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Showing posts from February, 2009

शगुन अपशगुन के चक्कर में पड़ गया सीरियल बालिका वधू

आज बड़े दिनों बाद किसी t.v. सीरियल के बारे मे लिख रहे है । बालिका वधू कलर्स पर आने वाले इस सीरियल मे बुध वार के दिन दिखाए गए एपिसोड को देख कर दुख भी हुआ और अफ़सोस भी हुआ । अभी तक बालिका वधू सीरियल मे जो कुछ भी दिखाया जा रहा था उसे देख कर लग रहा था कि ये सीरियल समाज की एक ऐसी परम्परा की ओर सबका ध्यान खींच रहा है जिसे आजादी के इतने सालों बाद भी मिटाया नही जा सका है । आज भी गाँव और घरों मे इस तरह की शादियाँ होती रहती है । और हर एपिसोड के अंत मे लिखे जाने वाली लाइने समाज को जागरूक करने का काम करती है । इन दिनों सीरियल मे सुगना जो की घर की बेटी है उसके गौने को एक हफ्ते से दिखाया जा रहा था जिसमे जब आनंदी की बाल विधवा सहेली फूली शादी की रस्मों को चोरी-छिपे देख रही होती है और दादी सा उसे देख कर अपशगुन हो गया का शोर मचाती है ।और तूफान खड़ा कर देती है । और उस एपिसोड के ख़त्म होने पर जनता की ओपिनियन पूछी जाती है कि क्या फूली का शादी मे शामिल होना अपशगुन है । अब जवाब जनता ने क्या दिया वो तो हम नही जानते है पर बुध वार के एपिसोड मे सुगना के पति प्रताप की मौत हो

गोवा के viva carnival की कुछ तस्वीरें

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२१ फरवरी से गोवा मे ४ दिन के कार्निवाल का जश्न शुरू हुआ था जो २४ फरवरी तक चला । पंजिम ,मडगांव,वास्को और कैलंगूत मे कार्निवल खूब मौज-मस्ती के साथ मनाया जाता है । खैर हम सभी जगह तो नही जाते है क्योंकि float s करीब - करीब वही होते है और एक जगह का देखने के बाद दूसरी जगह का देखने उतना जोश भी नही रहता है । हालाँकि इस बार का कार्निवाल उतना ज्यादा पसंद नही आया । क्योंकि इस बार सभी कुछ बहुत ठंडा - ठंडा यानी कम जोशीला था । इस बार २१ फरवरी को बहुत तेज धूप और इतनी ज्यादा गरमी थी कि कार्निवाल देखने का आधा मजा तो यूँ ही खराब हो गया था । हर बार हर परेड के शुरू होने का समय चार बजे होता था पर इस साल साढ़े तीन बजे परेड के शुरू होने का समय था और इस आधे घंटे के फर्क ने सारा मजा किर किरा कर दिया था और रही सही कसर floats ने पूरी कर दी थी । पंजिम के कार्निवाल मे पंजिम के मेयर टोनी रोद्रिजेज़ (लाल शर्ट ),पर्यटन मंत्री मिकी (पीछे सफ़ेद शर्ट ),गोवा के गवर्नर एस.एस.सिद्धू ,और गोवा के मुख्य मंत्री दिगंबर काम त ने flag off कर के कार्निवल की

आप सबकी खट्टी-मीठी टिप्पणियों की बदौलत ब्लॉग ने पूरे किए दो साल

आज इस ब्लॉग्गिंग परिवार मे हमारा दूसरा जन्मदिन है ।अरे मतलब आज ही के दिन हमने ब्लॉग्गिंग शुरू की थी । :) इस दो साल के सफर मे हमें एक ऐसे परिवार का साथ मिला जिसमे दूरियां कोई मायने नही रखती है । और इस परिवार से एक अटूट रिश्ता बन गया है । इस परिवार के सदस्य सुख -दुःख मे हमेशा साथ खड़े नजर आते है । और अब तो चाहे वो खुशी की बात हो या गम की बात हो जब तक यहाँ पर जिक्र न कर ले तब तक मन मानता ही नही है । वो क्या कहते है की पेट मे बात पचती नही है । :) हमारी ब्लॉग्गिंग के पहले और दूसरे साल मे वैसा ही फर्क है जैसे पहले साल मे बच्चे के क्रौल करने और दूसरे साल मे बच्चे के चलने का होता है । ओह हो नही समझे अरे मतलब जहाँ पहले साल मे बस ८ - १० रीडर थे वहीं अब ४० - ४७ के आस - पास रीडर हो गए है जो हमें खुश करने के लिए काफ़ी है । और stat s काउंटर मे २५ हजार से ज्यादा का आंकडा भी दिख रहा है । :) और हाँ हमारी क्या आपने चलती ट्रेन वाली पोस्ट ने तो अब तक हमारे पोस्ट पर आई टिप्पणियों का भी रिकॉर्ड

इसे कहते है asli democracy

यूँ तो आईडिया के विज्ञापन बहुत अच्छे होते है और आम जिंदगी से जुड़े हुए । आईडिया फ़ोन नए-नए विज्ञापन भी नए-नए आईडिया के साथ ही बनाता है । :) वैसे आईडिया के पिछले ads जैसे स्कूल वाला और अभी हाल मे ही नेता जी वाला ad तो पसंद आया ही पर आजकल जो t.v.पर आईडिया का नया asli democracy वाला ad आ रहा है वो हमें खूब पसंद आया है । अगर आपने नही देखा है तो एक बार देखिये । और बताइये की आपको कैसा लगा । :)

चेन्नई से पांडेचेरी ३ (गणेश मन्दिर )

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पांडेचेरी में हमने ज्यादा कुछ नही घूमा था क्यूंकि पांडेचेरी शाम को पहुंचे थे और अगले दिन ११ बजे वापिस चेन्नई के लिए चल दिए थे । खैर महाबलिपुरम से चलकर जब हम लोग पांडेचेरी पहुंचे उस समय शाम हो रही थी ।पांडेचेरी मे जब प्रवेश करते है तो इस शहर की खूबसूरती देखते ही बनती है एक तरफ़ दूर-दूर तक फैला हुआ समुन्द्र और दूसरी तरफ़ खूबसूरत और बिल्कुल एक ही तरह और रंग की ज्यादातर ती न मंजिला बिल्डिंग और एक सा ही architecture दिखाई देता है । इन बिल्डिंग को देखते हुए मन प्रसन्न हो जाता है । सड़कें और शहर काफ़ी साफ़-सुथरा है । यहाँ पर आज भी लोगों को french govt. से पेंशन मिलती है । ज्यादातर मुख्य ऑफिस इसी main road पर है । सड़क के दूसरी ओर जो walking track बना है वहां बिल्कुल बीच मे महात्मा गाँधी जी की काले रंग की मूर्ति बनी हुई है । और गांधी जी के ठीक सामने सड़क के दूसरी ओर जवाहर लाल नेहरू जी की सफ़ेद रंग की प्रतिमा बनी है । नेहरू जी की मूर्ति जहाँ है वहीं पर कार पार्किंग भी है । इस track पर सुबह और दोपहर को तो फ़िर भी कम भीड़ होती है पर जैसे- जैसे शाम होने ल गती है लोगों की भीड़

क्या आपने कभी चलती ट्रेन या कार से गंगा जी मे सिक्का डाला है .... :)

अरे क्या आपने कभी भी ऐसा नही किया है ? आश्चर्य ! पर हमने तो बचपन मे ऐसा खूब किया है । हम लोग जब भी इलाहाबाद से बनारस ,लखनऊ ,कानपुर वगैरा जाते तो गंगा जी मे खासकर सिक्के जरुर फेंकते थे । क्यों फेंकते थे इसका कुछ ख़ास कारण था या नही पर गंगा जी मे सिक्के डालने का मतलब कुछ-कुछ दान करने से ही रहा होगा । कार से ज्यादा ट्रेन से सिक्का फेंकने मे मजा आता था ।चलती कार से सिक्का फेंकने पर कई बार सिक्का सड़क पर ही गिर जाता था इसलिए कभी-कभी जब गंगा जी के पुल से जा रहे होते तो पापा कार को धीमी करवा देते थे जिससे गंगा जी मे सिक्का डाला जा सके । पर इसमे उतना मजा नही आता था । पर फ़िर भी सिक्का डाले बिना नही रहते थे । :) चलती ट्रेन से सिक्के फेंकने मे बड़ा मजा आता था । उसमे हम लोग आपस मे competition भी करते थे कि किसका सिक्का बिना टकराए एक बार मे ही गंगा जी मे चला गया ।जैसे इलाहाबाद के नजदीक पहुँचने पर जब फाफामऊ आने वाला होता था तो हम मम्मी से जल्दी-जल्दी सिक्के लेकर खिड़की पर बैठ जाते (अब उस जमाने मे a.c. मे नही चलते थे :) )और जैसे ही ट्रेन पुल पर से

टैटू से ब्लड शुगर लेवल को चेक किया जा सकेगा .....

यूँ तो आजकल लोग फैशन के लिए खूब टैटू बनवाते है कभी हाथ पर तो कभी गले और पीठ और पेट पर ।पर क्या कभी सोचा है की हम टैटू से अपना ब्लड शुगर भी चेक कर सकते है । नही ना । पर शायद भविष्य मे ऐसा हो सकेगा । कल टाईम्स ऑफ़ इंडिया मे और आज सुबह यहाँ के ohearldo अखबार मे ये ख़बर पढ़ी कि अब टैटू से ब्लड शुगर लेवल को भी चेक किया जा सकेगा । ऐसा कहना है अमेरिका की Draper Laboratories Of Massachusetts का जो एक ख़ास तरह की टैटू इंक बना रही है । शरीर पर इस इंक से बने टैटू के रंग बदलने से ब्लड शुगर लेवल का पता चल सकेगा । पूरी ख़बर यहाँ पढिये । और ऐसा अगर हो गया तब तो हर कोई बिना किसी हिचकिचाहट के टैटू बनवा कर घूम फ़िर सकेगा । :)

लता जी की आवाज मे कुछ भजन

इसके पहले भी आपने लता जी के मेरी पसंद के कुछ गीत सुने थे और आज हम लता जी की आवाज मे कुछ भजन यहाँ पर लगा रहे है । लता जी की आवाज मे तो अनगिनत ऐसे गीत है जिन्हें हजारों बार सुनने पर भी मन नही भरता है । तो अब हम ज्यादा कुछ नही लिखेंगे बस आप ये भजन सुनिए । Powered by eSnips.com

अरविन्द जी की इस टिप्पणी ने बहुत hurt किया

आम तौर पर हम कभी किसी टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नही करते है भले ही कोई चाहे टिप्पणी मे प्रशंसा हो या बुराई . और न ही कभी कुछ ऐसा लिखते है जिसमे कहीं भी महिला या पुरूष के लिए कुछ अलग माप दंड होता है । हम जो भी लिखते है बस अपने मन के भाव लिखते है । आज अभी-अभी जैसे ही अपने ब्लॉग पर आई टिप्पणी देखी और उसमे अरविन्द जी की टिप्पणी पढ़कर मन बहुत दुखी हो गया । कल हमारी dev d यानी bold and beautiful पर लिखी समीक्षा पर अरविन्द जी की टिप्पणी जिसे हम नीचे वैसे ही लगा रहे है क्या यह फिल्म महिलाओं को सिर्फ़ इसलिए अच्छी लग रही है की उनकी विभीषिकाओं को यह मुखर करती है और पुरूष को नकारा साबित करती है -केवल पुरूष ही इमोशनल अत्याचारी है ? यह नारी एंगल को उभारती एक चालाक कोशिश है -पर कुछ दृश्य सचमुच सौन्दर्यबोध का कबाडा कर देते हैं पोर्नो को भीमात करते हैं ! पढ़कर ये सोचने लगे कि हमने उसमे ऐसा क्या और कहाँ लिखा जिससे उन्हें ये पुरूष विरोधी लग गई । अगर एक महिला होने के नाते हमें फ़िल्म पसंद आई तो उसमे हमारी ऐसी भावना कहाँ से उजागर हो गई । क्या फ़िल्म को सिर्फ़ एक फ़िल्म के तौर पर न

dev d यानी bold and beautiful

कल blogvani पर dev d के बारे मे अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियां पढने को मिली तो हमने सोचा कि इससे पहले हमें फ़िल्म के बारे मे और ज्यादा पता चले उससे अच्छा है कि हम भी इस फ़िल्म को फटाफट देख ले क्योंकि हमारे बेटों का कहना था कि आप रिव्यू ज्यादा मत पढिये क्यूंकि यहाँ के अखबार मे भी dev d ही छाया हुआ है । हमारे बेटों ने भी इस फ़िल्म की तारीफ की थी । और साथ ही ये भी कहा था कि कि आप कोई mind set करके मत जाइयेगा मतलब open mind से देखियेगा । :) तो बस कल शाम हम भी चले गए dev d देखने । हमें तो लगा था कि हॉल पूरा नही तो कम से कम आधा तो भरा होगा पर हॉल मे बमुश्किल २० लोग रहें होंगे (वैसे दोस्ताना जैसी फ़िल्म मे हॉल पूरा भरा होता है ) और फ़िल्म का शो inox के सबसे बड़े ऑडी १ मे लगाया था । वैसे इस फ़िल्म के कई शो चल रहे है तो हो सकता है इसीलिए रात मे भीड़ कम थी । खैर चलिए बात करते है dev d फ़िल्म की । इस फ़िल्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ढाई घंटे की फ़िल्म देखने के बाद कोई hang over यानी सिर भारी नही होता है और शुरू मे तो पिक्चर बहुत तेजी से आगे बढती है पर हाँ इंटरवल के बाद थोड़ा सा धीमी होती ह

slumdog millionaire देख ही ली और जाना कि रहमान .....

इतने दिन से प्रोग्राम बनाते -बनाते और सोचते-सोचते आख़िर कल हमने ये फ़िल्म देख ही ली । और फ़िल्म देखने के बाद लगा की चलो देख ही ली यानी कि देखनी इसलिए थी क्योंकि इतना कुछ सुन जो रक्खा था इस फ़िल्म के बारे मे । वैसे फ़िल्म बहुत ही धांसूं टाइप नही है जितना कि इसको hype किया जा रहा है । हमें कुछ बहुत ख़ास पसंद नही आई बल्कि आख़िर मे लग रहा था कि फ़िल्म थोड़ा drag on कर रही है । वैसे कई लोगों ने कहा है कि तकनीकी दृष्टि से ये फ़िल्म बहुत अच्छी है अब इतना तो पता नही पर हाँ जिस तरह से वर्तमान और भूतकाल को मिलाकर दिखाया है वो जरूर अच्छा है ।हाँ इसका ये आईडिया कि शो मे पूछे जाने वाले हर सवाल का जवाब जिंदगी की किसी घटना से जोड़कर दिखाना अच्छा लगा । क्योंकि हीरो पढ़ा-लिखा नही था पर तब भी उसे हर बात की जानकारी थी जो उसके जीवन मे हुई किसी न किसी घटना से जुड़ी हुई थी । फ़िर वो चाहे बढ़िया इंग्लिश बोलना हो या फ़िर general knowledge ही क्यों न हो । पर इसमे कुछ बातें हमें पसंद नही आई ।चलिए यहाँ एक-दो बातों का जिक्र कर देते है । अब इस फ़िल्म मे मुम्बई को जैसा दिखाया है वो तो अब सभी लोग

कभी-कभी ऐसे हालात हो जाते है कि बस (.shake hand और cheek kissing)

नोट - यहाँ ये कहना जरुरी है कि हम किसी भी धर्म या संस्कृति का अपमान करने की मंशा से नही लिख रहे है । हम हमेशा से यू.पी और दिल्ली में रहे है जहाँ किसी का भी अभिवादन हाथ जोड़ कर किया जाता है वो चाहे घर में आए हुए मेहमान हो या कहीं किसी पार्टी या फंक्शन में मिलने वाले लोग हो । पर यहाँ गोवा में शादी-ब्याह हो,जन्मदिन पार्टी हो,या कोई फंक्शन हो hand shake करने का ही चलन है ।(वैसे तो दिल्ली मे भी इसका काफ़ी चलन हो गया है । )पर गोवा आकर हमारी इस आदत मे कुछ बदलाव आ गया है माने अब हम नमस्कार भी करते है और साथ ही साथ हाथ भी मिला लेते है । स्त्री हो या पुरूष हर कोई हाथ ही मिलाता है । अब ये बदलाव अच्छा है या बुरा नही जानते है । पर कभी-कभी ऐसे हालात हो जाते है कि बस कुछ पूछिए मत । और ऐसा नही है कि ये चलन सिर्फ़ कैथोलिक्स मे है यहाँ के जो भी लोकल लोग है वो सभी यही करते है । आपको शायद यकीन न हो पर हमारी खाना बनाने वाली जो catholic नही है वो भी जब किसी मौके पर जैसे जन्मदिन या नया साल होता है तो shake hand करके ही बधाई देती है । वैसे इस पोस्ट को लिखने का

बोल री कठपुतली , रात और दिन

ओह हो कन्फुज मत होइए ये दोनों एक नही अलग-अलग गीत है जिन्हें लता मंगेशकर ने गाया है । लता मंगेशकर के अपने पसंदीदा गीतों की श्रंखला को आज थोड़ा और आगे बढाया है । इसमे जो आखिरी गीत मन डोले है ,उसे बरसात के दिनों मे या रात मे बजाने को मना किया जाता था क्योंकि ऐसा कहा जाता था कि इसमे बजने वाली बीन को सुनकर कहीं कोई नागिन या नाग न आ जाए । हालाँकि ऐसा कभी हुआ नही था । :) Powered by eSnips.com

उफ़ ये कानून के रक्षक है या भक्षक

कल शाम टी.वी . पर एक न्यूज़ देख कर मन तड़प गया और सोचने पर मजबूर हो गए की ये कानून के रक्षक है या भक्षक । उत्तर प्रदेश के इटावा के एक पुलिस स्टेशन की ख़बर दिखाई जा रही थी जहाँ ७ साल की एक छोटी सी लड़की को २ पुलिस वाले (जो उमर मे काफ़ी बड़े लग रहे थे ) उसके सर के बाल को खींच-कर उससे सच उगलवाने की कोशिश कर रहे थे की उसने चोरी की है ।इन दो पुलिस वालों मे से एक ने तो बच्ची के बाल जोर-जोर से खींच कर छोड़ दिया था परन्तु दूसरे पुलिस वाले ने अपनी वरदी का पूरा जोर उस बच्ची पर ही निकलना ठीक समझा और इसके लिए उसने बच्ची के बालों को दोनों हाथों से पकड़ कर बच्ची को ऊपर उठा कर उससे सच उगलवा रहे थे । और वो बच्ची जोर-जोर से चीख रही थी पर उसकी चीखें उन लोगों के कान तक नही पहुँच रही थी क्यूंकि आख़िर उन्होंने एक चोर को जो पकड़ लिया था और सारी ताकत उस पर ही निकालनी थी । क्या एक पल के लिए भी उन्हें ये एहसास नही हुआ की वो एक छोटी सी बच्ची है । काबिले तारीफ़ है इन पुलिस वालों की सच उगलवाने की तरकीब । हो सकता है की इस बच्ची ने चोरी की हो पर उसकी ऐसी निर्मम सजा । उस न्यूज

नेताओं की भी रिटायरमेंट एज होनी चाहिए .....

पिछले कुछ दिनों से देश मे लोक सभा चुनावों को लेकर सभी राजनैतिक पार्टियाँ सक्रिय हो गई है क्यूंकि ऐसी उम्मीद लग रही है कि चुनाव अप्रैल-मई तक हो जायेंगे । चुनाव मे टिकट के लिए हर नेता पूरी जद्दोजहद से जुट जाते है । चुनाव के लिए अगर टिकट न मिले तो या तो किसी दूसरी राजनैतिक पार्टी मे जा मिलते है या फ़िर अपनी ही नई पार्टी बना लेते है । हर कोई वो चाहे नेता हो या फ़िर जनता हो ,कहती है कि युवा पीढी को आगे आना चाहिए पर जब चुनाव मे टिकट देने की बात आती है तो वही सारे पुराने लोगों को टिकट दिया जाता है जो पिछले बीसियों साल से चुनाव लड़ते आ रहे है । वो चाहे भैरों सिंह शेखावत हो या चाहे प्रणब मुखर्जी हो या चाहे सोमनाथ चटर्जी हो या फ़िर अडवाणी जी या मन मोहन सिंह जी ही क्यों न हो । अर्जुन सिंह हो या करूणानिधि हो या बंसी लाल या फ़िर मोती लाल वोरा या मुरली मनोहर जोशी या अशोक सिंघल ही क्यूँ न हो ।ऐसे नेताओं की लिस्ट बहुत लम्बी है । लिखने लगे तो अंत नही होगा । अभी हाल ही मे हम एक मैगजीन मे पढ़ रहे थे की भैरों सिंह शेखावत जो उप राष्ट्रपति रह चुक

चेन्नई से पांडेचेरी २ (महाबलीपुरम )

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चलिए अपनी पांडेचेरी ट्रिप को आगे बढाते है और snake and crocodile farm से आगे बढ़ते है और आज महाबलीपुरम चलते है । चेन्नई से करीब ५०-६० की.मी.की दूरी पर महाबलीपुरम स्थित है । और इसी रास्ते में karting track भी पड़ता है अगर आप karting का शौक रखते हो तो यहाँ पर भी थोडी देर रुक कर karting का मजा ले सकते है ।रास्ते मे खाने-पीने की बहुत अच्छी-अच्छी जगहें यानी होटल पड़ते है । पल्लव राजा ममल्ला के नाम पर इसका नाम ममाल्लापुरम पड़ा था जिसे आज हम सभी महाबलीपुरम के नाम से जानते है । इसके ज्यादातर मन्दिर का निर्माण सातवीं और नवीं शताब्दी के बीच में हुआ था । महाबलीपुरम में अधिकतर मन्दिर रॉक-कट और मोनोलेथिक type के है । पत्थरों को काटकर बनाई गई इन मूर्तियाँ मे न केवल पल्लव शासन की कला देखने को मिलती है बल्कि यहाँ पर द्रविण कालीन और बौद्ध धर्म कालीन कला भी देखने को मिलती है । हर मंदिर मे रेत मे छोटे-बड़े आकार के पत्थर देखे जा सकते है । पांडेचेरी जाते समय एक कट से थोडी दूर अन्दर (५-७ की.मी ) महाबलीपुरम के रास्ते जाने पर आपको सड़क के किनारे मूर्ति बनाते लोग भी नजर आयेंगे