कभी गिनती से जामुन खरीदा है .....
आपको गिनती से जामुन खरीदने का अनुभव हुआ है कि नही हम नही जानते है पर हमें जरुर अनुभव हुआ है । गिनती से जामुन खरीदने का अनुभव हमें हुआ है और वो भी गोवा में । कल की ही बात है हम सब्जी मंडी गए थे और वहां जामुन देख कर जब बेचने वाली से पूछा कैसे दिया ? तो बोली की ४० रूपये मे १०० ।
तो हमने कहा कि किलो मे कैसे ?
तो वो बोली किलो नही ,४० रूपये मे १०० ।
हमने कहा कि इतनी गिनती करोगी तो मुस्काराते हुए सर हिलाकर बोली हाँ ।
और जब हमने कहा कि गड़बड़ तो नही करोगी तो बोली नही ।
और हमारे कहने पर की ठीक है दे दो तो उसने जामुन गिनना शुरू किया और २-३ मिनट मे जामुन से भरा पैकेट हमारे हाथ मे था । :)
कहना पड़ेगा कि बड़े ही एक्सपर्ट अंदाज मे फटाफट गिनती करती है ये जामुन बेचने वाली ।
पहले जामुन कभी गिनती करके नही खरीदा । बनारस ,इलाहाबाद और दिल्ली मे तो दरवाजे पर (घर )जामुन वाला सिर पर टोकरी लिए आता था । बनारस (६०-७० मे ) मे तो जामुन वाले एक स्टैंड सा भी साथ लेकर चलते थे जिसपर वो जामुन की टोकरी रखते थे । और फ़िर जामुन को तौल कर मिटटी की हंडिया मे जामुन और नमक -मसाला मिलाकर झोरता (हिलाता ) था और दोने मे देता था और उस को खाने मे बड़ा ही मजा आता था ।और कोई -कोई जामुन वाले २-३ अलग-अलग माप के लकड़ी का डिब्बा सा भी रखते थे और जितनी की जामुन लेनी हो उसी माप के डिब्बे मे जामुन डालकर नमक लगाकर झोरते थे और फ़िर दोने मे देते थे ।
और दिल्ली मे तो इंडिया गेट के आस-पास थोडी-थोडी दूर पर जामुन बेचते हुए लोग दिखाई देते है । और कई बार तो पेड़ के नीचे चादर फैलाए हुए भी दिखाई देते है क्योंकि बारिश के मौसम मे जब हवा जोर से चलती है तो जामुन को ये लोग चादर पर catch करते है ।और फ़िर ढेर बना कर बेचते है ।आपने तो देखा ही होगा ।
यहाँ तो जामुन मिलनी शुरू हो गई है और हमने खाना भी शुरू कर दिया है और आप लोगों के यहाँ जामुन मिलनी शुरू हुई या नही । :)
तो हमने कहा कि किलो मे कैसे ?
तो वो बोली किलो नही ,४० रूपये मे १०० ।
हमने कहा कि इतनी गिनती करोगी तो मुस्काराते हुए सर हिलाकर बोली हाँ ।
और जब हमने कहा कि गड़बड़ तो नही करोगी तो बोली नही ।
और हमारे कहने पर की ठीक है दे दो तो उसने जामुन गिनना शुरू किया और २-३ मिनट मे जामुन से भरा पैकेट हमारे हाथ मे था । :)
कहना पड़ेगा कि बड़े ही एक्सपर्ट अंदाज मे फटाफट गिनती करती है ये जामुन बेचने वाली ।
पहले जामुन कभी गिनती करके नही खरीदा । बनारस ,इलाहाबाद और दिल्ली मे तो दरवाजे पर (घर )जामुन वाला सिर पर टोकरी लिए आता था । बनारस (६०-७० मे ) मे तो जामुन वाले एक स्टैंड सा भी साथ लेकर चलते थे जिसपर वो जामुन की टोकरी रखते थे । और फ़िर जामुन को तौल कर मिटटी की हंडिया मे जामुन और नमक -मसाला मिलाकर झोरता (हिलाता ) था और दोने मे देता था और उस को खाने मे बड़ा ही मजा आता था ।और कोई -कोई जामुन वाले २-३ अलग-अलग माप के लकड़ी का डिब्बा सा भी रखते थे और जितनी की जामुन लेनी हो उसी माप के डिब्बे मे जामुन डालकर नमक लगाकर झोरते थे और फ़िर दोने मे देते थे ।
और दिल्ली मे तो इंडिया गेट के आस-पास थोडी-थोडी दूर पर जामुन बेचते हुए लोग दिखाई देते है । और कई बार तो पेड़ के नीचे चादर फैलाए हुए भी दिखाई देते है क्योंकि बारिश के मौसम मे जब हवा जोर से चलती है तो जामुन को ये लोग चादर पर catch करते है ।और फ़िर ढेर बना कर बेचते है ।आपने तो देखा ही होगा ।
यहाँ तो जामुन मिलनी शुरू हो गई है और हमने खाना भी शुरू कर दिया है और आप लोगों के यहाँ जामुन मिलनी शुरू हुई या नही । :)
Comments
-----------
तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
हमें ललचा रहे हैं
अभी हमें तो नहीं मिले हैं
पर लगता है गिनती करके ही मिलेंगे।
यह तो शुरूआत है
समय आने वाला है
भिंडी, आलू, टमाटर, प्याज
गिनकर ही मिला करेंगी और
भी बतलाऊं तो हंसना मत
आप भुगतान तो करेंगे तोल कर
और वे बेचेंगे गिनकर
आप और हम मजा लेंगे सूंघकर।
चालीस पैसे का एक जामुन
घुघूती बासूती
नीरज
थोडे दिनो तक मै भारत मै आ रहा हुं कुछ दिनो के लिये, अगर उस सम तक जामुन हुये तो बच्चो के लिये जरुर लाऊगां.
धन्यवाद
अब तो बरसोँ बीत गये हैँ