बचपन के दिन भी क्या दिन थे

जी हाँ बचपन के दिन भी क्या दिन थे ।

वैसे जब हम छोटे थे तो हमेशा जल्दी से बडे होने की चाह थी और अब जब हम बडे ही नहीं काफ़ी बडे हो गये है तो बचपन के दिन याद करते है । वो सब छोटी छोटी चीज़ें या काम करके अब जितनी ख़ुशी होती है वो शायद बचपन में उतनी ही अखरती भी थी ।

वैसे एक बात बताना चाहेंगें कि जब से हम लोगों का स्कूल का वहाटसऐप ग्रुप बना है तब से ये सब शैतानियाँ हम लोगों को करने में बड़ा मजा आता है ।

अभी बीते शनिवार को हमारे स्कूल के वहाटसऐप ग्रुप पर एक सहेली ने अपनी पुरानी फ़ोटो शेयर की जिसमें उसने दो चुटिया बनाई हुई थी बस उसकी फ़ोटो देखकर सबने सोचा कि क्यूँ ना एक बार फिर से वो दो चोटी का समय फिर से जिया जाये क्योंकि अब हम सब दो चोटी बनाना छोड़ चुके है । 😜

अरे भाई कुछ तो बाल कम और पतले हो गये है , कुछ बाल छोटे रखने लगे है और अब तो ज़्यादातर या तो बाल खुले रखते है या एक पानी टेल बना लेते है । 😛

तो ये तय हुआ कि चूँकि अगले दिन रविवार है तो सब लोग दो चोटी बनाकर अपनी अपनी फ़ोटो लगायेंगें । बस फिर क्या था पूरे स्कूल ग्रुप की लड़कियों ने दो चोटी बना बना कर फ़ोटो लगाना शुरू की । एक सखी के बाल तो बहुत ही छोटे है पर फिर भी उसने जैसे छोटे बच्चों के दो पिग टेल बनाते है वैसी दो चुटिया बनाई । कहने का मतलब है कि हर कोई इस का आनन्द ले रहा था । बस एक कमी रही कि हम लोग एक दूसरे की चुटिया खींच नही पाये । 😂

और सबसे मज़े की बात ये कि हम लोग हर कुछ मिनट पर ग्रुप आइकॉन बदल रहे थे । पहले एक की फ़ोटो फिर दो फिर तीन और इसी तरह सब लोग ग्रुप आइकॉन में जुड़ते रहे और हम सभी ने पूरा दिन इस मस्ती मज़ाक़ में बिता दिया ।


और रात तक हर कोई यही कह रहा था कि आज तो बहुत ही मस्त दिन रहा है और ये भी सोचा गया कि अब से हर महीने के एक रविवार हम लोग कुछ ऐसा ही (ख़ुराफ़ात )किया करेगें । 😃

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