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Showing posts from March, 2008

आई.आई.एम. और दोगुनी फीस

सरकार ने पहले ४ आई . आई . टी आंध्र प्रदेश , राजस्थान , बिहार , हिमाचल मे और एक आई . आई . एम . शिलोंग मे खोलने की बात कही थी । भारत के अलग -अलग शहरों मे अब और ४ नए आई.आई.टी. और ६ नए आई.आई.एम.खोले जायेंगे। ये ४ आई . आई . टी . -- उड़ीसा , मध्य प्रदेश , गुजरात , और पंजाब मे और ६ आई . आई . एम . -- जम्मू - काश्मीर , तमिल नाडू , झारखण्ड , छतीसगढ़ , उत्तराखंड और हरियाणा है। अभी लोग आई.आई.एम और आई.आई.टी. खुलने की खबर से खुश हो ही रहे थे कि कल शाम को आई.आई.एम.अहमदाबाद ने पी.जी.पी.के कोर्स की फीस भी बढ़ा दी। पहले जहाँ आई.आई.एम मे पढने वाले छात्र को दो साल की फीस साढ़े चार लाख देनी पड़ती थी वहीं अब ये फीस बढाकर ११.५ लाख कर दी गई है।पहले दोनों साल की फीस मे ज्यादा अन्तर नही था पहले साल दो लाख और दूसरे साल ढाई लाख होती थी। पर अब ११.५ लाख की फीस मे पहले साल ५ लाख और दूसरे साल साढ़े ६ लाख फीस भरनी पड़ेगी। अब आई.आई.एम.मे पढने के लिए तो आम तौर पर student लोन लेते ही है। और आई.आई.एम . से पास करने पर student को नौकरी भी खूब अच्छी यानी मोटी रकम वाली मिलती है। अब आजकल त

अंडमान मे रहते हुए जब मजबूरी का एहसास होता है.(१)

यूं तो अंडमान मे हमारा तीन साल का समय बहुत ही अच्छा बीता पर उन्ही तीन सालों मे हमारे मायके और ससुराल मे अच्छे काम भी हुए माने दीदी और ननद की लड़की की शादी हुई। और उन्ही तीन सालों मे हम लोगों के जीवन की सबसे बड़ी ट्रेजडी भी हुई । जून से नवम्बर का समय तो बस अंडमान घुमते हुए मजे मे निकल रहा था। नवम्बर मे दीदी बेटी की शादी मे दिल्ली आए और उसके बाद हम लोग करीब १० दिन दिल्ली रहकर वापिस अंडमान चले गए।अंडमान पहुँचने के एक हफ्ते बाद यानी २ दिसम्बर २००३ की शाम को दिल्ली से हमारी ननद का फ़ोन आया कि पापाजी (ससुरजी ) घर मे गिर गए है।और उनके पैर मे फ्रैक्चर हो गया है। वो लोग पापाजी की खूब देख भाल कर रहे थे।और चूँकि हमारी ननद और नन्दोई डॉक्टर है इसलिए हम लोगों को चिंता करने की कोई जरुरत नही थी। इसलिए हम लोग निश्चिंत थे । रोज हम लोग उनका हाल-चाल लेते थे और उनसे बात करते थे।पर अचानक १३ दिसम्बर को दिल्ली से फ़ोन आया कि पापाजी को हार्ट अटैक हुआ है । पापा की हालत काफ़ी ख़राब है और उन्हें हॉस्पिटल ले जा रहे है। उस समय पापाजी से बात की और ननद और नन्दोई से बात हुई ।और पतिदेव ने

ये कैसी सोसाइटी ....

मुम्बई मायानगरी की एक बड़ी ही दिल मे हलचल मचाने वाली न्यूज़ देखी । मुम्बई की एक ग्रुप हाऊसिंग सोसाईटी जहाँ सारे घरों मे हिंदू जैन परिवार रहते है उसी सोसाइटी मे एक मुस्लिम परिवार भी रहता है । पर सोसाइटी के लोगों ने इस मुस्लिम परिवार के घर का पानी और बिजली बंद कर रक्खी है । पिछले २ सालों से ये परिवार लालटेन और मोमबत्ती की रौशनी से अपने घर मे उजाला करता है । और मुनिस्पल्टी के नल से जरी कैन मे पानी भर - भर कर अपने घर लाता है । वो भी सीढियों के रास्ते क्यूंकि लिफ्ट मे तो उनको चलने की मनाही है । हफ्ते मे एक दिन वो अपने किसी दूसरे रिश्तेदार के घर जा कर परिवार के कपड़े धोते है । इस मुस्लिम परिवार का कहना है कि बिजली - पानी के लिए उन्होंने १ . २५ लाख का डिपॉजिट भी सोसाइटी को ९ महीने पहले दे दिया था पर आज तक ना तो पानी और ना ही बिजली उनके घर मे आई । इस परिवार को सोसाइटी से बाहर करने के लिए भी बाकी दूसरे परिवार लगे हुए ह

उच्चारण का फर्क

कई बार हमारे उच्चारण शब्द को बदल या तोड़ देते है और हमे पता ही नही चलता है। और उच्चारण का ये फर्क हमने यहां गोवा आकर ही जाना है। पहले तो सिर्फ़ सुनते थे की champagne को शैम्पेन कहा जाता है फ्रेंच मे । पर यहां आकर तो हम इस तरह के उच्चारण से रूबरू भी हुए ।जैसे यहां पर एम (M) ज्यादातर शब्दोंमे नाम के आख़िर मे होते है पर साथ ही M ज्यादातर शब्दों मे मूक होता है । टी (t) को त बोलते है ।यूं तो स को श और श को स तो बोलते सुना है च को स बोलते सुना है गोवा से पहले अंडमान मे जो हमारा कुक था वो च को श बोलता था मसलन शाय , शीनी वगैरा । पर यहां तो स को च और च को स बोलते है । ना को ण आदि। हो सकता है इनके शब्दों के ऐसे उच्चारण का कारण शायद पुर्तगीज के यहां बहुत समय तक रहने की वजह हो । गोवा मे इंग्लिश मे अधिकतर शब्दों के अंत मे एम (M) लगता है पर एम साइलेंट होता है। जैसे panjim,,bicholim,siolim,morjim, इत्यादी। अब आम हिन्दी भाषी होने के नाते हम लोग इनका उच्चारण पंजिम,बिचोलिम,सिओलिम,मोरजिम ही करते थे पर जब किसी लोकल goan से कहते सिओलिम तो वो कहते अच्छा सिओली

बचपन की कुछ पुरानी कविताएं

आज बस यूं ही मौसम को देख कर हमे भी एक बचपन की कुछ कविताएं याद आ गई।थोडी बेसिर पैर की है पर बचपन मे इन्हे जोर-जोर से बोलने मे बड़ा मजा आता था। वैसे ये पहली लाला जी वाली कविता तो हिन्दी की किताब मे सचित्र पढी थी। लालाजी ने केला खाया केला खाकर मुंह बिचकाया। मुंह बिचकाकर तोंद फुलाई तोंद फुलाकर छड़ी उठाई। छड़ी उठाकर कदम बढ़ाया कदम के नीचे छिलका आया । लालाजी गिरे धड़ाम से बच्चों ने बजाई ताली। चलिए एक और ऐसी ही छोटी सी मस्ती भरी कविता पढिये। मोटू सेठ सड़क पर लेट गाड़ी आई फट गया पेट गाड़ी का नम्बर ट्वेन्टी एट (२८) गाडी पहुँची इंडिया गेट इंडिया गेट पर दो सिपाही मोटू मल की करी पिटाई। लगे हाथ इसे भी पढ़ लीजिये। मोटे लाला पिलपिले धम्म कुंयें मे गिर पडे लुटिया हाथ से छूट गई रस्सी खट से टूट गई।

कहीं टीम इंडिया की लुटिया फ़िर ना डूब जाए

क्या आपको हमारी बात पर यकीन नही हो रहा है।लीजिये सारी जगह शोर मचा हुआ है। अरे अब ग्रेग के बाद गैरी जो आ गए है । बड़ी मुश्किल से तो टीम इंडिया गुरु ग्रेग के बताये हुए नुस्खों से बाहर निकल पायी और टीम इंडिया मे दुबारा भरोसा बनना शुरू हुआ पर लगता है बी.सी.सी.आई. से टीम इंडिया और भारतीय जनता की खुशी देखी नही जा रही है तभी तो एक नया कोच गैरी क्रिस्टन टीम के लिए रख लिया गया है। एक ग्रेग को रख कर देखा और नतीजा जो हुआ वो सारा भारत क्या सारी दुनिया जानती है कि किस तरह टीम इंडिया विश्व कप मे हारी थी और वो भी बांगला देश के हाथों। पर शायद अभी भी बी.सी.सी.आई को कुछ और ही मंजूर है।तभी तो फ़िर एक बार नया विदेशी कोच लाया गया है। भाई जब भारतीय मैनेजर और कोच टीम इंडिया को सही राह दिखा रहे है तो फ़िर विदेशी कोच की क्या जरुरत है। पर बी . सी . सी . आई और पवार साब को कौन समझाए । पवार साब अपने मंत्रालय की बजाय क्रिकेट मे लगे रहते है।पर क्रिकेट की तरह अगर अपने मंत्रालय पर जरा ध्यान दे तो शायद ज्यादा बेहतर होगा। (क्या पता किसानों का कुछ भला ही हो जाएक्यूंकि लोन माफ़ी मे तो बहुत सारे गड़बड़ घ

प्रकृति का सुंदर नजारा इन्द्र धनुष

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आज हम कुछ ज्यादा लिखेंगे नही बस ये चंद फोटो लगा रहे है। कल शाम ५ बजे खूब जोरदार बारिश हुई थी और उस दौरान प्रकृति का ये नजारा देखने को मिला यानी की इन्द्र धनुष ।बारिश के पहले घने बादलों ने कुछ इस तरह से पंजिम को घेरना शुरू किया था । इसमे इन्द्र धनुष बारिश के बीच मे बनता हुआ दिख रहा है। और इस फोटो मे बारिश के बाद खिली हुई धूप मे इन्द्र धनुष दिख रहा है। बड़े सालों बाद इन्द्र धनुष देखने को मिला क्यूंकि दिल्ली की ऊँची-ऊँची इमारतों इन्द्र धनुष क्या आसमान भी ठीक तरह से नही दिखता है।

गोवा की होली की एक झलक

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कहिये आप लोगों की होली कैसी रही।आशा है की आप लोगों ने भी खूब होली खेली होगी और मस्ती की होगी। भाई हमारी होली तो बढ़िया रही। और इस बार गोवा की होली का भी भरपूर मजा हमने उठाया। इस बार गोवा मे होली के अवसर पर गुलालोत्सव मनाया गया।२१ तारिख को पेपर मे ख़बर छपी थी की पंजिम के आजाद मैदान मे गुलालोत्सव मनाया जायेगा ९.३० से १२.३० । इसके लिए एक यात्रा पंजिम के महा लक्ष्मी मन्दिर से परम्परा गत तरीके से ९.३० बजे ढोल और ताशे बजाते और नाचते हुए आजाद मैदान जायेगी जहाँ पर गुलाल से होली खेली जायेगी।और १२.३० बजे कारों की रैली पूरे पंजिम शहर मे निकाली जायेगी। दिल्ली मे इस तरह का सामुहिक आयोजन आम तौर पर कालोनी मे तो होता है पर शहर मे ऐसा आयोजन पहली बार सुना था। इसलिए सोचा की इस बार गोवा की होली का पूरा मजा लिया जाए। और हाँ इस आयोजन की ख़ास बात ये थी कि कोई भी किसी को जबरदस्ती रंग नही लगायेगा ।अगर कोई रंग लगवाना चाहता है तभी रंग लगाया जायेगा।और वहां पर औरकेस्त्रा पार्टी भी थी लोगों का मनोरंजन करने के लिए। इस फोटो मे ये जो दो बच्चियां दिख रही है ये पूरी मस्ती मे ड्रम बजा रही थी। वैसे गो

टेसू के फूलों की होली

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होली इस शब्द का जितना मजा बचपन मे लिया वो तो भुलाए नही भूलता है।होली का इंतजार होली के अगले दिन से ही शुरू हो जाता था ।अरे जिसने रंग ज्यादा लगाया या जिसको रंग कम लगा पाते थे उससे अगली होली मे निपटना जो होता था। :) होली के आगमन का एहसास चिप्स की तैयारी से होता था। होली के हफ्तों पहले से मम्मी घर मे तरह-तरह की चिप्स बनाने लगती थी।अब उस ज़माने मे तो लोग घर की ही बनी स्वादिष्ट चिप्स खाते थे।होलिका दहन के दिन घर मे उपटन बनता और लगाया जाता और फ़िर होलिका मे डाला जाता इस विश्वास के साथ की सब बुराइयों का अंत हो। हमेशा होली के एक दिन पहले दोपहर मे २ बजे से गुझिया बनने का कार्यक्रम शुरू होता था जो रात तक चलता था। साथ मे मठरी ,खुरमा भी बनाया जाता था।घर मे मम्मी के साथ हम सभी भाई-बहन मिल कर गुझिया बनवात े थे और भइया कई बार गुझिया तलने का काम करते थे।(क्यूंकि पापा को नौकरों के हाथ की बनी गुझिया पसंद नही आती थी। )क्या जोश और उत्साह होता था। अगले दिन होली की सुबह मालपुआ बनता और उसके बाद खाना बनाने का काम शुरू होता जिसमे मम्मी कबाब और मीट बनाती और बाकी खाना नौकर बनाते जिसमे पूड़ी,कुम्ह्डे की सब

आत्महत्या और शिक्षा प्रणाली

मार्च का महीना यानी दसवीं और बारहवीं के बोर्ड के इम्तिहान का समय । हर साल फरवरी और मार्च के महीने मे छात्र -छात्राओं द्वारा आत्महत्या की खबरें पढने -देखने को मिलती है। बच्चों के कोमल दिमागमे पढ़ाई के साथ-साथ मे बोर्ड और फ़ेल और पास होने को लेकर इतना भय रहता है की कई बार बच्चे ऐसी परिस्थितियों से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या का सहारा ले लेते है। ऐसे कदम उठाने मे बच्चे का कोई दोष नही होता है बल्कि माँ-बाप और स्कूल वाले ही उन्हें एक तरह से ऐसा करने को उकसाते है। आज के समय मे जहाँ हर कोई ९० %और १०० %की बात करता है वहां ६०-७०और ८० % वालों की कोई पूछ नही है। पर क्या हमारी शिक्षा प्रणाली इसके लिए जिम्मेदार है।अभी दो-तीन दिन पहले संसद मे भी इस विषय पर चर्चा हुई थी और ये कहा जा रहा है कि इम्तिहान का सिस्टम ही खत्म कर देना चाहिए।पर क्या इमिहान ख़त्म कर देने से सब समस्या हल जायेगी। खैर अगर हम अपने समय की बात करें तब तो हम लोगों के पास(यू.पी.बोर्ड मे ) ओप्शन होता था आर्टस और साईंस का और अपनी पसंद के विषय पढने का।कोई भी पाँच विषय लिए जा सकते थे। उस समय ये नही होता था की सोशल साईंस मे च

क्या उल्लू के घर मे रहने से लक्ष्मी मिलती है ?

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कल पंकज जी की पोस्ट पढी थी जिसमे उन्होंने अशोक के पत्ते के बारे लिखा था।और उनकी उसी पोस्ट ने हमारे मन मे ये जिज्ञासा जगाई और आज इसलिए हम ये सवाल पूछ रहे है।असल मे हमारे इस गोवा वाले घर मे भी एक उल्लू महाराज रहते है , आम तौर पर तो ये रात मे ही बाहर निकलते है पर एक बार ये महाराज शाम को ही बाहर निकल आए थे इन्हे शायद कुछ समय का confusion हो गया था। :) पर जब तक हम कैमरा लाते ये महाशय वापस अपने घर मे चले गए थे। और फ़िर रात होने पर ही निकले थे। इस फोटो मे आप इन्हे देख सकते है । हालांकि फो टो ज्यादा अच्छी नही आई है क्यूंकि एक तो रात हो गई थी और दूसरे एक - दो फोटो खींचवाने के बाद ये उड़ जाते है । अब तो कभी - कभार हम इन उल्लू महाराज से ( बिल्कुल सलीम अली की तरह ) बात भी करते है । :) वैसे इस सवाल पर दो तरह की धारणाएं हम सुनते रहे है । १ ) आज नही हमेशा लोगों को कहते सुना है की जिस घर मे उल्लू ब

हमार बियाह तो रेडियो से हुआ है ना

ओह हो शीर्षक देख कर चौंकिए मत। यहां हम अपनी बात नही कर रहे है बल्कि अपने पापा-मम्मी के बारे मे बात कर रहे है। दरअसल मे कल हमारी पापा से फ़ोन पर बात हो रही थी और बातों ही बातों मे हमने उनसे पूछा कि आप ने किताब के लिए कुछ लिखना शुरू किया या नही । तो इस पर पापा बोले कि उन्होंने मम्मी के साथ हुए एक वाक़ये को कुछ लिखा तो है पर फ़िर आगे लिखने का मन नही हुआ । हमारे कहने पर कि आप थोड़ा - थोड़ा ही लिखिए । पर लिखिए जरुर । इसपर पापा ने हमे बताया कि उन्होंने क्या लिखा था । ये किस्सा उस समय का है जब पापा - मम्मी की नई - नई शादी हुई थी उस समय पापा यूनिवर्सिटी मे पढ़ते थे और होस्टल मे रहते थे । और चूँकि उस ज़माने मे पढ़ते हुए शादी हो जाती थी इसलिए मम्मी अपनी ससुराल मे रहती थी । ससुराल मे बाबूजी , दादा ( जेठ ) बड़ी अम्मा ( जेठानी ) रहते थे । उस ज़माने मे ससुर जी और जेठ से बहुत ज्यादा बात करने का रिवाज नही था हालांकि बाबूजी हमेशा मम्मी से बात करते थ

मर्डर इन गोवा (scarlett keeling )

गोवा जो अभी कुछ दिन पहले तक तो अपने सुंदर beaches और बेफिक्र माहौल के लिए जाना जाता था वही गोवा आजकल scarlett मर्डर केस के लिए जाना जा रहा है। मुम्बई और दिल्ली जैसे शहरों मे तो ऐसी घटनाएं होती थी पर अब गोवा भी इस तरह की घटना से अछूता नही रह गया है। पिछले डेढ़ साल मे जब से हम यहां है पहले तो यदा-कदा ही मर्डर वगैरा सुनाई देते थे पर अब धीरे-धीरे यहां भी ये सब होने लगा है। दिल्ली,मुम्बई मे तो आए दिन सुनते थे पर गोवा जैसी जगह मे इस तरह का हादसा होना गोवा के लिए अच्छा नही है क्यूंकि गोवा एक ऐसी जगह है जहाँ हर कोई अपनी मर्जी से रह सकता है अपने मन मुताबिक कपड़े पहन सकता है और जहाँ देर रात मे भी घूमना बिल्कुल सुरक्षित माना जाता है।गोवा के लिए कहा जाता है की गोवा सबसे सेफ और फ्री प्लेस है। पर आजकल के हालात देखते हुए ये कहना ग़लत नही होगा की अब गोवा भी अब ..... scarlett जो की एक १५ साल की ब्रिटिश लड़की थी जिसका मृत शरीर अंजुना beach पर १८ फरवरी को मिला था और पुलिस ने इसे डूबने से हुई मौत बताकर एक तरह से केस खत्म सा कर दिया था।क्यूंकि डूबने से मौत होना ना तो असाधारण बात थी और ना ही क

अब कार्ड वालों के लिए ए .टी.एम की सेवा मुफ्त मे होने की सम्भावना

नब्बे के दशक मे कुछ मल्टी नेशनल बैंकों जैसे सिटी बैंक , एस.सी.बी.(stan chart bank) तथा कुछ अन्य बैंकों ने भारत मे जब ए .टी. एम की शुरुआत की थी तब लगता था कि क्या अपने हिन्दुस्तान मे ये क्रेडिट कार्ड और ए . टी . एम सेवा चल पाएगी क्यूंकि ना तो क्रेडिट कार्ड के बारे मे लोग जानते थे और ना ही ए . टी . एम जैसी मशीन के बारे मे भी लोगों ने सुना था । क्रेडिट कार्ड और एम . टी . एम का सबसे बड़ा फायदा था कि बिना बैंक जाए किसी भी समय वक्त - जरुरत पड़ने पर पैसा निकाला जा सकता था । उन दिनों तो ये बैंक एक तरह से लोगों को पकड़ - पकड़ कर अपना ग्राहक बना रहे थे । वैसे आज भी ये सिलसिला जारी है । :) उस समय तक तो हर कोई बैंक से ही पैसा निकालने और जमा करने का आदी था।लोग बैंक मे सुबह दस बजे से ही पैसा निकालने के लिए लाइन मे लगते और कभी १०-१५ मिनट मे तो कभी आधा घंटा लगता पैसा निकालने और जमा करने मे। उस पर से अगर बैंक वाले चाय पीने चले जाते तो कभी पान खाने तो थोड़ा और इंतजार करना पड़ता था। इंग्लिश फिल्मों मे तो बहुत ब

महिला दिवस के अवसर पर ये विज्ञापन कुछ कहता है. ...

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यहां गोवा मे लोग अखबार को माध्यम के तौर पर चुनते है । हर आम अखबार की तरह यहां के अखबार मे भी ना केवल बड़ी खबरें बल्कि छोटी खबरें भी छपती है । पर एक विशेष बात है की यहां के अखबार मे देश - विदेश की ख़बरों के साथ - साथ यहां बच्चों के जन्म की खबरें भी छपती है । जब भी किसी दंपत्ति को संतान होती है वो चाहे लड़का हो या लड़की उसकी ख़बर अखबार मे जरुर छपती है। जहाँ हर रोज हर अखबार मे भ्रूण हत्या और पैदा होते ही लड़की को मारने की ख़बर छपती है वहीं यहां के अखबार मे बेटी पैदा होने की ख़बर छपती है। जो हमारे ख़्याल से बहुत ही अच्छी बात है।काश दूसरे लोग भी इनसे कुछ सबक सीखें । एक और बहुत अच्छा चलन है डॉक्टर को धन्यवाद देने का , जैसा की आप इन सभी विज्ञापनों मे देख सकते है । आज महिला दिवस है और इस अवसर पर हम गोवा के अखबार मे छपे कुछ विज्ञापनों को लगा रहे है। ( माता - पिता और अन्य रिश्तेदारों के नाम हमने हटा दिए है । ) आप बस देखिये और अपनी राय दीजिये। जब आप इन मे से किसी पर भी क्लिक करें

इश्क-विश्क प्यार-.....

कल तीन महीने के दौरे के बाद टीम इंडिया कल भारत लौटी तो उसका जोरदार स्वागत हुआ और ढेर सारे इनाम भी दिए गए। अभी ये जश्न थमा भी नही था कि सारे न्यूज़ चैनल सभी नए और अविवाहित खिलाड़ियों की शादी और इश्क के चक्कर मे पड़ गए।कहीं धोनी को दिखाते की उनके लिए किस तरह लड़कियां शादी का प्रस्ताव रख रही है तो कहीं युवराज को दिखाते की उनकी शादी होते-होते रह जाती है। तो कहीं प्रवीण कुमार को दिखाते की उनके लिए कितने रिश्ते आ रहे है। तो कहीं इरफान पठन को दिखाते और उनके प्यार की कहानी बताते । अरे भइया अभी-अभी तो धोनी और युवराज का दीपिका के साथ नाम जुड़ने का अंजाम देख चुके है कि युवराज को उससे उबरने मे कितना समय लगा वो तो जैसे खेलना ही भूल गए थे। अब इरफान पठन कल दिल्ली मे हुए जश्न मे शामिल नही थे तो उसका कारण भी इश्क बताया जा रहा है कि कल इरफान मुम्बई से सीधे अपनी गर्ल फ्रेंड से मिलने चले गए थे।अरे जरा कुछ दिन सब्र तो कर लो। अच्छे भले और सुधरे हुए खिलाड़ियों को क्यों बिगाड़ने मे लगे है ये सभी चैनल वाले। यूं तो प्यार करना कोई ग़लत बात नही है पर ये चैनल वाले जिस तरह से प्यार की रेड़ पीटते है कि बस

महा शिवरात्री का पर्व और ये गीत

आज तो सारे देश मे शिवरात्री का पर्व मनाया जा रहा है। इलाहबाद मे आज से माघ मेला ख़त्म हो जाता है। आज माघ का आखिरी स्नान होता है। आज शिवरात्री के मौके पर सभी लोगों को जो व्रत - उपवास कर रहे है और जो व्रत नही कर रहे है उन सभी को शिवरात्री का खूब अच्छा फल मिले । तो चलिए ये गाना देखिये । वैसे बताने की जरुरत तो नही है कि ये गीत फ़िल्म मुनीमजी का है और इसे हेमंत कुमार ने गाया है ।

बड़ा नही मैं तो छोटा हूँ

हम माँ-बाप अपने बच्चों को बहुत जल्दी बड़ा बना देते है। और ऐसा अक्सर तब होता है जब दूसरा बच्चा जन्म लेता है। तब जाने-अनजाने हम अपने पहले बच्चे को बड़ा बच्चा बना देते है।और इस बात का एहसास हमे हमारे बेटे ने कराया था कि वो बड़ा नही छोटा है। और इसीलिए छोटा बच्चा आने के पहले से ही हमने भी अपने बड़े बच्चे को उसके बड़े होने का एहसास तरह-तरह से कराने की कोशिश की . और जैसा कि दूसरे लोग करते थे हमने भी वही किया क्यूंकि हम समझते थे कि ऐसा करने से दोनों बच्चों मे प्यार रहेगा और बड़ा बच्चा छोटे बच्चे को अपना प्रतिद्वंदी नही मानेगा । जब तब बेटे को कहते कि तुम बड़े हो रहे हो और अब तुम्हे भइया कहने वाला आ रहा है। वगैरा-वगैरा और उस समय हमे लगता कि हम ऐसा करके बहुत अच्छा कर रहे है। पर वो हमारा भ्रम था जिसे हमारे बेटे ने तोडा था। बात उस समय की है जब हमारा बड़ा बेटा तीन साल का था और हमारा छोटा बेटा पैदा हुआ था । हॉस्पिटल और घर मे हर जगह हम लोग उससे यही कहते की अब तुम बड़े हो गए हो देखो ये तुम्हारा छोटा भाई है। तुम्हे इसका ख़्याल रखना होगा। और इसी तरह की ढेर सारी बातें। और हमा

मिथ्या और जोधा अकबर (फ़िल्म समीक्षा )

अरे चौकने की कोई जरुरत नही है।वो क्या हैं ना की हमने अभी हाल ही मे ये दोनों फिल्में देखी तो सोचा की क्यों ना एक साथ ही इन दोनों फिल्मों के बारे मे लिख दिया जाए। मिथ्या और जोधा अकबर इन दोनों फिल्मों मे यूं तो कोई समानता नही है पर फ़िर भी हम दोनों की समीक्षा एक साथ कर रहे है। दोनों फिल्में बिल्कुल ही अलग है हर लिहाज से। वो चाहे कहानी हो या बड़े-बड़े सेट हो या कलाकार ही क्यों ना हो। मिथ्या एक बहुत ही आम सी कहानी पर बनी फ़िल्म है तो जोधा अकबर बहुत ही लैविश फ़िल्म है। मिथ्या फ़िल्म की कहानी एक ऐसे लड़के की कहानी है जो मुम्बई हीरो बनने आता है और मुम्बई मे हुए एक मर्डर को देख लेता है और फ़िर किस तरह वो एक ऐसे डॉन के चक्कर मे पड़ता है कि उसकी सारी जिंदगी ही बदल जाती है। इस फ़िल्म मे नेहा धूपिया भी है और नेहा को इससे पहले हमने किसी फ़िल्म मे नही देखा था सो वो कुछ ख़ास नही लगी । पर पूरी फ़िल्म का श्रेय रणवीर शोरी को जाता है।रणवीर शोरी जिसने इस फ़िल्म मे वी.के.और राजे दोनों की ही भूमिका निभाई है उसने कमाल की एक्टिंग की है। इस फ़िल्म मे रणवीर शोरी को जहाँ एक बहुत ही आम इंसान यानि स्

जंग -ऐ ऑस्ट्रेलिया (पाप से घृणा करो पापी से नही)

कल ऑस्ट्रेलिया के सिडनी के मैदान मे हुए रोमांचक मैच मे भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ६ विकेट से हराकर फाईनल का पहला मैच जीत लिया। कल का मैच देखते हुए एक बार को तो लग रहा था कि कहीं फ़िर वही पुरानी कहानी भारत के खिलाड़ी ना दोहरा दे पर गनीमत कि कल भारत ने अच्छा और संभालकर खेला और मैच जीत लिया। अब अगले दो और फाइनल मे धोनी के धुरंधरों को अच्छा खेलना होगा वरना ये जीत बेकार हो जायेगी । तीन फाइनल का क्या तुक है ये समझ नही आता है। पिछले कुछ मैच की तरह इस बार गनीमत रही की सचिन द ग्रेट ने अच्छा खेला और ना केवल अच्छा खेला बल्कि शतक भी ठोंका।कम से कम सीनियर खिलाड़ी होने का फर्ज तो निभाया वरना जब तक उनको याद ना दिलाया जाए की वो सीनियर खिलाड़ी है वो खेल पर ध्यान नही दे पाते है।धोनी को चाहिए की अगले मैच के लिए अभी से सचिन को उनके सीनियर होने की याद दिला दे वरना अगली बार वो अपने पुराने अंदाज मे आ जायेंगे। (आउट होने के) इस पूरे दौरे मे भारतीय और ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी लड़ते - झगड़ते खेल रहे है । एक झगडा सुलझता है की दूसरा झगडा शुरू हो जाता है । हर बात को दोनों टीम एक इशू बनाकर

गोवा कार्निवाल के कुछ विडियो

वैसे तो गोवा मे कार्निवाल को बीते बहुत दिन हो गए है पर चूँकि उस समय हम विडियो नही लगा पाये थे(अपलोड करना था ना ) इसलिए आज लगा रहे है। असल मे पंजिम के कार्निवाल का विडियो ज्यादा अच्छा नही आया था । पर गोवा मे पंजिम के अलावा वास्को,मडगांव,मे भी कार्निवाल का जश्न मनाया जाता है। ये कार्निवाल वास्को मे हुआ था। पंजिम की तरह वास्को मे भी कार्निवाल की काफ़ी धूम रही थी। तीन विडियो है इसलिए देखने मे थोड़ा धैर्य रखना पड़ सकता है। :) इस विडियो मे किंग मोमो अपनी लोकल क्वीन और एक विलायती क्वीन के साथ दिखाई दे रहा है । वैसे ये विडियो थोड़ा डार्क आया है। इस विडियो मे तोडी बनाई जा रही है। तोडी विनेगर यहां का ख़ास तरह का सिरका होता है। इस विडियो मे लोकल डांस के साथ-साथ काजू फेनी कैसे बनाते है ये दिखाया जा रहा है।