कुरता फाड़ होली :)
होली आती है तो अपने साथ ढेरों पुरानी यादें भी ले आती है । वो क्या है जैसे-जैसे बड़े होते जाते है होली खेलने का वो जोश और उत्साह ख़त्म तो नही होता है पर कुछ कम जरुर होने लग जाता है । क्योंकि अगर हम होली जम कर खेलना भी चाहें तो खेलें किसके साथ । खैर होली मे ये सब सोच कर परेशान नही होना चाहिए क्योंकि होली की इतनी सारी यादें जो है रंगने के लिए । :)
ये बात ७७ की है हमारी बड़ी जिज्जी की शादी हुई थी और जैसा की रिवाज है लड़की की पहली होली मायके मे होती है तो जिज्जी और जीजाजी इलाहाबाद पहली होली के लिए आए थे ।हम लोगों के मोहल्ले मे लड़कियों की संख्या ज्यादा थी । एक -दो घर को छोड़ कर हर घर मे ४-५ लड़कियां थी । अब उस जमाने मे तो घरों मे बहुत ज्यादा मिलना जुलना होता था और एक घर के जीजाजी मतलब सारे मोहल्ले के जीजाजी वाला हिसाब था और वो भी इकलौते और नए-नए ।तो जाहिर सी बात है की पूरे मोहल्ले को खबर थी की जीजाजी होली पर आ रहें है । सब लड़कियों ने बड़े-बड़े प्लान बनाए थे की उन्हें कैसे-कैसे रंगा जायेगा । :)
होली के दिन घर मे सुबह से ही आँगन मे बड़े-बड़े ड्रम और हंडों मे रंग घोला गया । एक बड़े से हंडे मे टेसू के फूल भिगाए गए । घर की छोटी-बड़ी बाल्टी मे भी रंग बनाए गए । अबीर-गुलाल थालियों मे रक्खे गए । पर खास मुंह पर लगाने वाले रंग
को जीजाजी से छिपा कर रक्खा गया ।
हम सब बहनों का होली खेलने का प्रोग्राम तो रात मे ही शुरू हो गया था जीजाजी को सोते हुए मे रंग देने का । सुबह नाश्ते के बाद dinning table पर मम्मी ने सबको अबीर-गुलाल लगा कर होली की शुरुआत की और उसके बाद तो होली का हुडदंग शुरू हो गया ।चूँकि हम घर मे सबसे छोटे है तो जाहिर है कि हमारे दोस्त भी बहुत थे क्योंकि हमारे दोस्त तो हमारे थे ही साथ ही बाकी तीनों जिज्जी की दोस्तें भी हमारी दोस्त लिस्ट मे थी । :)
घर मे एक राउंड होली खेल कर हम मोहल्ले मे होली खेलने निकल गए अरे भाई पूरी पलटन को जो इक्कठा करना था । और थोड़ी देर मे हम और पूरी पलटन वापिस घर मे पहुंचे और जीजाजी उस समय आँगन मे बैठे हुए थे । तो हम सभी लड़कियों की पलटन ने एक के बाद एक करके आँगन मे अन्दर जाना शुरू किया और जीजाजी को बड़ी शराफत से थोड़ा -थोड़ा रंग लगाकर होली है कहकर वहीं आँगन मे खड़ी होती गई ।
जब सारी पलटन आ गई तो रंग भरे ड्रम की ओर इशारा किया गया । बस फ़िर क्या था कोई बाल्टी से कोई जग से कोई मग से जीजाजी पर रंग डालने लगा था ।हालाँकि बाल्टी वाला रंग तो बस हर बार जमीन पर गिर कर ही waste हो जाता था क्योंकि हमारे जीजाजी लंबे- ऊँचे कद के है और बाल्टी से रंग डालने वाले की बाल्टी ही वो पकड़ लेते और इस खींच - तान मे थोड़ा रंग उनपर थोड़ा बाल्टी वाले पर और ज्यादा रंग जमीन पर गिर जाता था । फ़िर एक-एक को खींच कर जमीन मे लोटा (लिटाया)लगवाया जाता । :)
पर जीजाजी को बुरी तरह से रंगना अभी बाकी था । और हम बच्चों की समस्या कि हम लोग उन्हें खूब सारा रंग नही लगा पा रहे थे । तभी छोटी जिज्जी की एक दोस्त मीना जो काफ़ी लहीम-शहीम थी उसने कहा की वो जीजाजी को रंग लगा कर ही मानेगी । बस फ़िर क्या था एक तरह का युद्ध सा शुरू हो गया और अंत मे उसने रंग तो लगाया (पर ज्यादा नही लगा पायी )पर इस खींचा-खींची मे जीजाजी का कुरता थोड़ा सा फट गया बस फ़िर तो मीना ने जीजाजी का पूरा कुरता ही फाड़ दिया । और हमारे जीजाजी ...... । :)
ये बात ७७ की है हमारी बड़ी जिज्जी की शादी हुई थी और जैसा की रिवाज है लड़की की पहली होली मायके मे होती है तो जिज्जी और जीजाजी इलाहाबाद पहली होली के लिए आए थे ।हम लोगों के मोहल्ले मे लड़कियों की संख्या ज्यादा थी । एक -दो घर को छोड़ कर हर घर मे ४-५ लड़कियां थी । अब उस जमाने मे तो घरों मे बहुत ज्यादा मिलना जुलना होता था और एक घर के जीजाजी मतलब सारे मोहल्ले के जीजाजी वाला हिसाब था और वो भी इकलौते और नए-नए ।तो जाहिर सी बात है की पूरे मोहल्ले को खबर थी की जीजाजी होली पर आ रहें है । सब लड़कियों ने बड़े-बड़े प्लान बनाए थे की उन्हें कैसे-कैसे रंगा जायेगा । :)
होली के दिन घर मे सुबह से ही आँगन मे बड़े-बड़े ड्रम और हंडों मे रंग घोला गया । एक बड़े से हंडे मे टेसू के फूल भिगाए गए । घर की छोटी-बड़ी बाल्टी मे भी रंग बनाए गए । अबीर-गुलाल थालियों मे रक्खे गए । पर खास मुंह पर लगाने वाले रंग
को जीजाजी से छिपा कर रक्खा गया ।
हम सब बहनों का होली खेलने का प्रोग्राम तो रात मे ही शुरू हो गया था जीजाजी को सोते हुए मे रंग देने का । सुबह नाश्ते के बाद dinning table पर मम्मी ने सबको अबीर-गुलाल लगा कर होली की शुरुआत की और उसके बाद तो होली का हुडदंग शुरू हो गया ।चूँकि हम घर मे सबसे छोटे है तो जाहिर है कि हमारे दोस्त भी बहुत थे क्योंकि हमारे दोस्त तो हमारे थे ही साथ ही बाकी तीनों जिज्जी की दोस्तें भी हमारी दोस्त लिस्ट मे थी । :)
घर मे एक राउंड होली खेल कर हम मोहल्ले मे होली खेलने निकल गए अरे भाई पूरी पलटन को जो इक्कठा करना था । और थोड़ी देर मे हम और पूरी पलटन वापिस घर मे पहुंचे और जीजाजी उस समय आँगन मे बैठे हुए थे । तो हम सभी लड़कियों की पलटन ने एक के बाद एक करके आँगन मे अन्दर जाना शुरू किया और जीजाजी को बड़ी शराफत से थोड़ा -थोड़ा रंग लगाकर होली है कहकर वहीं आँगन मे खड़ी होती गई ।
जब सारी पलटन आ गई तो रंग भरे ड्रम की ओर इशारा किया गया । बस फ़िर क्या था कोई बाल्टी से कोई जग से कोई मग से जीजाजी पर रंग डालने लगा था ।हालाँकि बाल्टी वाला रंग तो बस हर बार जमीन पर गिर कर ही waste हो जाता था क्योंकि हमारे जीजाजी लंबे- ऊँचे कद के है और बाल्टी से रंग डालने वाले की बाल्टी ही वो पकड़ लेते और इस खींच - तान मे थोड़ा रंग उनपर थोड़ा बाल्टी वाले पर और ज्यादा रंग जमीन पर गिर जाता था । फ़िर एक-एक को खींच कर जमीन मे लोटा (लिटाया)लगवाया जाता । :)
पर जीजाजी को बुरी तरह से रंगना अभी बाकी था । और हम बच्चों की समस्या कि हम लोग उन्हें खूब सारा रंग नही लगा पा रहे थे । तभी छोटी जिज्जी की एक दोस्त मीना जो काफ़ी लहीम-शहीम थी उसने कहा की वो जीजाजी को रंग लगा कर ही मानेगी । बस फ़िर क्या था एक तरह का युद्ध सा शुरू हो गया और अंत मे उसने रंग तो लगाया (पर ज्यादा नही लगा पायी )पर इस खींचा-खींची मे जीजाजी का कुरता थोड़ा सा फट गया बस फ़िर तो मीना ने जीजाजी का पूरा कुरता ही फाड़ दिया । और हमारे जीजाजी ...... । :)
Comments
होली पर्व की हार्दिक शुभकामना के साथ
शायद लोग इस अवसर के लिये चुन कर कुर्ता रखते होंगे! :)
होली की शुभकामनाऐं!!
regards
आपको होली की शुभकामनाएं.
नीरज
आपको होली की शुभकामनाएं
होली पर बहुत बहुत बधाइयाँ।
को खूब आनँद दिलवाया होगा - जिनके लिये याद किया उन्ह भी बधाई
और्,
महिला दिवस व होली पर्व की सपरिवार शुभकामनाएँ आपको
स्नेह,
- लावण्या