इम्तिहान है कोई कुंभ नहीं

आजकल प्रयाग राज में कुंभ मेला चल रहा है और ऐसा ही कुंभ से जुड़ा एक क़िस्सा याद आ गया ।

बात काफ़ी पुरानी है । हमारे भइया उस समय बी.ए. में थे और उनके कुछ दोस्त अकसर घर आया करते थे । वैसे तो हम लोगों के घर में कोई रोक टोक नहीं थी कहीं आने जाने पर , पर जब इम्तिहान होते थे तो सब लोग ख़ुद ही पढ़ाई करते थे ।

भइया के ऐसे ही एक दोस्त थे जो इम्तिहान के दिनों में भी घूमने में ज़्यादा रूचि रखते थे । और पढ़ने से दूरी । वैसे हमारी मम्मी कभी किसी को टोकती नहीं थी ।

भइया के बी.ए. के इम्तिहान चल रहे थे और एक दिन उनके ये दोस्त स्कूटर पर आये कि चलो घूम कर आते है। क्या हर समय तुम पढ़ते रहते हो । तो भइया उन्हें मना नहीं कर पाये और बाहर जाने के लिये तैयार होने लगे । तभी मम्मी आई और उनके दोस्त से बोली कि बेटा आजकल तो इम्तिहान चल रहे है थोड़ा पढ़ लिया करो । घूम तो तुम बाद में भी सकते हो ।

तो भइया के उन दोस्त ने बडे शांत भाव से मम्मी से कहा अरे चाची ये तो बस बी.ए. का इम्तिहान है कोई कुंभ मेला थोड़ी है जो छ: या बारह साल में आयेगा । इम्तिहान तो हर साल होता है ।

कहने की ज़रूरत नहीं है कि उसके बाद भइया के उन दोस्त ने और दो बार बी.ए. का इम्तिहान दिया । 😀

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