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Showing posts from August, 2020

एकदम मस्त वर्चुअल किटी और वर्चुअल तंबोला

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अपनी पिछली पोस्ट में हमने कहा था ना कि हम वर्चुअल किटी में जा रहे है । तो सोचा किटी में किये मजे आप लोगों को भी बता दें । 😜 और चूँकि इस बार समय दोपहर का था तो सारे काम आराम से निपटाकर हम लोग किटी के लिये ज़ूम के माध्यम से जुड़े । हांलांकि इस बार सारे लोग नहीं आ पाये क्योंकि किसी किसी को कुछ काम वग़ैरा आ गया था । पर फिर भी जितने लोग थे उन सबने भरपूर मजे किये । खैर सभी लोग तय समय पर ज़ूम पर लॉगइन करने लगे और बस दो मिनट की देर हुई कि हम लोग होस्ट को वहाटसऐप करके ज़ूम रूम में अन्दर आने की परमीशन माँगने लगे । कहने का मतलब कि एक मिनट की भी देरी हम लोगों को मंज़ूर नही थी क्योंकि इस कोरोना के कारण ज़ूम ही हम लोगों का एक साथ होने और जुड़ने का इकलौता माध्यम जो है । 😝 शुरूआती हो हल्ला करने के बाद और एक दूसरे का हाल चाल जानने के बाद तंबोला खेलना शुरू हुआ । और तंबोला में अपने टिकट का नम्बर ना आने पर खिलाने वाले को तंग करते हुये कहना कि अच्छे नम्बर बोलो । 🤓 कमलेश जो वैसे भी जब हम लोग किटी में ( कोरोना काल के पहले ) तंबोला या गेम खेलते थे तो बहुत ही सीरियसली खेलती थी और खूब जीतती भी

राम राम करते पाँच महीना हो गया

अब तो हर महीने की पच्चीस तारीख़ का इंतज़ार रहता है क्योंकि इसी से कोरोना के कारण हुये लॉकडाउन और अनलॉक के महीने पूरा होने का पता चलता है । अब यूँ तो काफ़ी बाज़ार और होटल वग़ैरा खुल गये है पर अभी ज़्यादा बाहर जाने की हिम्मत नहीं होती है । और फिलहाल ऐसी कोई ज़रूरत भी नहीं लग रही है । अब वो क्या है ना कि घर में रहते रहते कुछ ऐसी ही आदत सी हो गई है कि बाहर जाने की इच्छा ही ख़त्म सी होती जा रही है । अभी तो ऐसा ही लगता है । 😳 अब तो ऑनलाइन शॉपिंग की भी ऐसी लत सी लग गई है कि अगर हफ़्ते दस दिन में अमेजॉन से कुछ ऑर्डर ना करो तो बडा ख़ाली ख़ाली और अजीब सा लगता है । ठीक वैसे ही जैसे कोरोना के पहले अगर चार छे दिन में कहीं मार्केट या मॉल ना घूमने जाने पर महसूस होता था । 😜 खैर आज तो हम लोगों की वर्चुअल किटी है तो आज ज़्यादा कुछ नहीं । वर्चुअल किटी है तो क्या हुआ , किटी में जाने की तैयारी भी तो करनी है । 😂

आलस क्या होता है भूल ही गये थे 😁

पर कल हमने फिर से जाना कि आलस क्या होता है । 😃 कल बड़े समय बाद तकरीबन पाँच महीने बाद हमने संडे को बिलकुल संडे की तरह बिताया । मतलब फ़ुल ऑन आलस से भरपूर । अरे जैसा आप सोच रहें है वैसा बिलकुल नहीं है । हमारी काम वाली वापिस नहीं आई है । 😏 इधर जब से कोरोना फैला है तब से तो हर रोज एक ही जैसा । क्या संडे क्या मंडे । हर रोज एक ही रूटीन सुबह उठो ,एक्सरसाइज़ करो फिर किचन का काम धाम करो ,डस्टिंग करो ,छोटू से ( वैक्यूम क्लीनर ) से झाडू लगवाओ, लंच डिनर बनाओ वग़ैरा वग़ैरा । पर कल हमने सब कामों से ब्रेक ले लिया था । यानि संडे को हम सुबह तो जरूर उठे पर एक्सरसाइज़ नहीं करी क्योंकि कभी कभी तो उसमें भी ब्रेक लेना चाहिये । 😜 और जब एक्सरसाइज़ नहीं की तो थोडा आलस सा चढ़ा रहा पूरा दिन और बस फिर क्या पूरा दिन बस यूँ ही बिता दिया इधर उधर डोलते हुये । कुछ ज़्यादा काम धाम नहीं किया । और तो और पूरा दिन फेसबुक और वहाटसऐप तक नहीं देखा । हाँ बस एक बार सुबह देखा था पर फिर फोन भी देखने का मन नहीं हुआ । 😛 और खाने में भी शॉर्ट कट मार दिया । लंच में पिज़्ज़ा बना दिया जो पन्द्रह मिनट में बन जाता है

तीज सूतफेनी और गुझिया

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आज भादों में पड़ने वाली हरतालिका तीज है । तो सभी को तीज की हार्दिक शुभकामनाएं । ये तो सभी जानते है कि हरतालिका तीज पति की लंबी आयु के लिए होता है । और आज के दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती है। और इलाहाबाद में तो तीज के दिन खास सफेद एकदम महीन सूतफेनी मिलती है (और जो इलाहाबाद के अलावा कहीं नहीं मिलती है )जिसे दूध और चीनी में डालकर खाने का जो स्वाद होता है । आहा कि क्या बताएं। और बहुत सालों तक सूतफेनी की सप्लाई हमें होती रही थी ।😊 यूं तो बचपन से मम्मी को तीज का निर्जला व्रत करते हुए देखते आए है । और हमारी ससुराल में भी ये व्रत होता है ।   इसलिए हमने भी कुछ सालों तक तीज का निर्जला व्रत रक्खा । पर फिर किन्हीं कारणों से हमसे ये व्रत रखना छूट गया ।😔 तीज की सुबह चार बजे उठना नहा धोकर  दूध और सूतफेनी और फलाहार खा कर व्रत की शुरुआत करना । और हम और हमारी दीदी भी मम्मी के साथ सुबह सूतफेनी खाने की लालच में उठते और इसलिए सुबह सुबह नहाते भी थे और फिर चौबीस घंटे बिना कुछ खाए पिए रहना । और फिर अगली सुबह चार बजे भोर में उठकर दूध सूतफेनी खा कर व्रत तोड़ना । पर व्रत और त्योहार का मतलब ये कतई नहीं होता ह

बारिश और ननबरिया 😛

आज सुबह से बारिश हो रही थी तो हमने सोचा कि आज पकौडी ना बनाकर ननबरिया बनाई जाये । और यक़ीन मानिये खाकर मजा़ आ गया । 😝 अब जैसे बारिश और पकौड़ी का सम्बन्ध है ठीक उसी तरह बारिश और ननबरिया या नोनबरिया का भी सम्बन्ध है । आम तौर पर ज़्यादातर लोग जब बारिश होती है तो बेसन और प्याज़ की पकौड़ी बनाते और खाते है । हम लोग भी जब तब पकौडी बनाते और खाते है पर बरसात में ननबरिया खाने का भी अपना ही मजा है । हम लोगों के घर में बारिश मे ननबरिया बनने ,बनाने और खाने का भी चलन है । एक ज़माने में इलाहाबाद में जहाँ बारिश शुरू होती थी और अगर हम सब लोग घर में होते थे तो सबकी फ़रमाइश ननबरिया खाने की होती थी और आवाज़ लगाई जाती ब्रजवासी, सोम ( घर के सेवक ) ननबरिया बनाओ और बस ननबरिया छनना शुरू हो जाती थी । 😋 वैसे हम भी बारिश में ननबरिया जरूर बनाते और खाते है । असल में ननबरिया और पकौडी में बस फ़र्क़ ये है कि ननबरिया आटे में बनती है और पकौडी बेसन में । और दूसरा कि इसमें आलू ज़्यादा पड़ता है । पर स्वाद दोनों का ही ग़ज़ब होता है । 😋😋

गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल

कल हमने ये फ़िल्म देखी । अब ये मत कहियेगा कि क्यूँ देखी । वैसे जब से फ़िल्म  netflix   पर रिलीज़ हुई है तब से ही विवादों में घिरी हुई है । कुछ तो वायुसेना के अफ़सरों को ग़लत तरीक़े से दिखाये जाने की वजह से तो कुछ किन्हीं और कारणों से । जहाँ तक हम सोचते है कि जब किसी भी बायोपिक में उस इंसान से जुड़े पहलू दिखाये जाते है तो ज़ाहिर सी बात कि ज़्यादातर बातें या घटनायें तो उस इंसान ने ही बताई होंगीं । हाँ थोडा बहुत फ़िक्शनल भी होता है पर ज़्यादातर सही ही दिखाया जाता है । अब इस फ़िल्म में जिस तरह से वायुसेना के अफ़सर दिखाये गये है वो अगर पूरे ना सही तो कुछ ना कुछ तो सही ही दिखाये होगें । और वैसे भी जिस ज़माने की ये कहानी है उस समय तो हालात आज से अलग ही थे । ये तो हम सभी जानते है । यूँ तो आज भी स्त्री पुरूष बराबर के होते हुये भी कहीं ना कहीं असमानता नज़र आ ही जाती है । खैर हमें तो फ़िल्म देखना बहुत पसंद है ही और आजकल तो बायोपिक का चलन चल रहा है । जैसे कुछ दिन पहले शकुन्तला देवी और अब गुंजन सक्सेना । वैसे गुंजन सक्सेना के बारे में भी हम ही क्या ज़्यादातर लोग इतना कहाँ जानते है ।

स्वतन्त्रता दिवस कुछ अलग सा

आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें । वैसे इस बार बाक़ी त्योहारों की तरह ही स्वतन्त्रता दिवस भी कुछ अलग सा ही मनाया गया । कारण वही कोरोना । हर साल हम लोग अपनी सोसाइटी में करीब दस बजे के आस पास स्वतन्त्रता दिवस मनाने के लिये इकट्ठा होते थे । छोटे बच्चे सफ़ेद कुर्ता पैजामा और तिरंगें रंग का का दुपट्टा ओढ़ कर आते थे । हम सब महिलायें और पुरूष भी तैयार होकर झंडा रोहण के लिये जमा होते थे । और जब तक सारे लोग आते तब तक गप्पें और एक दूसरे से मिलना जुलना चलता रहता था । झंडा फहराने के लिये सब बच्चों को इकट्ठा किया जाता और सारे बच्चे और कोई एक बड़ा उनके साथ मिलकर झंडा फहराता था । और फिर बडे और बच्चे मिलकर राष्ट्रीय गान गाते थे । बहुत सारी फोटो खींचीं जाती । और उसके बाद पैकेट में लडडू और समोसा सबको दिया जाता था । जिसे हम लोग लेकर वहीं बग़ीचे में कुर्सी डालकर खाते और थोड़ी देर बातें करते थे । हर एक का अलग ग्रुप था । बच्चे अलग दौड़ भाग करते और खेलते । सारे जेंटस एक तरफ़ गुट बना कर पॉलिटिक्स डिस्कस करते थे । एक अलग ही उत्सव का माहौल होता था । और आधा पौना घंटा बिताकर सब ल

ज़ूम का कमाल

यूँ तो कोरोना से बुरा क्या होगा पर कोरोना के चलते ही हमें अपनी गिटार क्लास वालों से मिलने का मौक़ा मिला । तो कह सकते है कि बुराई में भी अच्छाई । परसों यानि ग्यारह अगस्त को चालीस साल बाद हम अपनी गिटार क्लास के लोगों से ज़ूम के माध्यम से मिले । आठ या नौ अगस्त को तय हुआ कि ग्यारह को गिटार क्लास वालों की एक ज़ूम मीटिंग रखी जाये । और इस मीटिंग को माससाब के बडे बेटे गौरव ने ऑर्गनाइज़ किया था क्योंकि ग्यारह अगस्त को माससाब का जन्मदिन होता है । और चूँकि हम कुछ लोग फेसबुक के ज़रिये जुड़ गये थे इसलिये ये सम्भव हो सकता था । खैर ग्यारह को रात आठ बजे मीटिंग का टाइम रखा गया और गौरव ने सबको आईडी और पासकोड भेज दिया था । ठीक रात आठ बजे हमसब ज़ूम रूम में इकट्ठा हुये और फिर डेढ़ घंटे कैसे बीते पता ही नहीं चला । कहाँ हम सब ने एक दूसरे को बचपन में देखा था और कहाँ अब इतने सालों बाद सबको देखकर बहुत अच्छा भी लगा और ख़ुशी भी हुई । हांलांकि सब लोग बदल गये है । माससाब के चारों बेटे बडे हो गये और सभी म्यूज़िक में नाम कमा रहें है और हम सब वज़न में बढ कर डबल हो गये । 😃 सुरभी जिससे हम अभी तीन चार

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व

सबसे पहले तो सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें । कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व के साथ ढेर सारी यादें जुड़ी हुई हैं । छुटपन में आधे दिन का व्रत रखना और फिर पूरे दिन तरह तरह की व्रत में बनने वाले फलाहार खाना । और साथ में खाना भी खा लेना । 😁 आज के दिन इलाहाबाद में तो खूब झांकियाँ सजती थी । और हम लोग शाम को तैयार होकर देखने जाते थे । और इसी में पूरी शाम निकल जाती थी । 😊 पर हमारी ससुराल लखनऊ में तो अम्माजी और हमारी छोटी ननद ख़ुद ही घर के बरामदे में बहुत सुंदर झाँकी सजाती थी । जिसमें छोटे छोटे मिट्टी के खिलौने , रंग बिरंगी बालू , अलग अलग रंग में चावल को रंगकर उनसे बनाना , नदी बानाना , रंग बिरंगी लाइटें और छोटे छोटे पेड़ पौधे लगाना । और ये सब करनें में पूरा दिन लग जाता था पर जब शाम को झाँकी में लाइटें जलती तो उसकी छँटा देखने लायक होती थी । बेहद ख़ूबसूरत । अभी कुछ साल पहले हम लोग अपनी सोसाइटी में भी कृष्ण जन्माष्टमी मनाते थे । शाम को हम लोग इकट्ठा होकर पूजा करते थे प्रसाद चढ़ाते थे । कुछ भजन गाते थे और हमारी दोस्त हरे रामा हरे कृष्णा गाने पर मगन होकरझूम झूम कर डाँस करती थ

आस पास कोरोना ने दी दस्तक

अब कोरोना से ही नहीं कोरोना के नाम से भी सभी को डर लगता है । और हम भी इससे अछूते नहीं है । तकरीबन साढ़े चार महीने से हम लोग घर में ही रह रहें है इसी कोरोना के डर के कारण । क्योंकि बहुत बहादुरी दिखाने की तो इसमें ज़रूरत ही नहीं है । पर कल हम लोगों के आस पास कोरोना के होने की ख़बर मिली जिसे सुनकर डर भी लगा क्योंकि अभी तक हम लोगों की तरफ़ कोरोना के केस नहीं आ रहे थे । अभी दो चार दिन पहले ही हम लोगों ने थोडा टहलना शुरू किया था पर अब इस ख़बर के बाद वापिस घर में रहना पड़ेगा । ☹️ ना जाने मुआ कोरोना कब जायेगा ।

कितना खाना बनाओगे यार 😃

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कल शाम को zomato से एक बड़ा मजेदार मैसेज आया जिसे पढ़कर हम बहुत हंसे ।😃 अब यूं तो जब से फूड डिलीवरी शुरू हुई है रोज़ ही अनेकों मैसेज आते है dominos  , zomato और swiggy के , और अब गुलाटी रेस्टोरेंट का भी मैसेज आया है कि वो पूरी दिल्ली में होम डिलीवरी कर रहे है । कहने का मतलब है कि रोज़ कम से कम पंद्रह बीस ऐसे मैसेज आते है । पर हम बस देख कर डिलीट कर देते है । अब वो क्या है कि जब से corona आया है तब से बाहर से खाना मंगाना बिल्कुल ही बन्द है । वरना पहले तो हफ्ते में कम से कम दो तीन दिन बाहर से खाना आता ही था । पर अब साढ़े चार महीने से zomato को कोई भी ऑर्डर नहीं दिया गया है । और zomato बेचारा डिस्काउंट ऑफर और मैसेज भेज भेज कर लगता है परेशान हो गया था तो उसने ये मैसेज भेजा ।🤓   इसे पढ़कर लगा कि zomato भी हम लोगों के घर में खाना बनाने से परेशान है ।😁

अजुध्या या अयोध्या

कल पूरे दिन टी वी पर अयोध्या देखते रहे और फैजाबाद और अयोध्या से जुड़ी ना जानें कितनी बातें और यादें बरबस ही दिलो दिमाग में घूम गई । फैजाबाद हम लोगों का ननिहाल और अयोध्या हमारी मम्मी का ननिहाल ।  अजुध्या में गांव में मामा लोग जमींदार थे  मामा लोगों के खेत खलिहान बाग बगीचा थे , अरे नहीं अभी भी है , अब मामा के बेटे सब देखते है । बचपन में हम लोग जब भी गर्मी की छुट्टियों में फैजाबाद जाते थे तो नानी कहती थी कि अजुध्या घूम आओ ।  और जब मामा अजुध्या जाते तो हम सब   जिसमें मौसी और मामा के बच्चे होते, उनके साथ जाते थे । वहां गांव में ,खेतों में घूमना , ट्यूब वेल के पानी में खेलना ,मामा को गांव वालों से रौब से बात करते देखना ।  अब उस जमाने में यही सब मनोरंजन होता था और हम सब इसी में खूब खुश और मस्त रहते थे । साठ सत्तर के दशक  में फैजाबाद में तो फिर भी भीड़ भाड़ होती थी पर अजुध्या इतना विकसित नहीं था और ना ही इतनी भीड़ भाड़ होती थी। और गांव में तो वैसे भी शान्ति और हरियाली होती थी जिसका हम लोग भरपूर आनंद लेते थे । अजुध्या जाएं और मंदिर में दर्शन ना करें ऐसा कैसे हो सकता था । क्योंकि बिना दर्शन किए

शकुन्तला देवी ( एक बहुत अच्छी फिल्म )

ये फिल्म तो हमने पिछले हफ्ते ही देख ली थी पर त्यौहार की वजह से लिख नहीं पाए थे ।😊 यूं तो हम लोग शकुन्तला देवी को mathmatician और ज्योतिषी के तौर पर ही जानते थे । पर इस फ़िल्म से पहली बार पता चला कि वो किसी भी स्कूल या कॉलेज नहीं गई थी। क्यूं और किस वजह से उनके पिता ने उन्हें स्कूल नहीं भेजा था । और कैसे वो लंदन जाती है और किस तरह से shows शुरू करने में उन्हें दिक्कतें आती है । वैसे इस फिल्म में मां बेटी के रिश्ते को बखूबी दर्शाया गया है ।और विद्या बालन और सान्या महरोत्रा ने दोनो ने बखूबी निभाया भी है। और तो और अमित साद जो breathe में इतने untidy look में था इसमें काफी अच्छा लगा । 😃 खैर फिल्म तो हमें बहुत बहुत अच्छी लगी और विद्या बालन ने तो कमाल की एक्टिंग की है ।और जब वो एक अजीब से स्टाइल से हंसती है वो तो कमाल है है ।  यूं भी विद्या बालन एक्ट्रेस बहुत अच्छी है ही। और इस फ़िल्म में विद्या बालन कमाल की सुन्दर और स्लिम भी लगी है । अब ये कैमरा का कमाल है या कुछ और मतलब वो पतली हुई है ।🤓 अगर आपने फिल्म नहीं देखी है तो देख लीजिए क्योंकि बहुत अच्छी फिल्म है ।👌👍

आज फ़्रेडशिप डे है

सबसे पहले तो फ़्रेडशिप डे की सभी को ढेर सारी शुभकामनायें । वैसे दो दिन पहले भी वहाटसऐप ग्रुप पर फ़्रेंडशिप डे खूब मनाया गया था । बहुत सारे मैसेज भेजे गये थे । और आज फिर से फ़्रेडशिप डे के संदेश मिल रहें है । अच्छा है दोस्ती को जितना सेलिब्रेट करो उतनी ही पक्की होती है । फ़्रेंड या दोस्त कौन वो जिससे बेझिझक कोई भी बात कह सकें । फ़्रेंड की कोई एक परिभाषा नहीं है और ना ही फ़्रेंडशिप या दोस्ती को किसी टेप से नापा जा सकता है । चाहकर भी नहीं नाप सकते है । क्या ग़लत कह रहें है । ज़रूरी नहीं कि साथ पढ़ने और खेलने वाले ही दोस्त हों । हम उम्र ही सिर्फ़ दोस्त हो । ये भी ज़रूरी नहीं है । स्कूल और यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुये बहुत दोस्त बने । और जिनमें से कईयों से आज तक दोस्ती क़ायम है । जब तब बातें होती रहती है । नब्बे के दशक में जब हम काम करते थे तो उस ऑफ़िस में हमारी कुछ दोस्तें हमारी हमउमर थीं तो वहीं हमारी दो दोस्तें हमसे उम्र में जरूर बड़ी थी पर हमारी सोच एक थी और आज भी हमारी दोस्ती बख़ूबी चल रही है । हमारे किटी ग्रुप में कुछ हमसे बड़ी तो कुछ छोटी है पर जब हम सब मिलते है तो ऐस

इस बार राखी कुछ अलग सी

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अब कोरोना ना जाने का नाम ले रहा है और ना ही ख़त्म होने का । और ये त्योहार भी कोरोना की भेंट चढ़ गया । तो ज़ाहिर सी बात है कि इस साल राखी भी ऐसे ही अपने घर पर रहकर ही मनाना है । ना किसी को आना और ना किसी को जाना । भले आना जाना नहीं है तो क्या राखी तो राखी है । पर हाँ इस बार राखी कुछ अलग सी हो रही है । इस बार तो ऑनलाइन ही सब भाई-बहन मिलेंगें । घर पर ही बनी मिठाई अपने - अपने घर पर खायेंगें । अब जहाँ पिछले साल तक राखी के लिये हम बाज़ार से मिठाई वग़ैरा ख़रीद लाते थे वहीं इस साल राखी के लिये मिठाई घर पर ही बनानी है । अब वैसे भी हम लोगों के यहाँ त्योहार पर खाना बनाने का ही इतना काम हो जाता है उस पर से मिठाई बनाने का भी काम बढ गया है । 😏 अब काम बढ़े या जो भी हो मिठाई तो बनानी ही है । आख़िर रक्षाबंधन का त्योहार है । खैर हमने तो शुरूआत कर भी दी । हमने बूंदी के लड्डू बना लिये है ट्रायल के तौर पर।  लड्डू बाज़ार जैसे बराबर तो नहीं है पर ख़ुद से बनाये है । और पहले इसलिये बना लिये क्योंकि ऐन त्योहार के दिन बनाने में गड़बड़ हो जाये तो बस । वैसे पहले ट्रायल में तो बूं