टिप्पणियों का महत्त्व
ये चिठ्ठा जगत भी अजीब जगह है ये वो जगह है जहाँ हर कोई अपने मन की बात बेख़ौफ़ होकर लिख सकता है । जहाँ कोई भी अपना ब्लौग बना सकता है और उसपर हर रोज किसी भी विषय पर अपने विचार अपनी पोस्ट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर सकता है। पर अपने विचार लिखकर पोस्ट कर देने मात्र से ही कुछ नही होता है। अगर कोई भी उसे पढ़ेगा नही तो फिर लिखने का क्या फायदा।और अगर किसे ने पोस्ट पढी और बस चुपचाप बिना कुछ कहे मतलब बिना टिप्पणी किये चला जाता है तो फिर उस पोस्ट को लिखने वाले को ये कैसे पता चलेगा की वो जो कुछ भी लिख रहा है वो लोगों को कैसा लग रहा है। लोग उसके लिखे को पसंद करते है या नही।क्यूंकि टिप्पणी ही एकमात्र ऐसा जरिया है जिसमे आप चिठ्ठा लिखने वाले की तारीफ (अगर मन हो तो ) कर सकते है और लिखने वाले की बुराई भी कर सकते है। पर यकीन मानिए ये टिप्पणियां ही लिखने वाले का हौसला बनाए रखती है इसका हमने अपनी ब्लॉगिंग के तीन महीने मे जिक्र भी किया था की उन शुरूआती दिनों मे उन्मुक्त जी की पहली टिप्पणी ने हमारी किस तरह से हौसला अफजाई करी थी।
यूं जो भी इस चिठ्ठा जगत मे अपने चिठ्ठे लिखते है वो चाहे किसी भी साईट पर हो हमेशा ये जरूरदेखते है की किसी ने उसकी लिखी पोस्ट परटिप्पणी करी है या नही ,या कितने लोगों ने उसकी लिखी पोस्ट को पढा है । जो लोग पिछले कुछ सालों से चिठ्ठे लिख रहे है हो सकता भी एक इन बातों से कोई फर्क ना पड़ता हो ।पर अगर पोस्ट पर कोई टिप्पणी ना हो तो ये अफ़सोस होता है और ये भी लगता है की शायद हमने जो लिखा है वो इस लायक ही नही था की उस पर कोई टिप्पणी करें।ऐसा भी कई बार हमारे साथ हुआ है मतलब हमारी कुछ पोस्ट पर कोई टिप्पणी ही नही है। और अब जब आप लोगों द्वारा हमारी पोस्ट परटिप्पणी की जाती है तो ये हमारी खुशनसीबी है की हम जो कुछ भी लिखते है उसे आप लोग पढ़ते है और उस पर टिप्पणी भी करते है। आप सबकी जर्रानवाजी का शुक्रिया।
हमारे जैसे नए चिट्ठाकारों को तो ऐसी टिप्पणियों का ही सहारा होता है। पर कई बार टिप्पणी पढ़कर दुःखी भी होते है जैसे एक बार हमने जब टेस्टिंग-टेस्टिंग की पोस्ट डाली थी क्यूंकि उस समय हमारे ब्लॉग मे कुछ प्रॉब्लम आ रही थी जिसे टेस्ट करने के लिए ही हमने वो टेस्टिंग वाली पोस्ट डाली थी। तो कई लोगों ने टिप्पणी की थी ,काफी मजेदार टिप्पणियां थी पर एक टिप्पणी मे शायद दस बार हिट लेने का अच्छा तरीका है।ये लिखा था। जिसे पढ़कर हमे बहुत दुःख हुआ था क्यूंकि एक तो हम बिल्कुल नए थे और दूसरे हमे इस सबके बारे ज्यादा पता नही था। क्यूंकि वो पोस्ट हमने हिट के लिए नही पोस्ट किया था बल्कि हमारे ब्लॉग मे कुछ प्रॉब्लम आ रही थी। और इस प्रॉब्लम को चेक करने के लिए ही हमने टेस्टिंग-टेस्टिंग वाली पहली पोस्ट डाली थी। और ये पढ़कर की हमने पोस्ट हिट के लिए लिखा है हमने कुछ ग़ुस्से और दुःख मे अपनी वो पोस्ट ही हटा दी और एक और पोस्ट सिर्फ एक लाईन टेस्टिंग-टेस्टिंग नाम की पोस्ट लिखी ।और इस एक लाईन की पोस्ट पर समीर जी की टिप्पणी थी। उस समय तो हमने पोस्ट हटा दी पर बाद मे हमे इस पोस्ट को हटाने का बड़ा दुःख हुआ ,क्यूंकि ये तो बाद मे समझ आया की हर पोस्ट और उसपर की गयी टिप्पणी का कितना महत्त्व है।
ओह्हो अभी भी नही समझे ,अरे भाई आप सबकी टिप्पणियों की बदौलत हमने भी सौ नम्बर पा लिए है।
यूं जो भी इस चिठ्ठा जगत मे अपने चिठ्ठे लिखते है वो चाहे किसी भी साईट पर हो हमेशा ये जरूरदेखते है की किसी ने उसकी लिखी पोस्ट परटिप्पणी करी है या नही ,या कितने लोगों ने उसकी लिखी पोस्ट को पढा है । जो लोग पिछले कुछ सालों से चिठ्ठे लिख रहे है हो सकता भी एक इन बातों से कोई फर्क ना पड़ता हो ।पर अगर पोस्ट पर कोई टिप्पणी ना हो तो ये अफ़सोस होता है और ये भी लगता है की शायद हमने जो लिखा है वो इस लायक ही नही था की उस पर कोई टिप्पणी करें।ऐसा भी कई बार हमारे साथ हुआ है मतलब हमारी कुछ पोस्ट पर कोई टिप्पणी ही नही है। और अब जब आप लोगों द्वारा हमारी पोस्ट परटिप्पणी की जाती है तो ये हमारी खुशनसीबी है की हम जो कुछ भी लिखते है उसे आप लोग पढ़ते है और उस पर टिप्पणी भी करते है। आप सबकी जर्रानवाजी का शुक्रिया।
हमारे जैसे नए चिट्ठाकारों को तो ऐसी टिप्पणियों का ही सहारा होता है। पर कई बार टिप्पणी पढ़कर दुःखी भी होते है जैसे एक बार हमने जब टेस्टिंग-टेस्टिंग की पोस्ट डाली थी क्यूंकि उस समय हमारे ब्लॉग मे कुछ प्रॉब्लम आ रही थी जिसे टेस्ट करने के लिए ही हमने वो टेस्टिंग वाली पोस्ट डाली थी। तो कई लोगों ने टिप्पणी की थी ,काफी मजेदार टिप्पणियां थी पर एक टिप्पणी मे शायद दस बार हिट लेने का अच्छा तरीका है।ये लिखा था। जिसे पढ़कर हमे बहुत दुःख हुआ था क्यूंकि एक तो हम बिल्कुल नए थे और दूसरे हमे इस सबके बारे ज्यादा पता नही था। क्यूंकि वो पोस्ट हमने हिट के लिए नही पोस्ट किया था बल्कि हमारे ब्लॉग मे कुछ प्रॉब्लम आ रही थी। और इस प्रॉब्लम को चेक करने के लिए ही हमने टेस्टिंग-टेस्टिंग वाली पहली पोस्ट डाली थी। और ये पढ़कर की हमने पोस्ट हिट के लिए लिखा है हमने कुछ ग़ुस्से और दुःख मे अपनी वो पोस्ट ही हटा दी और एक और पोस्ट सिर्फ एक लाईन टेस्टिंग-टेस्टिंग नाम की पोस्ट लिखी ।और इस एक लाईन की पोस्ट पर समीर जी की टिप्पणी थी। उस समय तो हमने पोस्ट हटा दी पर बाद मे हमे इस पोस्ट को हटाने का बड़ा दुःख हुआ ,क्यूंकि ये तो बाद मे समझ आया की हर पोस्ट और उसपर की गयी टिप्पणी का कितना महत्त्व है।
ओह्हो अभी भी नही समझे ,अरे भाई आप सबकी टिप्पणियों की बदौलत हमने भी सौ नम्बर पा लिए है।
Comments
ऐसे ही अनेकों १०० नम्बरों के लिये शुभकामनायें भी.
:)
कमेन्ट से ब्लाग लिखने वाले की हिम्मत बढ़ती है.
आपको बधाई,
हौसले वाला टानिक लेकर कहीं और पहुंचते हैं न जाने कहां कौन इंतजार कर रहा हो.
शुभकामनाएं
बधाई एवं शुभकामनाएं :)
मिश्रा जी शायद ज्यादा ख़ुशी की वजह से लिखने मे गलती हो गयी है।
अब गलती सुधार ली है।
बड़ा अच्छा लग रहा है बधाई देते. आपकी बहुत सी पोस्टें पढ़ी हैं और सभी अच्छी लगी हैं.
आज यह अपनी फोटो से पहले आपने अपने डॉगी की फोटो लगा रखी है- यह देख अच्छा लग रहा है.
माफ कीजिए, एक और आत्मालाप -
ब्लॉगिग के शुरूआती महीनों में मेरी ऐसी सैकड़ों पोस्टें हैं जहाँ टिप्पणियाँ नहीं मिली थीं और अब भी नहीं हैं. पर ऐसा नहीं है कि लोगों ने नहीं पढ़ा. मेरे विचार में टिप्पणियाँ देने को उत्सुक लोग तभी होते हैं जब कुछ विशेष कहना हो. और वैसे भी, बेबात , वाह बढ़िया है टाइप टिप्पणी का मेरे विचार में वैसे भी कोई महत्व नहीं है.
इसीलिए - कर्मण्येवाधि... :)
जहाँ हर कोई अपने माँ की बात बेख़ौफ़ होकर लिख सकता है
शायद आप मन की बात लिखना चाह रही थीं।
म मता को
सोचा टी वी में दिखेगा
पर बाद में लगा
पता वो तो है ममता
नाम और भाव
दोनों का है जमता
एक मत दूसरा मता.
मत याने टिप्पणी
मता मतलब जो मिली ही नहीं
रवि रतलामी जी ने भी माना
मता उन्हें भी मिली
आरम्भिक पोस्टों पर
वो मता हमें
है अभी भी मिलता.
मता और लता का है
बोलबाला पोस्टों पर
लता टिप्प्णियों की
मता ?