चेन्नई से पांडेचेरी २ (महाबलीपुरम )
चलिए अपनी पांडेचेरी ट्रिप को आगे बढाते है और snake and crocodile farm से आगे बढ़ते है और आज महाबलीपुरम चलते है । चेन्नई से करीब ५०-६० की.मी.की दूरी पर महाबलीपुरम स्थित है । और इसी रास्ते में karting track भी पड़ता है अगर आप karting का शौक रखते हो तो यहाँ पर भी थोडी देर रुक कर karting का मजा ले सकते है ।रास्ते मे खाने-पीने की बहुत अच्छी-अच्छी जगहें यानी होटल पड़ते है ।
पल्लव राजा ममल्ला के नाम पर इसका नाम ममाल्लापुरम पड़ा था जिसे आज हम सभी महाबलीपुरम के नाम से जानते है । इसके ज्यादातर मन्दिर का निर्माण सातवीं और नवीं शताब्दी के बीच में हुआ था । महाबलीपुरम में अधिकतर मन्दिर रॉक-कट और मोनोलेथिक type के है । पत्थरों को काटकर बनाई गई इन मूर्तियाँ मे न केवल पल्लव शासन की कला देखने को मिलती है बल्कि यहाँ पर द्रविण कालीन और बौद्ध धर्म कालीन कला भी देखने को मिलती है । हर मंदिर मे रेत मे छोटे-बड़े आकार के पत्थर देखे जा सकते है ।
पांडेचेरी जाते समय एक कट से थोडी दूर अन्दर (५-७ की.मी ) महाबलीपुरम के रास्ते जाने पर आपको सड़क के किनारे मूर्ति बनाते लोग भी नजर आयेंगे ।और लाइन से कुछ दुकानें भी नजर आती है जहाँ गणेश जी की मूर्ति दिखती है तो वहां भगवान बुद्ध की मूर्ति भी दिखती है और साथ ही टब भी दिखते है । यहाँ पर अलग-अलग कई मन्दिर बने है ।ये सभी मन्दिर थोडी-थोडी दूरी पर बने है इनमे कुछ मुख्य है जैसे पंच रथा मन्दिर ,थ्रिकदामाल्लाई मन्दिर, वराह केव मन्दिर ,शोर (shore )मन्दिर क्यूंकि ये समुन्द्र के किनारे है ।
जैसे ही महाबलीपुरम के पहले मन्दिर के सामने पहुँचते है तो आपका स्वागत यहाँ पर खड़े सामान बेचने वाले करते है जिनसे लौटने पर अगर आप चाहें तो कुछ सामान खरीद सकते है । जैसे पत्थर के बने हुए गणेश जी की अनेक रूपों मे बनी हुई छोटी-छोटी मूर्तियां और पत्थर के बने हुए १०-१२ हाथी के गिफ्ट पैक बेचते है जिसका दाम १०० रूपये बोलते है और मोलभाव करने पर २५ रूपये मे देते है ।मोलभाव की बात इसलिए कह रहें है क्योंकि हमने २५ रूपये मे खरीदा था । खैर इन बेचने वालों से जैसे ही आगे बढ़ते है तो कुछ भूरी सी लाल रंग की रेत नजर आती है और दो मन्दिर के बीच एक शेर की बड़ी से पत्थर की मूर्ति नजर आती है और जब इस शेर को देखते हुए आगे बढ़ते है तो दूसरी तरफ़ शेर के ठीक पीछे एक विशाल हाथी की मूर्ति नजर आती है । यहाँ पर चारों ओर बड़े-बड़े पत्थर के बीच मे से घूमते हुए ऊपर की तरफ़ थोड़ा बढ़ने पर नंदी बैठी दिखाई देती है ।
इसी में आगे five rathas मन्दिर पड़ता है जिन्हें ५ पांडवों यूधिष्ठिर ,भीम,अर्जुन,नकुल,सहदेव और द्रौपदी के नाम पर रक्खा गया है । इनकी खासियत ये है कि इन सभी रथों को एक साथ नही बल्कि अलग-अलग बनाया गया है और हर एक को बनाने के लिए एक बड़े पत्थर का इस्तेमाल किया गया है ।
इस मन्दिर से बाहर निकल कर जब दूसरे मन्दिर की ओर जाते है तो रास्ते मे सड़क के किनारे पत्थर पर बनी हुई कलाकृति दिखाई देती है जो की बहुत ही खूबसूरत लगती है क्यूंकि इनके आगे छोटा सा हरा भरा बगीचा दिखता है और उसके पीछे दीवार पर बहुत सुंदर कलाकृति बनी नजर आती है । जिसमे हाथी अपने परिवार के साथ चलता हुआ बनाया गया है ।(इसका नाम याद नही है )
इस मन्दिर से आगे जाने पर एक और मन्दिर पड़ता है जहाँ हरियाली के नजारे का आनंद लेते हुए आगे बढ़ा जा सकता है ।ज़ब हम लोग यहाँ पहुंचे तो इस मन्दिर मे पुजारी पूजा करके निकले ही थे ।और उन्होंने मन्दिर पर ताला लगा दिया था । इस मन्दिर के आगे थोडी सी चडाई पड़ती है जहाँ से ऊपर जाने पर लाईट हाउस दिखता है और वहीं पर बने मन्दिर के बाहर बंदिर भी दिखाई देते है । :)
इसी चडाई के रास्ते आगे जाने पर ये एक बड़ा सा गोल पत्थर दिखता है जिसे नीचे से देखने पर लगता है की कहीं ये लुढ़कना न शुरू कर दे । हालाँकि कुछ लोग धूप से बचने के लिए जैसे ये बकरी उसके नीचे बैठी है वैसे बैठते है और बाकी हमारे जैसे पर्यटक फोटो खींचते है । :)
इन सबको देखते हुए हम लोग पहुंचे मुख्य मन्दिर मे जहाँ कार से उतरने के बाद थोडी दूर पैदल चलना पड़ता है यहाँ से पैदल चलना बिल्कुल भी नही अखरता है क्यूंकि सामने खूबसूरत मन्दिर दिखाई देता है और जैसे-जैसे मन्दिर के पास पहुँचते जाते है तो मन्दिर के साथ-साथ समुन्द्र की ठंडी हवा स्वागत करती है । यहाँ पर एक बीच मे कुंड भी बना है और इस कुंड के ठीक पीछे मन्दिर बना हुआ है ।मन्दिर के पास ही एक बहुत बड़े सिंह की मूर्ति भी बनी हुई है । इसमे २ मन्दिर शिव जी और एक मन्दिर विष्णु जी का है । इस मन्दिर के अगर बिल्कुल किनारे जाए तो मन्दिर के चारों ओर तार लगे हुए है और तार के उस पार समुन्द्र है । और इन्ही तारों के पार औरतें कई तरह के शंख बेचती हुई मिलेंगी । और मोलभाव तो यहाँ भी करना पड़ता है । वैसे हमने कोई भी शंख नही खरीदा । :)
पर आप चाहें तो जरुर खरीद सकते है ।
और इस तरह सारे मन्दिर घूम कर हम लोग चल दिए पांडेचेरी की ओर ।
Comments
महाबलीपुरम एक-दो बार गए हैं मगर रिसॉर्ट में ही सारा दिन गुजर आये थे.. मगर यह पढ़ कर जाने का पूरा मन बना लिए हैं..
बहुत अच्छे से घुमा दिया आपने तो !
bahut achha laha ye yatra vritant
behatreen ji