एक बार फिर घूम आये ताज महल
ताज महल यूं तो हम सभी ताज महल के बारे मे जानते है। पर फिर भी आज हमने सोचा की क्यों ना ताज महल के बारे मे ही कुछ लिखा जाये । वो क्या है ना कि अभी हाल ही हम हमारी दीदी और बच्चे आगरा गए थे ताज महल देखने। ऐसा नही है कि हम पहली बार ताज महल देखने गए थे। इससे पहले भी कई बार हम ताज महल देख चुके है पर हर बार जब भी जाते है कुछ नया ही देखने को मिलता है। जैसे पहले तो कार बिल्कुल ताज महल के गेट तक जाती थी पर अबकी देखा कि सब कार ताज महल से करीब आधा कि.मी.पहले ही रोक दी जाती है और फिर वहां से बैटरी चालित बस से ताज महल के गेट तक जाना पड़ता है। क्यूंकि ये सुप्रीम कोर्ट का आर्डर है ताज महल को प्रदुषण से बचाने के लिए।बस गेट पर टिकट खरीदिये और चल दीजिए ताज महल देखने। तो हम लोगों ने भी अपनी कार पार्किंग मे छोडी और चल दिए बैटरी चालित बस से ताज महल के गेट पर ,वहां से टिकट लेकर जैसे ही सिक्यूरिटी चेक करा कर आगे बढ़े कि एक गाइड ने पूछा कि गाइड चाहिऐ क्या।
यूं तो हम सभी जानते है कि शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल के लिए ताज महल बनवाया था जो उनकी मुहब्बत की निशानी है। ताज महल सफ़ेद मार्बल से बनाया गया है पर क्या आप जानते है और अगर जानते भी है तो भी हम बता देते है कि ये सारा मार्बल शाहजहाँ ने खुद खरीदा नही था बल्कि राजस्थान के राजा ने उन्हें उपहार स्वरूप भेट किया था। खैर गाइड के पूछने पर हम लोगों ने सोचा की चलो इस बार गाइड के साथ-साथ ताज महल के बारे मे क्यों ना जान जाये। ऐसा सोचकर उस गाइड को साथ लिया और चल दिए चान्दिनी रात मे घूमने के लिए अरे मतलब चिलचिलाती धूप मे। हम लोग थोडा धीरे-धीरे चलते हुए फोटो ले रहे थे तभी गाइड ने कहा कि हम लोग थोडा तेज चले और वहां शेड मे खडे हो जाएँ तो वो हमे ताज महल के बारे मे बतायेगा। अब जब गाइड लिया था तो उसकी बात भी माननी थी सो हम लोग पेड़ कि छांव मे खडे मुख्य गए तो उसने बताना शुरू किया कि ताज महल के चार दरवाजे है। अकबरी गेट ,फतेहपुरी गेट,लेबर कॉलोनी गेट (जहाँ ताज महल बनाने वाले मजदूर रहते थे )और ईस्टर्न गेट । फिर उसने चारों ओर बनी एक सी ईमारत को दिखा कर बताया कि ये सराय की तरह है जहाँ बाहर से लोग आकर ठहरते थे।
मुख्य द्वार पर बने गुम्बद की ओर इशारा करते हुए कहा की ये देखने मे तो ग्यारह लग रहे है पर असल मे ये बाईस है क्यूंकि दरवाजे के दूसरी ओर भी ग्यारह बने हुए है।यहां से जैसे ही हम लोग मुख्य दरवाजे के अन्दर दाखिल हुए की गाइड ने हम लोगों को रोककर बताया की अगर सामने दिख रहे ताज महल को देखते हुए आगे की तरफ चलते है तो ऐसा लगता है की ताज महल पीछे जा रहा है। और अगर ताज महल को देखते हुए पीछे की तरफ चलते है तो ताज महल पास आता लगता है। अब जब गाइड ने ऐसा कहा तो जाहिर सी बात है की हम लोगों ने भी चलकर देखा और ये महसूस किया की ताज महल पास आता और दूर जाता लगा। ये कोई भ्रम था या कुछ और ये हम नही कह सकते है।ये फोटो मुख्य द्वार से खीची गयी है।
जब यहां से थोडा और आगे बढ़े तो गाइड ने एक बेंच दिखाई जहाँ बैठकर लोग फोटो खीचते और खीचाते है। और गाइड ने बताया की इस बेंच को प्रिंसेस डायना के नाम से जोडा गया है क्यूंकि जब वो भारत आयी थी तो उसने वहां दो घंटे तक फोटो खीचवायी थी। वहां से थोडा और आगे बढने पर उसने बताया की वहां पर सोलह बगीचे और चौव्वन फव्वारे है और ये सारे फव्वारे एक लाईन मे बने है।और जब हमने देखा तो पाया की वाकई मे सारे फव्वारे बिल्कुल एक सीध मे है।पर आश्चर्य की बात कि एक भी फव्वारा चल नही रहा था और जब गाइड से इसका कारण पूछा तो उसने कहा कि चूंकि अभी दो दिन पहले सफ़ाई हुई है इसीलिये नही चल रहा है। वैसे इससे पहले जब हम ताज महल देखने गए थे तो लोगों को फव्वारे के पानी मे पैर डालते देखा था जो ठीक नही था।
गाइड ने ताजमहल की बाउंड्री वाल को दिखाकर बताया की वो १३० फ़ीट उँची है । और ताज के ऊपर जो ब्रास लगा है उसकी ऊंचाई ३० फ़ीट है हालांकि वो देखने मे ज्यादा ऊंचा नही लगता है। फिर वहां से बाईस सीढियाँ (बिल्कुल खडी-खडी सीढियाँ )चढ़कर ऊपर पहुंचे तो वहां ताज के चारों ओर जो पिलर है उन्हें दिखाकर कर उसने बताया की ये पिलर थोड़े बाहर की ओर झुके हुए है जिससे अगर कभी कुछ हो जैसे भूकंप वगैरा तो ये पिलर बाहर की ओर गिरे जिससे ताज महल को कोई नुकसान ना हो। ताज महल के अन्दर अब तो सिर्फ शाहजहाँ और मुमताज महल की कब्र की रिप्लिका ही देखी जा सकती है क्यूंकि पहले जिन सीढ़ियों से नीचे जाकर उनकी कब्र देखी जाती थी वो सीढियाँ अब बंद कर दी गयी है। यूं तो बाहर बडे-बडे शब्दों मे लिखा है की ताज महल के अन्दर फोटो खीचना मना है पर लोग फोटो खीचने से कहॉ बाज आते है। अन्दर गाइड ने एक दीवार पर बने फूल को दिखाकर कहा ही बायीं ओर जहाँ उस फूल को सीधा बनाया गया है वहां तो ॐ लिखा लगता है और दाईं ओर जहाँ फूल को उल्टा बनाया है वहां अल्लाह लिखा हुआ लगता है।
ताज महल से बाहर निकल कर हम लोग पीछे की ओर गए जहाँ हम ऐसा कह सकते है की कभी यमुना बहती थी पर अब तो यमुना बस नाम की ही रह गयी है। यहां पर गाइड ने बताया की शाह जहाँ एक काला ताज महल भी बनवाना चाहता था पर औरंगजेब ने इसे रूपये की बर्बादी समझा । ताज महल के एक ओर मस्जिद है तो दूसरी ओर गेस्ट हाउस। ताज महल से जब बाहर के मुख्य द्वार की तरफ देखे तो बहुत ही सुन्दर नजारा दिखता है। जैसा की इस फोटो मे आप देख सकते है।
और हाँ उस गाइड का नाम राजू गाइड है और वो गाइड होने के साथ-साथ फोटो भी अच्छी खीचता है।
Comments
एसा लगा कि हमने भी ताजमहल घूम लिया
बाक़ी सब लोग सुन लो भई, जो भी आगरा का रुख़ करे तो मुझे ई-मेल करके ज़रूर इत्तला कर दे।
धन्यवाद।
और प्रतीक, ममता जी ने तो गलत कर दिया, उम्मीद करता हूँ कि मुझसे ये गलती न हो :)