इसके चंगुल से निकलना बहुत मुश्किल है । और इसको बख़ूबी फ़िल्म में दिखाया गया है ।
अपनी हिफ़ाज़त के लिये गन रखना सोचें तो ठीक भी है और ग़लत भी है । हो सकता है उस समय के हालात पिता और बहनों की सुरक्षा के लिये उसे गन रखने की ज़रूरत महसूस हुई होगी। पर फिर भी । क्योंकि अगर हर कोई इस तरह गन रखने लगे तो क्या होगा ।
हरेक की जिंदगी में बहुत सारे उतार चढ़ाव आते है पर इसका मतलब ये कहीं नहीं होता कि आप हर बार ग़लत रास्ते पर ही जाओ । अगर फ़िल्म में दिखाया है कि सुनील दत्त बार बार संजय दत्त को ग़लत काम या ग़लत रास्ते पर जाने से रोकते है पर हर बार संजय दत्त एक और ग़लत काम में उलझ जाता है । तो असल जिंदगी में सुनील दत्त को कितनी तकलीफ़ हुई होगी ।
कैसे एक पिता अपने भटके हुये बेटे को सही रास्ते पर लाने के लिये कितने जतन करता है इस किरदार में परेश रावल ने ठीक अभिनय किया है पर संजय दत्त के दोस्त कमलेश के रूप में विक्की कौशल नें कमाल की एक्टिंग की है । नरगिस के छोटे से रोल में मनीषा कोईराला ठीक लगी बाक़ी और हीरोइनें भी ठीक ठाक है पर अनुष्का शर्मा का हेयर स्टाइल उसके चेहरे पर कुछ सूट नहीं कर रहा था , अजीबोग़रीब सा ।
फ़िल्म एक बार देखने लायक तो है ।
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