यादें अप्रैल फूल की

अब तो नहीं पर पहले बहुत समय तक अप्रैल फूल बनाते थे । बचपन में तो घर में पहली अप्रैल के दिन सुबह से ही कभी दीदी तो कभी मम्मी को अप्रैल फूल बनाने में खूब मजा आता था । और जब कोई हमारी बातों में आकर अप्रैल फूल बन जाता था तो हमारी ख़ुशी का ठिकाना नहीं होता था ।

हालाँकि पहली अप्रैल के दिन हर कोई और हम भी बहुत सतर्क रहते थे कि कहीं कोई हमें अप्रैल फूल ना बना दे पर चाहे जितना भी सतर्क रहें किसी ना किसी की बातों में आकर अप्रैल फूल ( बेवक़ूफ़ ) बन ही जाते थे । 😜

एक बात तो है कि अप्रैल फूल बनाने में तो बड़ा मजा आता है पर जब ख़ुद बनते है तो क्या कहने की ज़रूरत है कि कैसा लगता है ।😩


पापा और भइया को तो बस फोन का रिसीवर ( पुराने ज़माने वाला फोन ) हटा कर अलग रख देते थे और कहते थे कि पापा फ़लाँ अंकल का फोन आया है या भइया से कहते थे कि उनके किसी दोस्त का फोन आया है और जैसे ही पापा या भइया फोन उठाकर हैलो कहते हम अप्रैल फूल कह कर हंस देते थे । पापा तो नहीं पर हाँ भइया कभी कभी हमें हड़काने भी थे हमारी इस हरकत पर ।😀


दीदी लोगों को तो अकसर कहते कि बाहर तुम्हारी दोस्त आई है और तुम्हें बुला रही है और जैसे ही वो बाहर जाती तो हम खूब ज़ोर से बोलते अप्रैल फूल ।

कभी -कभी ( पर बहुत कम )अप्रैल फूल बनाने पर डाँट भी पड़ जाती थी क्यों कि अगर दीदी या मम्मी कुछ अपने काम में लगी होती थीं और हम इस तरह की ख़ुराफ़ात करते थे तो । 😛


पहली अप्रैल को तो स्कूल में जैसे सबको सिर्फ़ एक ही काम होता था बस एक दूसरे को अप्रैल फूल बनाना । कोई कहता कि तुम्हें हिस्ट्री टीचर बुला रही है और जैसे ही वो लड़की जाने के लिये चलती तो ज़ोर से अप्रैल फूल ,अप्रैल फूल चिल्लाते थे ।

कभी कोई कहता कि तुम्हारी किताब नीचे गिर गई है और जैसे ही किताब उठाने को झुकती कि बस अप्रैल फूल का शोर मच जाता था ।

ऐसा नहीं है कि हम कभी इस अप्रैल फूल का शिकार नहीं हुये है । हम भी ऐसी ही बातों में फँस जाते थे । हमारी तो एक दीदी जैसे ही कोई उनका अप्रैल फूल का शिकार बनता तो वो तो खूब ज़ोर ज़ोर से अप्रैल फूल बनाया वाला गाना गाने लगती थीं । 😀
कितनी अजीब बात है कि ना तो इस गाने के पहले और ना ही इस गाने के बाद कभी किसी ने अप्रैल फूल का गाना बनाया ।



वैसे अब हम शरीफ़ हो गये है वरना हम तो अपने पतिदेव और बेटों को भी पहली अप्रैल को तंग करने से बाज़ नहीं आते थे । और बिलकुल वही पुराना तरीक़ा कि फोन आया है या दोस्त आया है ।

ब्लागिंग के शुरू के दिनों में भी कई बार बहुत सीरियल टाइप लोग ऐसी पोस्ट लगाते थे कि जैसे ही पोस्ट खोलो तो अप्रैल फूल लिखा आ जाता था ।


हम लोग तो अपने बचपन के दिनों में ऐसी छोटी छोटी हरकतें करके ही खूब मज़े लेते थे । 😂

वैसे आज तो वहाटसऐप को सँभलकर देखना पड़ेगा पता नहीं किसने किसने क्या क्या मैसेज भेजकर अप्रैल फूल बनाने की कोशिश की होगी । 🤓






Comments

Popular posts from this blog

जीवन का कोई मूल्य नहीं

क्या चमगादड़ सिर के बाल नोच सकता है ?

सूर्य ग्रहण तब और आज ( अनलॉक २.० ) चौदहवाँ दिन