जंग -ए- एडमीशन

आज के समय मे किसी कालेज मे एडमीशन लेना किसी जंग से कम नही है मतलब अब एडमीशन लेना कोई आसान काम नही रह गया है क्यूंकि अब बच्चों को इतने ज्यादा नम्बर मिलते है कि जिन बच्चों के कम नम्बर आते है उनके लिए कहीँ भी एडमीशन पाना मुश्किल हो जाता है। खास कर दिल्ली विश्वविद्यालय मे जहाँ अब सत्तर से नब्बे परसेंट नम्बर लाने वाले बच्चों को ही एडमिशन मिल सकता है। कई बार तो नब्बे परसेंट लाने पर भी बच्चों को ना तो अपने पसंद का कालेज मिलता है और ना ही अपनी पसंद का विषय मिलता है। अब वो जमाना नही रहा कि साठ परसेंट पाने वाले को इज्जत की नजर से देखा जाये । हमे तो लगता है कि जितने नम्बर हमारे आते थे उसमे तो किसी कालेज मे आज के समय मे एडमिशन मिलना मुमकिन ही नही होता।आज जबकि इतने ज्यादा कालेज हो गए है तब भी ।

आज कल अगर बच्चा किसी प्रोफेशनल कोर्स मे मसलन इन्जीनियेरिग या मेडिकल मे नही सेलेक्ट हो पाता है है तो ऐसा लगता है कि अब क्या करें क्यूंकि अब बिना प्रोफेशनल डिग्री के तो काम चल ही नही सकता है। पिछले कई दिनों से हम भी इसीलिये थोड़े परेशान थे क्यूंकि जब हमारे छोटे बेटे का इन्जीनिएरिंग मे नही हुआ तो लगा कि अब तो बड़ी समस्या खडी हो गयी क्यूंकि प्राइवेट कालेज एक तो बहुत ही मंहगे और दूसरा डोनेशन का चक्कर।

वैसे बेटे को इन्जीनिएरिंग के साथ-साथ एनीमेशन मे भी दिलचस्पी थी इसलिये उसने एनीमेशन के कोर्स के लिए भी फॉर्म भर रक्खा था पर पहली पसंद तो इन्जीनिएरिंग ही थी। और डी.यू .मे जाने का उसे मन ही नही था और हमे डर लग रहा था कि अगर खुदा ना खास्ता एनीमेशन मे नही हुआ तो क्या होगा क्यूंकि कम्पटीशन तो हर जगह ही है। पहले तो हमने कभी एनीमेशन के कोर्स के बारे मे सुना नही था तो ये भी लगता था कि पता नही ये किस तरह का कोर्स है और इस कोर्स की कोई मान्यता भी है या नही। पर बाद मे लोगों से पता चला कि ये एक अच्छा और upcoming कोर्स है और चूंकि ये अभी नया है तो इसमे आगे स्कोप भी है। और B.I.T मेसरा मे बेटे ने फॉर्म भर दिया था । इनका एक सेंटर नौएडा मे भी है । बिट्स मेसरा कि वजह से हम भी थोड़े सन्तुष्ट थे कि कम से कम institute तो अच्छा है पर अभी मुश्किलें ख़त्म नही हुई थी। फॉर्म भरने के बाद एक दिन वहां से लैटर आया कि 10th की marksheet और पास certificate नही लगाए है इसलिये फौरन फैक्स से भेजें वरना फॉर्म reject कर दिया जाएगा। फ़टाफ़ट बेटे ने marksheet वगैरा फैक्स से भेजी । अरे ये मत सोचिये की उसने पहले क्यों नही लगाई तो ऐसा बिल्कुल नही है। marksheet तो लगाई गयी थी पर पता नही उन्हें क्यों नही मिली । पर बाद मे जो फैक्स भेजा वो भी उन्हें नही मिला क्यूंकि साईट पर बेटे का नाम नही आ रहा था तो फिर बेटा नौएडा गया तो उन लोगों ने कहा कि अगर फैक्स भेज दिया है तो नाम आ जाएगा २५ जून तक इंतज़ार करो । जब पच्चीस को भी नाम नही आया तो फिर बेटा कालेज गया क्यूंकि २८ को टेस्ट और interview जो होना था। खैर जब बेटे ने कहा कि उसका नाम अभी भी साईट पर नही आ रहा है तो उन्होने कहा की marksheet और पास certificate की कापी दे दो और ये भी कहा की रजिस्ट्रेशन कार्ड भेज दिया है। एक दिन बाद रजिस्ट्रेशन कार्ड भी आ गया और २८ को टेस्ट और २९ को interview भी हो गया और २९ की रात मे रिजल्ट भी आ गया और हमारा पप्पू पास हो गया।

Comments

Yunus Khan said…
मुबारक हो । पप्‍पू पास हो गया । पर उन पप्‍पुओं का क्‍या जिन्‍हें अच्‍छे मार्क्स के बावजूद एडमीशन नहीं मिल रहा ।
पप्पू के पास होने पर तो चॉकलेट मिलती है, कहां है :-)
आपके पुत्र को धाखिला मिल गया यही हमारी चॉकलेट है।
व्यथा का सही नाम, सही वर्णन !!
Udan Tashtari said…
अरे वाह, पप्पू के पास होने की बहुत बहुत बधाई. मन माफिक मंजिल मिल जाये तो सफर की सारी थकान निकल जाती है, आशा है अब आप और पप्पू दोनों थकान से दूर प्रफ्फूलित होंगे. पुनः बधाई. :)
सही बात है अपने जमाने में तो मैं आई.आई.टी. में सेलेक्ट हो गया. अगर आज के जमाने में हुआ होता तो शायद पिता जी से मिन्नतें कर के हाथ में रुपयों का झोला लेकर हाथरस के किसी निजी कालेज का ही दरवाजा खटखटाना पड़ता. आज कल के बच्चों पर कुछ ज्यादा ही दबाव है.

बधाई हो!
ghughutibasuti said…
बहुत बहुत बधाई । पर इतनी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं । बुद्धिमान व मेहनती लोग जिस भी कार्यक्षेत्र में जाएँगे सदा सफल होंगे ।
घुघूती बासूती

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