दिल्ली से अंडमान तक का सफ़र
ये बात १२ जून २००३ की है हम लोगों का अंडमान तबादला हो गया था और हम बहुत खुश भी थे क्यूंकि पिछले २१ साल से हम दिल्ली मे रह रहे थे और वहां की भागदौड़ भरी जिंदगी से ऊब चुके थे । हम लोगों के लिए ये ट्रान्सफर आर्डर एक blessing की तरह था । हालांकि हमारे घरवालों और रिश्तेदारों के लिए ये थोडा मुश्किल था क्यूंकि अंडमान को काला पानी जो माना जाता है। कुछ लोग मजाक भी करते थे कि भी तुम लोगों ने ऐसा क्या किया जो तुम को काले पानी कि सजा मिल गयी। कुछ लोग कहते थे कि अपना तबादला रुकवा लो। और तो और कुछ ने ये भी कहा कि वहां पर मसाले नही मिलते है इसलिये आप मसाले जरूर ले जाइए। हर कोई अपने हिसाब से राय देने मे लगा था। पर हम लोगो को इन सब बातों से कोई फर्क नही पड़ता था ।
हमारे मम्मी -पापा और हमारे पापाजी (ससुरजी ) को थोडा दुःख तो था पर वो हमारे साथ थे और हमारी ख़ुशी मे खुश थे। हम लोगो को ऐसा लग रहा था मानो हम कहीँ विदेश जा रहे हो हर कोई मिलने आ रहा था और हम भी जाने से पहले अपने मायके और ससुराल दोनो जगह जाकर लोगों से मिल आये थे।
आख़िर हमारे जाने का दिन भी आ गया। पहले हम लोग दिल्ली से कोलकत्ता गए और वहां रात मे रुके थे .अगले दिन सुबह ५.५० कि flight थी ,उस समय सिर्फ सुबह ही flight जाती थी । हम सभी बहुत excited थे ,थोड़ी देर तो ठीक रहा पर उसके बाद प्लेन ने जो झटके देने शुरू किये कि बस पूछिये मत । अचानक ऐसा लगा मानो प्लेन ने उपर से उठा कर नीचे फ़ेंक दिया हो। और हमारे मुँह से बरबस ही निकल गया कि हम अंडमान जा रहे है या ऊपर (भगवान )हमारे पतिदेव ने हमे जोर से डांटा कि हल्ला क्या मचाती हो ,तो हमने कहा कि नीचे तो सिर्फ समुद्र ही दिख रहा है तो वो बोले कि डरती क्यों हो तुम्हे तैरना तो आता है। तो थोडा झुंझलाकर हम भी बोले कि नीच गिरने के बाद कहॉ याद रहेगा कि हमे तैरना आता है हमारी तो पहले ही जान निकल जायेगी. दरअसल मई-जून से वहां बारिश शुरू हो जाती और हम लोग उसी मौसम मे जा रहे थे पर इन सब झटकों के बाद जब अंडमान दिखना शुरू हुआ तो सारा डर गायब हो गया और हम प्रकृति की सुन्दर रचना को देखते ही रह गए।
प्लेन की खिड़की से नीला -हरा समुन्द्र और लहरों मे किनारे को छूने की होड़ सी लगी थी और हरियाली तो देखते ही बनती थी। इतना सुन्दर नजारा की हम बयां नही कर सकते है। चारों ओर अथाह समुन्दर और नारियल और सुपारी के हरे -हरे पेड किसी जन्नत से कम नही थे। और इस सुन्दरता पर हमने भी एक २ पंक्ति की कविता लिख दी थी कुछ इस प्रकार से।
अंडमान कहते है जिसे काला पानी ,हुई धारणा ये पुरानी।
कश्मीर के बाद अगर कहीँ स्वर्ग है तो वो यहीं है ,यहीं है,यहीं है।
हरे भरे नारियल और सुपारी के वृक्ष
नीला आसमां और नीला समुन्द्र
जिसे देख मन बरबस कह उठता है
की अगर कहीँ स्वर्ग है तो वो यहीं है, यहीं है, यहीं है।
Comments
vaise, aapko jarva or sentinals ke darshan hue ki nahin? hamre waqt to sare jarva ek anya jarva ki shadi main kisi doosre tapu par chale gaye the :-( , so jarva dev ke darshan hi na ho paye.