तीसरा स्कूल रीयूनियन ( २) चाफी रील एंड रिवर एडवैंचर कैम्प

काठगोदाम से हम लोगों को चाफी जाना था । चाफी जोकि नैनीताल से पहले एक छोटा सा गाँव है और जहाँ चाफी नदी बहती है ।यहीं पर जगाती के भांजे कान्हा का रिसॉरट है जहाँ हम सब दो दिन मौज मस्ती करने वाले थे । चूँकि ये रिसॉरट थोड़ा हटकर मतलब शहर से दूर था । कान्हा ने ही हम लोगों को काठगोदाम से लाने के लिये गाड़ियाँ भेजी थी ।


काठगोदाम से हम लोगों को चाफी रील एंड रिवर् एडवैंचर कैम्प ले जाने के लिये दो बड़ी गाड़ियाँ मय ड्राइवर ( टवेरा और क्वालिस ) आयी थी । चाफी रवाना होने से पहले एक बार फिर से फ़ोटो शोटो खींचीं गई । हम सब में कुछ लोगों को पहाड़ी रास्ते पर चक्कर की परेशानी तो कुछ को गाड़ी की पीछे की सीट पर बैठने में परेशानी थी । पर कुछ हर हालात में ख़ुश और एडजस्ट करने वालीं भी थी ।


सब लोग दोनों गाड़ियों में एडजस्ट होकर चाफी के लिये चल पडे और चालीस मिनट बाद हम लोग चाफी रिसॉरट पहुँचे तो सबसे पहले तो वहाँ की ख़ूबसूरती साफ़ और स्वच्छ हवा और मौसम पर हम सब फ़िदा हो गये । और पहाड़ों के बीच बने टेंट और बग़ल में पानी के कल कल की आवाज़ सुनते ही सबकी थकान और बीमारी मानो हवा हो गई । इस रिसॉरट में कुल आठ टेंट है जोकि काफ़ी बडे और अच्छे है । हर टेंट में बाथरूम है और हरेक टेंट के आगे छोटा सा बरामदा सा है जहाँ सुबह बैठकर चाय का आनन्द लिया जा सकता है । पर हाँ टेंट में बस एक बल्ब है ना कोई टी. वी. और ना ही कुछ और वो इसलिये ताकी वहाँ हम प्रकृति का पूरा पूरा आनन्द ले सकें । 😋

रिसॉरट के स्टाफ़ ने सबसे पहले वैलकम ड्रिंक दिया नींबू पानी वग़ैरा । पर वहाँ नांबू पानी पाने से ज़्यादा सब लोग फ़ोटो खींचने खिंचाने में लग गये । फिर धीरे धीरे सबका सामान टेंट में भिजवाया गया । अभी ये सब हो ही रहा था कि इन्द्र देवता भी हम लोगों का स्वागत करने आ गये मतलब झमाझम बारिश शुरू हो गई । ☔️


पर पन्द्रह बीस मिनट बाद बारिश रूकी तो हम सब लंच खाने रिसॉरट के डाइनिंग हाल में गये और जब उन लोगों ने गरमा गरम स्वादिष्ट खाना हम लोगों को खिलाया तो यक़ीन मानिये हम सब बस खाते ही गये । पीली सरसों और खीरे का रायता ( जो पहली बार खाया था ) ,भिंडी,दाल, पनीर ,चावल,गरम और फूली फूली रोटियॉं ,सेवियाँ । 😛


ओवरइटिंग करके हम लोग अपने अपने टेंट में आराम फ़रमाने चले गये । पर कुछ लोगों ने आराम करने से बेहतर आस पास घूमना और पास बह रही चाफी नदी पर जाना ज़्यादा अच्छा समझा । जो कि बहुत अच्छा आइडिया था । वैसे हम आराम फ़रमाने वालों मे थे। 😀

पर जब बाद में दोस्तों की नदी पर खींचीं गई सुंदर सुंदर फ़ोटो देखी तब लगा कि अरे हमने तो ये मिस कर दिया । खैर ये तय हुआ कि अगले दिन सब लोग फिर से नदी पर जायेंगे । खैर रात में खाना खाने से पहले हम सबने खूब धमाल मचाया । नाच गाना और गप्पें हुई ।


अगले दिन सुबह हम सारे चाय पी रहे थे तभी कान्हा दिखाई दिया ( अरे क्योंकि उसे रात में नैनीताल लौट जाना था पर क्योंकि वहाँ सिर्फ़ हम लोग ही थे इसलिये वो रूक गया था कि खुदा ना खासता कोई ज़रूरत पडे ) और बस हम लोगों ने उससे नीचे पानी में जाने की बात की पर चूँकि नीचे जाने के लिये पत्थरीला रास्ता था और उन पर काई भी थी और एक दिन पहले बारिश होने की वजह से पत्थर पर पैर रखने पर फिसल रहे थे ।

खैर कान्हा ने हम सभी को हाथ पकड़ पकड़ कर नीचे पहुँचाया और पानी में पहुँचते ही सबसे पहले तो हमारी एक नटखट सहेली फिसल गई पर ग़नीमत ये रही कि कुछ ज़्यादा चोट नहीं आई । और एक बार हम सबके पहुँचने के बाद तो बस हर कोई भूल गया कि उसे कोई तकलीफ़ है । यहाँ तक कि एक सहेली बोली कि इस पानी में नहाने के बाद तो उसका पैर दर्द ही ठीक हो गया । 🤓


हर कोई फ़ुल ऑन मस्ती के मूड में । ना किसी को ठंड लग रही थी और ना ही कोई पानी से बाहर निकलना चाहता था । हर कोई छोटी बच्ची बन गया था ।जैसे सबका बचपन लौट आया था । पर आधे घंटे बाद हम लोगों को ऊपर लाने के लिये एक सटाफ आया और एक एक करके वापिस सब लोग एक दूसरे को सावधानी बरतने की हिदायत देते हुये वापिस रिसॉरट में आ गये ।




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