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Showing posts from September, 2008

अब जरदारी का क्या होगा ?

कल ज्ञान जी ने अपनी पोस्ट मे जरदारी और पालिन का जिक्र किया और पी फैक्टर के बारे मे भी जिक्र किया था पर देखिए आज जरदारी के ख़िलाफ़ फतवा जारी हो गया । अब बेचारे जरदारी करें तो क्या करें । लाहौर की लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल गफ्फार ने जरदारी की इस तरह की बात को गैर इस्लामिक कहा है और साथ ही ये भी कहा है कि पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश के लिए ये शर्मनाक बात है । जिसमे जरदारी ने पालिन को gorgeous तो कहा ही साथ ये भी कह दिया कि अब उन्हें समझ आया कि सारा अमेरिका पालिन का दीवाना क्यूँ है । अब यही पर जरदारी रुक गए होते तो कुछ गड़बड़ नही होती पर जरदारी पालिन से कुछ अधिक ही प्रभावित हो गए थे इसीलिए तो उन्होंने पालिन से हाथ मिलाते हुए ये भी कह दिया कि (If he's (the aide) insisting, I might hug . ) अब देखें जरदारी के ख़िलाफ़ जारी किया गया फतवा वापिस लिया जाता है या नही ।

आज से नवरात्रि शुरू

कल पितृ पक्ष के समापन के साथ आज से नवरात्र की शुरुआत हो रही है । तो इस पहले दिन की शुरुआत क्यूँ न माँ की स्तुति से की जाए । नवरात्र के साथ कितनी बातें याद आ जाती है जैसे कहीं नौ दिन तक लोग व्रत करते है तो कहीं डांडिया रास ( गुजरात ) खेलते है तो कहीं नवरात्र मे चौकी निकालने का चलन है ( इलाहाबाद मे ) कहीं घर मे कलश मे जाऊ के बीज डाले जाते है और नौवें दिन हवन किया जाता है तो कहीं नौवें दिन कन्या पूजी जाती है और कहीं दुर्गा पूजा के ( कोलकता ) बड़े - बड़े मंडप सजते है । तो आप भी इन नौ दिन यानी नवरात्रों का आनंद उठाइए व्रत करिए डांडिया रास करिए । :) Powered by eSnips.com

वेलकम टू सज्जनपुर -- एक फ़िल्म समीक्षा

कल हमने ये फ़िल्म देखी और हमे अच्छी भी बहुत लगी तो सोचा कि आज इसी के बारे मे बात कर ली जाए । श्याम बेनेगल ने इस फ़िल्म को बनाया है । अब श्याम बेनेगल को तो आम तौर पर लोग बहुत ही संजीदा सिनेमा के लिए जानते है जैसे मंथन , अंकुर , भूमिका जैसी फिल्में उन्होंने बनाई है । पर ये वेलकम टू सज्जनपुर उन सभी फिल्मों से अलग फ़िल्म है । इस फ़िल्म को कॉमेडी फ़िल्म कहना ग़लत है बल्कि इस फ़िल्म को सटायर विथ कॉमेडी कहना ज्यादा उचित होगा । इस फ़िल्म की कहानी एक छोटे से गाँव सज्जनपुर की है । और यहाँ रहने वाले लोगों जैसे महादेव कुशवाहा जो की एक पढालिखा नवजवान है और जो लेखक बनते - बनते गाँव वालों की चिट्ठी लिखने वाला बन जाता है । तो वहीं कमला है जो अपने पति का इंतजार कर रही है । और इसी गाँव की एक मौसी है जो अपनी बेटी की शादी के लिए परेशान है ( किस तरह वो हम नही बता रहे है ) तो इसी गाँव का गुंडा अपनी बीबी को चुनाव मे खड़ा

टीम इंडिया,ग्रेग चैपल और ऑस्ट्रेलिया

आजकल ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम भारत मे टेस्ट मैच खेलने के लिए आई हुई है और सबसे अजीब बात ये है की ऑस्ट्रेलिया की टीम के असिस्टेंट कोच और कोई नही गुरु ग्रेग ही है । गुरु ग्रेग ने टीम इंडिया का जो हाल किया था उससे तो हम सभी वाकिफ है पर इस बार ऑस्ट्रेलिया की टीम के साथ गुरु ग्रेग को देख कर बड़ा ही अजीब लगा और हमारी भारतीय संस्कृति भी कितनी दिलदार है कि जिस ग्रेग ने टीम इंडिया का बेडा गर्क किया उसी का तिलक लगा कर स्वागत कर रहे है । यूँ तो आई . पी . एल . के दौरान भी गुरु ग्रेग दिखाई दिए थे । पर इस बार की बात कुछ अलग है । वैसे एक बात है जब भी ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम भारत दौरे पर आती है वहां का मीडिया कभी टीम इंडिया के खिलाडी तो कभी सेलेक्शन तो कभी सेलेक्टर्स को लेकर काफ़ी कुछ लिखना शुरू कर देता है।कुछ -कुछ divide and rule वाले formule पर आधारित । जैसे आज ही अखबार मे ख़बर छपी है कि कुंबले को धोनी को टेस्ट की कप्तानी सौंप देनी चाहिए ।क्यूंकि धोनी हर तरह के खेल की जिम्मेदारी उठाने मे सक्षम है ।अरे अभी तो टेस्ट मैच शुरू भी नही हुआ और उन लोगों ने अपनी पारी खेलन

आइये मिलिए कर्नल कपिल देव से

जी हाँ १९८३ कि विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान कपिल देव अब territorial army के लेफ्टिनेंट कर्नल बन गए है । अगर आपने ये ख़बर नही पढ़ी है तो पूरी ख़बर यहाँ पर पढ़िये।

दिल्ली से गोवा वापसी का सफर jetlite से

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करीब ढाई महीने दिल्ली रहकर पिछले शनिवार वापिस गोवा आ गए । वैसे इस बार दिल्ली से गोवा का हवाई सफर भी जरा सफ्फरी मामला रहा । :) कैसे ? अरे बताते है ना । हर बार की तरह इस बार भी हमने jetlite की फ्लाईट बुक की थी पर इस बार का jetlite का अनुभव हर बार की तरह का नही था । एयर पोर्ट पर पहुँच कर जब चेक इन करने के लिए गए तो काउन्टर पर बैठी लड़की ने हमसे पूछा कि कौन सी सीट लेना पसंद करेंगे तो हमने विण्डो सीट कहा । और जब प्लेन मे पहुंचे तो विण्डो सीट को देख कर समझ नही आया कि आख़िर उसने प्लेन मे सीट का ऑप्शन पूछा ही क्यूँ था। असल मे हुआ ये थे कि हमे A 10 सीट मिली थी जहाँ पर खिड़की थी ही नही। वैसे वहां इमरजेंसी एग्जिट भी नही लिखा था । तो सबसे पहले तो एयर होस्टेस को बुलाकर सीट बदलने के लिए कहा तो उसने कहा कि जब फ्लाईट टेक ऑफ़ करने लगेगी माने जब बोर्डिंग बंद हो जायेगी तब वो हमारी सीट change कर देगी । और जैसे ही प्लेन का दरवाजा बंद हुआ तो उसने हमें आगे की लाइन जो की पूरी खाली थी उस सीट पर शिफ्ट होने को क हा । तो इस तरह सीट का मसला तो हल हो गया । अब जब जून मे हम गोवा से दिल्ली

इलाहाबाद यात्रा की यादें (६ )प्रयाग राज एक्सप्रेस से वापिस दिल्ली का सफर

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एक हफ्ते इलाहाबाद मे रहकर २९ अगस्त को हम इलाहाबाद से वापिस दिल्ली के लिए प्रयाग राज एक्सप्रेस जो रात ९.३० बजे चल कर सुबह ६.५० पर दिल्ली पहुँचती है उस से चले पर इस बार भी रास्ते मे कुछ न कुछ तो होना ही था । :) जब हम ट्रेन मे अपने कोच A-3 मे अपनी सीट पर पहुंचे तो देखा कि हमारी आधी से ज्यादा सीट पर खूब सारा सामान रखा है बैग और सूट केस वगैरा और नीचे जहाँ सामान रखते है वहां भी जगह खाली नही थी। गनीमत है कि हमारे पास एक छोटी सी अटैची और एक बैग ही था।तो सामने वाली बर्थ पर बैठी हुई महिला से पूछा कि क्या ये आपका सामान है तो उसने इनकार कि या तभी एक और सज्जन ने लपक कर बताया कि ये उनका सामान है और चूँकि वो ५-६ लोग एक साथ है और सबकी सीट अलग-अलग है इसलिए यहाँ पर सबका सामान एक साथ रख दिया है । ये सुनकर खीज तो बहुत हुई पर फ़िर कुली से कहा कि इसे किसी तरह नीचे रख दो। जैसे ही ट्रेन चलने को हुई कि उस ग्रुप मे से एक सज्जन खाने का एक पैकेट लेकर आए और उ से भी उसी सामान पर रख कर चला गए । ट्रेन ठीक समय ९.३० पर चल दी और ट्रेन चलने के १० मिनट बाद उस ग्रुप मे से एक सज्जन आए और खाने का पैकेट ले जात

अरे ओ साम्भा हम सब बच गए :)

ओफ हो पिछले एक हफ्ते से हर चैनल और यहाँ तक की अखबारें मे भी तरह-तरह की खबरें देखने और पढने को मिल रही थी । टी.वी.चैनल वालों ने तो प्रलय अरे नही- नही महाप्रलय ही ला दी थी।कि बुधवार को दुनिया मे प्रलय आ जायेगी और दुनिया नष्ट हो जायेगी । महाप्रलय की न्यूज़ के साथ-साथ यही न्यूज़ वाले ज्योतिषियों को भी लेकर आ गए थे कि कौन सी राशि वालों को क्या करना चाहिए ।कैसे अपना बचाव करे।क्या दान करें। और किस ग्रह -नक्षत्र का किस राशि का पर क्या असर पड़ेगा वगैरा-वगैरा। पर परसों रात मे अचानक स्टार न्यूज़ ने इस संभावित महाप्रलय को महाप्रयोग कहना शुरू किया और दीपक चौरसिया वही आज तक वाले ने ( अरे आपको पता नही कि दीपक अब आज तक पर नही बल्कि स्टार न्यूज़ पर दिखते है . :) ) लोगों को समझाना शुरू किया कि इससे घबराएं नही ये एक महा प्रयोग है वगैरा-वगैरा। और ये भी कि इस प्रयोग से जुड़ी खबरें वो और उनका चैनल लोगों तक पहुंचाते रहेंगे । अब सबसे तेज चैनल से आपको रक्खे आगे वाले चैनल मे जो आ गए है। :) अरे भइया जब प्रलय आएगी तो न्यूज़ चैनल कौन देख रहा होगा। और जब प्रलय आनी होगी तो भला कौ

इलाहाबाद यात्रा की यादें (५) बाजार और सिनेमा हॉल

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अब आपको जब इलाहाबाद घुमा ही रहे है तो क्यूँ न इलाहाबाद के बाजार और सिनेमा हॉल के बारे मे भी कुछ बता दें। जिस से अगर कभी आप वहां जाए तो इसी बहाने हमें याद करेंगे. :)तो तैयार है न अपना पर्स लेकर बाजार घुमने के लिए। अब इलाहाबाद मे ३ बाजार ज्यादा मशहूर है कटरा , चौक और सिविल लाईन्स । ३०-४० साल पहले तो सिर्फ़ कटरा और चौक मे ही खूब भीड़ होती थी पर अब तो सिविल लाईन्स मे भी भीड़ बहुत होने लगी है। इस बार तो सिविल लाईन्स मे बहुत कुछ नया देखने को मिला जैसे अब सिविल लाईन्स मे भी बहुत सारे शो रूम खुल रहे है जैसे levis , reebok , koutons , t . n . g . बिग बाजार , सालासार , ऐसे ही कुछ और शो रूम ।पर कुछ चीजें सिविल लाईन्स मे बिल्कुल नही बदली है जैसे सांवल दास खन्ना की दुकान या बॉम्बे डाईंग की शॉप और न ही सिविल लाईन्स का सोफ्टी कार्नर बिल्कुल भी बदला है।और न ही वहां खड़ा होने वाला पुड़िया वाला (अरे वही मुरमुरे वाला ) :) हालांकि हमने वहां न तो सोफ्टी खाई और न ही पुडिया खाई। :( कटरा और चौक तो जैसे ४० साल पहले थे वैसे ही अब भी है बस फर्क इतना लगा की कटरा की सभी दुकाने एक म

जया बच्चन की हिन्दी और ....

कल जया बच्चन ने मुंबई मे अभिषक बच्चन की फ़िल्म द्रोणा के लॉन्च के दौरान सारी बात चीत तो इंग्लिश मे की पर एक वाक्य जो हिन्दी मे बोला उससे बवाल खड़ा हो गया है।हालाँकि अगर जया बच्चन वो एक वाक्य न बोलती तो भी कोई ख़ास फर्क नही पड़ता जिसमे जया ने कहा की क्यूंकि वो यू.पी.से है इसलिये वो हिन्दी मे बोलेगी ।और अगर हिन्दी मे बोल ही दिया था तो भी उसका इतना ज्यादा असर नही पड़ना था जितना पड़ गया है। उनके इस एक वाक्य ने शिवसेना और एम.एन.एस.को नाराज होने का मौका दे दिया । कितनी अजीब बात है की एक तरफ़ तो हम भारतीय होने का दावा करते है कि हम सब एक है और दूसरी तरफ़ भाषा और राज्य के आधार पर एक -दूसरे से अलग होते है। कहाँ गई अनेकता मे एकता वाली बात ? ये विडम्बना ही है कि अब अपने ही देश मे हिन्दी बोलने पर पाबंदी लगती नजर आ रही है।

इलाहाबाद यात्रा की यादें (४) स्वराज भवन घूमना

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post थोडी लम्बी हो गई है इसलिए थोड़ा धैर्य से पढ़े । :) आनंद भवन की थकान उतर गई हो तो चलिए आज स्वराज भवन घूमने चलते है । आनंद भवन की बिल्डिंग के साथ ही जुड़ी हुई है स्वराज भवन की बिल्डिंग । जहाँ तक हमे याद है ३० - ३५ साल पहले स्वराज भवन मे orphanage था जहाँ सौ - दो सौ बच्चे रहा करते थे पर इस बार देखा तो स्वराज भवन को भी एक संग्रहालय ( museum ) बना दिया गया है । हो सकता है हमने पहले इसपर ध्यान न दिया हो । खैर स्वराज भवन देखने के लिए जब हम २८ तारीख को गए तो देखा बहुत सारे पुलिस वाले वहां मौजूद थे पू छने पर पता चला कि स्वराज भवन मे प्रवेश बंद है क्यूंकि राहुल गाँधी उस दिन इलाहाबाद आने वाले थे तो हम वापस घर आ गए ओर अगले दिन यानी २९ तारीख को फ़िर गए तब स्वराज भवन देखा । जैसे ही गेट से अन्दर जाते है तो जो स ड़क दिखती है वो गोलाकार है और सड़क के दोनों ओर दोनों तरफ़ अशोक के पेड़ लगे है । गेट से ही बीच मे बना ए