दोहरा मापदंड क्यों ?
आज का दिन यानी की पच्चीस जुलाई को दो बिल्कुल विरोधी घटनाएं हुई है और दोनो घटनाएं हमारे देश की दो महिलाओं से जुडी है। एक मे महिला को उच्च सम्मान मिला तो दूसरे मे महिला को वो सम्मान नही मिला जिसकी वो हकदार है।
पहली महिला जिन्हे उच्च सम्मान मिला वो प्रतिभा पाटिल है जो शायद भारत की पहली महिला गवर्नर थी और वही प्रतिभा पाटिल आज भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनी और जिन्होंने आज राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की है। ये हमारे देश के लिए गौरव की बात है।
और दूसरी महिला है किरण बेदी जो की देश की पहली महिला I.P.S.थी पर आज उन्हें दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नही बनाया गया बल्कि उनकी जगह वाई .एस .ददवाल को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया जबकि किरण बेदी ददवाल से दो साल सीनियर भी है। जो शायद शर्म की बात है।
इस तरह का दोहरा मापदंड रखने का क्या कारण है ?
पहली महिला जिन्हे उच्च सम्मान मिला वो प्रतिभा पाटिल है जो शायद भारत की पहली महिला गवर्नर थी और वही प्रतिभा पाटिल आज भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनी और जिन्होंने आज राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण की है। ये हमारे देश के लिए गौरव की बात है।
और दूसरी महिला है किरण बेदी जो की देश की पहली महिला I.P.S.थी पर आज उन्हें दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नही बनाया गया बल्कि उनकी जगह वाई .एस .ददवाल को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बनाया गया जबकि किरण बेदी ददवाल से दो साल सीनियर भी है। जो शायद शर्म की बात है।
इस तरह का दोहरा मापदंड रखने का क्या कारण है ?
Comments
ईमानदारी बहुत अच्छी है, पर सिर्फ किताबों मे रहने दो इसको.
something good and she really has a clear diction
किरण बेदी
she will fight her case . few people get everything after a fight and she is one of them a true warior
,कठपुतली ओर चम्च्चे तो हर तरफ़ हे
मुझे किरण बेदी का ये कहना कि मैं सीनियर थी इसी लिये मुझे बनाना चाहिये था बिलकुल बेवकूफी की दलील लगी - और, ये एक सरकारी कर्मचारी की मानसिकता को झलकाती है. अगर बेदी को कुछ कहना ही था तो ये कि मैं अधिक योग्य हूँ और मेरा सर्विस रेकार्ड ज्यादा 'रिजल्ट ओरियेंटेड' रहा है.