कहिये कैसी रही आपकी होली
अरे भाई अब होली के बाद पोस्ट लिख रहे है तो आप सबकी होली कैसी रही ये भी तो जानना है ना ।तो बताइये कैसी रही आपकी होली । खेली भी या नही । :)
अब यहाँ गोवा मे पिछले तीन साल से तो हमने होलिका जलते सुना और देखा नही है पर हाँ होली लोग जरुर खूब जोश से खेलते है । अब हम लोगों के घर मे होली के दिन इतना खाना बनता है तो जाहिर सी बात है सुबह उठते ही खाना बनाना शुरू हो जाता है और करीब ११-११.३० बजे खाली होते है । मतलब थक कर चूर ।
इस बार होली के ठीक एक दिन पहले शाम को अचानक हमने होली ना खेलना का मूड बना लिया था पर फ़िर सोचा कि भई होली है और होली खेले बिना होली का मजा कैसा । तो बस हम लोग निकल पड़े अपने दोस्तों के यहाँ होली खेलने ।बस फ़िर क्या था खूब जोर से होली हुई । पहले तो सब लोग जरा शराफत दिखा रहे थे मतलब सिर्फ़ अबीर और गुलाल लगा रहे थे पर फ़िर सभी लोग अपनी असली हरकत पर उतर आए थे ।यानी पानी और रंगों की होली शुरू हो गई थी । वैसे इस बार हमने बाकायदा पिचकारी खरीदी थी और उसी से सबके ऊपर खूब रंग डाला । और फ़िर एक -डेढ़ घंटे खूब होली खेली और फ़िर वहां से खा-पी कर कार मे गोवा की होली देखने निकल पड़े ।
अपने घर से मीरामार beach तक चक्कर लगा कर लौट आए । चारों तरफ़ लोग खुली गाड़ियों मे और लड़के बाईक पर घूमते नजर आ रहे थे ।तो कुछ लोग बड़े-बड़े टेंपो मे ढोल वगैरा बजाते और होली है चिल्लाते भी घूम रहे थे । वैसे इस बार हर बार से ज्यादा लोग सड़क पर होली खेलते दिखे । और army वाले भी अपनी army की बस मे भरकर होली खेलने जाते हुए नजर आए । और इस बार पहली बार देखा कि लोग आने-जाने वालों पर bottle से रंग भी डाल रहे थे ।और सड़कों पर नाचते हुए भी दिख रहे थे । पूरे पंजिम शहर मे बस लोग ही लोग दिख रहे थे पर होली की मस्ती में डूबे हुए पर सभी अपनी हद मे थे ।
होली के दिन भी बाजार मे कुछ दुकाने और कुछ बड़े-बड़े शो रूम खुले हुए थे ।जो वैसे काफ़ी अनयूजुअल सी बात है क्योंकि दिल्ली ,उ.प मे होली की दिन दूकान खुली हो तो लोग दूकान ही लूट ही लें ।सबसे अच्छी बात गोवा की हमें ये लगती है की होली के दिन यहाँ लड़कियां और औरतें अकेली आराम से स्कूटर पर और सड़कों पर घूमती दिख जायेंगी पर ना तो कोई उन्हें तंग करता है और ना ही कोई उन्हें जबरदस्ती रंग लगाता है ।जबकि और जगहों मे ऐसा होगा ये सोचा भी नही जा सकता है ।
वैसे कल यहाँ के अखबारों मे निकला था कि यहाँ पर सबसे ज्यादा होली माइग्रेंट्स ने खेली और साथ ही विदेशी पर्यटकों ने और लोकल लोगों ने भी होली खेली । तो ये थी हमारे गोवा की होली मतलब हमारी होली अच्छी रही । :)
अब यहाँ गोवा मे पिछले तीन साल से तो हमने होलिका जलते सुना और देखा नही है पर हाँ होली लोग जरुर खूब जोश से खेलते है । अब हम लोगों के घर मे होली के दिन इतना खाना बनता है तो जाहिर सी बात है सुबह उठते ही खाना बनाना शुरू हो जाता है और करीब ११-११.३० बजे खाली होते है । मतलब थक कर चूर ।
इस बार होली के ठीक एक दिन पहले शाम को अचानक हमने होली ना खेलना का मूड बना लिया था पर फ़िर सोचा कि भई होली है और होली खेले बिना होली का मजा कैसा । तो बस हम लोग निकल पड़े अपने दोस्तों के यहाँ होली खेलने ।बस फ़िर क्या था खूब जोर से होली हुई । पहले तो सब लोग जरा शराफत दिखा रहे थे मतलब सिर्फ़ अबीर और गुलाल लगा रहे थे पर फ़िर सभी लोग अपनी असली हरकत पर उतर आए थे ।यानी पानी और रंगों की होली शुरू हो गई थी । वैसे इस बार हमने बाकायदा पिचकारी खरीदी थी और उसी से सबके ऊपर खूब रंग डाला । और फ़िर एक -डेढ़ घंटे खूब होली खेली और फ़िर वहां से खा-पी कर कार मे गोवा की होली देखने निकल पड़े ।
अपने घर से मीरामार beach तक चक्कर लगा कर लौट आए । चारों तरफ़ लोग खुली गाड़ियों मे और लड़के बाईक पर घूमते नजर आ रहे थे ।तो कुछ लोग बड़े-बड़े टेंपो मे ढोल वगैरा बजाते और होली है चिल्लाते भी घूम रहे थे । वैसे इस बार हर बार से ज्यादा लोग सड़क पर होली खेलते दिखे । और army वाले भी अपनी army की बस मे भरकर होली खेलने जाते हुए नजर आए । और इस बार पहली बार देखा कि लोग आने-जाने वालों पर bottle से रंग भी डाल रहे थे ।और सड़कों पर नाचते हुए भी दिख रहे थे । पूरे पंजिम शहर मे बस लोग ही लोग दिख रहे थे पर होली की मस्ती में डूबे हुए पर सभी अपनी हद मे थे ।
होली के दिन भी बाजार मे कुछ दुकाने और कुछ बड़े-बड़े शो रूम खुले हुए थे ।जो वैसे काफ़ी अनयूजुअल सी बात है क्योंकि दिल्ली ,उ.प मे होली की दिन दूकान खुली हो तो लोग दूकान ही लूट ही लें ।सबसे अच्छी बात गोवा की हमें ये लगती है की होली के दिन यहाँ लड़कियां और औरतें अकेली आराम से स्कूटर पर और सड़कों पर घूमती दिख जायेंगी पर ना तो कोई उन्हें तंग करता है और ना ही कोई उन्हें जबरदस्ती रंग लगाता है ।जबकि और जगहों मे ऐसा होगा ये सोचा भी नही जा सकता है ।
वैसे कल यहाँ के अखबारों मे निकला था कि यहाँ पर सबसे ज्यादा होली माइग्रेंट्स ने खेली और साथ ही विदेशी पर्यटकों ने और लोकल लोगों ने भी होली खेली । तो ये थी हमारे गोवा की होली मतलब हमारी होली अच्छी रही । :)
Comments
ना होली जलती दिखी ना रंग लगा- लगाया। बड़े शहरों के लोगों के लिये त्यौहारों का मतलब और ज्यादा व्यापार करना है।
पिछले साल की भाँति एक बार फिर से रंग लेकर मायूस बैठा रहा।
आपको होली की हार्दिक बधाई.