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Showing posts from May, 2008

आख़िर माँ को मिला इन्साफ

६ सालों से चल रहे नीतीश कटारा मर्डर केस मे विशाल और विकास यादव को उम्र कैद की सजा हो गई है।फरवरी २००२ मे नीतीश का मर्डर विशाल और विकास ने किया था और वजह थी यादव बंधुयों की बहन भारती यादव का नीतीश से प्यार करना। जो इस परिवार को बिल्कुल भी पसंद नही था। इस लड़ाई को नीतीश की माँ ने बड़ी हिम्मत से लड़ा क्यूंकि जहाँ एक तरफ़ वो थी वहीं दूसरी तरफ़ यू,पी,के डी.पी.यादव थे जिनके बारे मे तो सभी जानते है। इस ६ सालों मे कितने ही गवाह मुकर गए पर अजय कटारा जो की इस केस का मुख्य गवाह था उसकी गवाही ने इस केस को इसके अंजाम तक पहुंचाने मे मदद की। २ दिन पहले इस केस की सुनवाई खत्म हुई थी और आज इन दोनों भाइयों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। आज एक माँ की जीत हुई है। और आज ये कहने मे कोई संकोच नही है कि भगवान के घर देर है अंधेर नही।

कुछ कहती है ये तस्वीर

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मजाक -मजाक मे खींची गई ये तस्वीर बहुत कुछ कह जाती है। तस्वीर vegator beach पर ली गई है और इसमे ये जो तीन बालक है ये हमारे बेटे,भतीजे और भांजे है।इस तस्वीर के लिए और कुछ कहने की जरुरत नही है।आज के समय के लिए भी ये वही संदेश देती है।

रीटा आइस क्रीम

ये ice creem शब्द सुनकर ही बहुत कुछ याद आ जाता है । अब जैसे हमे rita ice cream की याद आ गई । भाई हमने तो अपने बचपन मे ये आइस क्रीम बहुत खाई है। इलाहाबाद मे ये अब मिलती है या नही पता नही पर जब हम छोटे थे तब जहाँ शाम के ५ बजे नही कि एक आदमी छोटी सी हाथ गाड़ी जिस पर चारों और rita ice cream लिखा होता था आता rita ice cream की आवाज आती और झट से हम घर के बाहर. हम क्या मोहल्ले के जितने बच्चे सभी घर के बाहर निकल पड़ते थे. और चूँकि हम लोगों के मोहल्ले मे हर घर मे खूब सारे बच्चे थे और गर्मी की छुट्टियों मे तो हर किसी के घर मे ननिहाल या ददिहाल के लोग आए हुए होते थे अरे मतलब ज्यादा बच्चे ,तो ice-cream वाले की भी खूब बिक्री होती थी। और हर किसी को सबसे पहले ice-cream चाहिए होती और हर कोई चिल्ला रहा होता कोई चिल्लाता orange तो कोई mango तो कोई chocolate bar। किसी को vanila का cup चाहिए होता था। और ice-cream वाला हम सभी को एक-एक करके अपनी ही धीमी स्पीड से ice-cream बांटता ।हमे तो orange ice-cream हमेशा से ही कुछ ज्यादा ही प्रिय रही है। हमारी और हमारी दीदी

क्या आपने आई.पी .एल की ट्रॉफी देखी है .......

अरे हमारे पूछने का ये मतलब थोड़े ही था की आप नही कह दे. पर अब जब आपने इस ट्रॉफी को नही देखा है तो हम इसके बारे मे ही बता देते है। अब आई पी एल इतने दिन से हो रहा है और इसके बारे मे हम भी यदा-कदा लिखते ही रहते है तो सोचा की क्यों ना आज आई पी एल की ट्रॉफी कुछ बात हो जाए। पर हम सोच रहे है कि कुछ कहने से अच्छा है कि आप इस लिंक पर जाकर ख़ुद ही देख लीजिये। तो कैसी लगी आपको ये आई.पी.एल की ट्रॉफी । तो चलिए अब इस ट्रॉफी के बारे मे थोड़ा और जान लेते है। इसे orra जो की हीरे की एक बड़ी कंपनी है उसने इस ट्रॉफी को बनाया है। इसमे सोना,रूबी,और हीरों का इस्तेमाल किया गया है।पर इस ट्रॉफी की कीमत किसी को नही मालूम है क्यूंकि इसकी कीमत का खुलासा नही किया गया है। ये या तो सिर्फ़ बी.सी.सी.आई.ही जानती है या फ़िर इसे बनानी वाली कंपनी। और ट्रॉफी पर शाह रुख खान की ओर से दिए जाने वाले मैन ऑफ़ द मैच का हेलमेट भी याद आ गया । ये हेलमेट भी सोने का बना हुआ था और उस हेलमेट का वजन ७ किलो था।( था इसलिए क्यूंकि अब तो कोलकत्ता नाईट राईडर आई . पी . एल . से बाहर जो हो गए है ) अब जिन खिलाडियों

houses of goa (म्यूज़ियम)

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गोवा मे कुछ हेरिटेज हौउसेस है तो हमने सोचा क्यों ना इन की आपको सैर करवाई जाए । और इसकी शुरुआत हम आज से कर रहे है । पंजिम से बस ८-१० की.मी. की दूरी पर पोर्वरिम से आगे तोरदा (torda) मे salvador do mundoया houses of goa नाम का म्यूज़ियम बरदेज मे है।जैसे ही पोर्वरिम के चौराहे से मुड़ते है तब इस museum की ओर जाते हुए लगता है की किसी डेड एंड ३ ३ जा रहे है क्यूंकि जैसे ही मुख्य सड़क से मुड़ते है की बस पतली सी सड़क और दोनों ओर जंगल और ढलान पर गाड़ी चलती जाती है और तब ऐसे ही घने से जंगल यहां पर मे ये museum दिखता है। इसे बाहर से देखने पर ये कभी शिप तो कभी मछली के आकार का लगता है । ऊपर की बालकनी पर जरा गौर करियेगा । और इसे बनाने वाले आर्किटेक्ट का नाम Gerard da Cunha है। और इस आर्किटेक्ट का घर भी बहुत ही खूबसूरत लगता है। इस म्यूज़ियम से ही सटा हुआ बच्चों का एक स्कूल है जिसे देखना भी एक अनुभव से कम नही है। इस म्यूज़ियम मे प्रवेश के लिए २५ रूपये काटिकेट लेना पड़ता हैऔर चप्पल और जूते वहीं नीचे छोड़कर जाना पड़ता है।अगर आप चाहें तो इसके आर

और कितने पोस्ट मार्टम होंगे ?

पिछले एक हफ्ते से हर जगह सिर्फ़ और सिर्फ़ आरुषी के मर्डर की ही खबरें देखने को मिल रही है। एक बच्ची जिसका इतनी निर्ममता से मर्डर हुआ हो उसका और कितना पोस्ट मार्टम होगा । एक पोस्ट मार्टम तो अस्पताल के डॉक्टरों ने किया पर उसके बाद से रोज ही कोई ना कोई नया सुराग लेकर न्यूज़ चैनल वाले पोस्ट मार्टम शुरू कर देते है। कभी उस छोटी सी बच्ची का नाम उसके नौकर के साथ तो कभी उसके किसी दोस्त के साथ जोड़ कर तो कभी उसके मोबाइल मे मिली काल्स का पोस्ट मार्टम शुरू कर देते है । पुलिस की बात माने तो आरुषी का मर्डर उसके पिता ने किया क्यूंकि आरुषी को अपने पिता और उनकी दोस्त अनिता दुर्रानी की दोस्ती पसंद नही थी। पर क्या सिर्फ़ इतनी सी बात के लिए कोई पिता अपनी बेटी का इतनी निर्ममता से खून कर सकता है।क्या उस पिता के हाथ ऐसा करते हुए नही काँपे होंगे. जैसा कि पुलिस ने कहा कि आरुषी को मारने से पहले उसके पिता ने शराब पी थी , तो क्या पिता नशे मे इतना अँधा हो गया कि उसने अपनी ही इकलौती बेटी को मार दिया। कल पुलिस ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस मे कहा कि आरुषी और उसके नौकर हेमराज को उसके पिता ने कोम्प्रोमाईसिंग पोजीश

जब अंडमान मे रहते हुए मजबूरी का एहसास होता है (२)जब अस्पताल बना घर

सुनामी के एक महीने बाद हम लोग पोर्ट ब्लेयर के गेस्ट हाउस मे शिफ्ट कर गए थे । और जिंदगी ढर्रे पर आ रही थी की १५ फरवरी को जब हमने इलाहाबाद फ़ोन किया तो पता चला सोमनाथ (नौकर)ने फ़ोन पर बताया की सब लोग lucknow गए है माताजी की तबियत ख़राब हो गई है। तो हमे लगा की शायद मामाजी की तबियत ज्यादा ख़राब हो गयी है क्यूंकि २-३- दिन पहले जब मम्मी से बात हुई थी तब वो luckmow मामा को देखने अस्पताल गई थी। और १४ को इलाहाबाद वापिस आई थी।ये सोचकर जब मम्मी को उनके मोबाइल पर कॉल किया तो कोई जवाब नही मिलने पर भइया को फ़ोन किया तो भइया ने कहा की वो lucknow पहुंचकर हमे फ़ोन करेंगे।तो हमने अपनी lucknow और कानपुर वाली दीदी को फ़ोन किया पर उन्हें भी कुछ भी पापा या भइया ने नही बताया था। बस उन्हें अस्पताल पहुँचने के लिए कह दिया था। उस दिन रात मे भइया ने फ़ोन किया और बताया की मम्मी lucknow के पी . जी . आई . अस्पताल के आई. सी. यू.मे भरती है । ये सुनकर तो बस आंखों से आंसू गिरने लगे।और हमने कहा की हम कल ही lucknow पहुँचते है तो पापा ने कहा की तुम परेशान मत हो ,इतनी दूर से तुम कहाँ भागी-भागी आओगी अभ

रबर की सड़क

क्या आप रबर की सड़क के बारे मे जानते है। नही तो चलिए हम बता देते है। आजकल की बढ़िया सड़क के बारे मे तो हम लोग जान गए है बकौल लालू यादव हेमा मालिनी के गाल की तरह चिकनी , पर जब हम छोटे थे तब रबर की सड़क होती थी ।क्यों ये सुनकर आश्चर्य हुआ ना ।हमारे दादा खूब किस्से सुनाते थे। तब तो उनकी बातें सुनकर हम सब बच्चे आश्चर्य मे पड़ जाते थे ।ये रबर की सड़क का किस्सा उनमे से ही एक है। अब ६५-७० के दशक मे तो इलाहाबाद की सड़कें तो फ़िर भी ठीक होती थी पर बनारस की सड़क कुछ अजीब सी तरह की होती थी कुछ उबड़-खाबड़ सी और खुरदरी सी और दिखने मे सफ़ेद। और गोदौलिया के चौराहे के पास तो गड्ढे भी होते थे ।सड़क ऐसी की अगर रिक्शे पर जाए तो पूरे शरीर का अंजर-पंजर ढीला हो जाए। इलाहाबाद और बनारस का क्या तब हर हाई वे बस लाजवाब ही होता था। इतनी पतली सड़क की दो गाड़ी आराम से निकल जाए तो गनीमत और उस पर सड़क के दोनों और मिटटी । बारिश मे तो और भी बुरा हाल हो जाता था इन सड़कों का।और बारिश मे जब भी सफर पर जाते तो लगता था की कहीं गाड़ी मिटटी के दलदल मे ना फंस जाए। (इलाहाबाद,बनारस,लखनाऊ ,कानपुर तो

आई.पी.एल की कुछ बातें

आई.पी.एल शुरू हुए एक महीना हो गया है और अब धीरे-धीरे आई.पी.एल की कमियां दिखनी शुरू हो रही है।एक महीने बाद अब बी.सी.सी.आई. सभी टीम के मालिकों को आई.सी.सी.के नियम -कानून के तहत चलने की राय दे रही है। तो क्या पहले बी.सी.सी.आई सो रही थी।अब किसी भी टीम का मालिक या खरीददार अपने खिलाड़ी या टीम से ड्रेसिंग रूम या मैदान मे नही मिल सकता है। लो भाई पहले तो टीम के जीतने पर प्रीटी जिंटा हो या शाह रुख खान हो फटाक से मैदान मे अपनी टीम के पास पहुँच जाते थे। पर तब तो किसी ने कोई रोक-टोक नही लगाई। पर अब बी.सी.सी.आई जाग गई है। जब १८ अप्रैल को आई. पी.एल. का पहला मैच शुरू हुआ था तब से अब तक शाह रुख खान अपनी टीम नाईट राईडर के मैच के दौरान मैदान मे नाचते और ताली बजाते हुए देखे जाते रहे है और अब अचानक से शाह रुख पर ये रोक लगाई जा रही है की वो अपनी टीम के साथ मैदान मे नही रह सकते है।अब अगर रोक लगानी थी तो पहले दिन से रोकना चाहिए था। तब तो ललित मोदी भी मैदान मे खड़े हुए दिखाए गए थे जो खुश होकर ताली बजा रहे थे और नाईट राईडर के कोच से हाथ भी मिला रहे थे और वहीं पर शाह रुख खड़े होकर ताली बजा रहे थे।अब शाह रुख तो

ब्लॉग और बॉलीवुड

आजकल जिस धड़ल्ले से बॉलीवुड के सितारे ब्लॉगिंग मे उतरने लगे है कि ब्लॉगिंग या ब्लॉग जगत को अब ब्लौगीवुड कहा जा रहा है।हालांकि अभी तो कुछ ही फिल्मी सितारे ब्लॉग जगत मे आए है जैसे आमिर और अमिताभ बच्चन और अब तो सुना है कि जूही चावला भी अपना ब्लॉग बनाने जा रही है। पर लगता है कि अब जल्दी हो दूसरे सितारे भी इस मे कूदने को तैयार है। अमिताभ बच्चन अपने दिल कि बात ब्लॉग पर लिख रहे है वो चाहे राज ठाकरे से संबंधित हो या शाह रुख से। और अब तो अमिताभ ने शाह रुख और उनके बीच की ग़लत फहमी को दूर करने की पहल भी कर दी है अपने ब्लॉग मे। आमिर अपने ब्लॉग पर अपने कुत्ते जिसका नाम शाह रुख है उस के बारे मे लिख रहे है कि उनका doggi क्या-क्या करता है। और वो उसे कैसे बिस्कुट खिलाते है।कोई कहता है कि आमिर अपने भांजे की फ़िल्म को प्रमोट करने के लिए अपने ब्लॉग का इस्तेमाल कर रहे है ,तो कोई कहता है कि वो अपनी फ़िल्म गजनी को प्रमोट करने के लिए ब्लॉग का इस्तेमाल कर रहे है। पर लगता है कि आमिर अपने फिल्मी दुश्मनों को नीचा दिखाने के लिए ब्लॉग का इस्तेमाल कर रहे है। अब आमिर जैसे perfectionist को इतनी घटिया हर

संतान हो या ना हो जुल्म करने वालों को कोई फर्क नही पड़ता है

जिंदगी इम्तिहान लेती है वाली पोस्ट पर अमर जी ने जो टिप्पणी छोडी थी इससे दो घटनाएं याद आ गई जिसमे से एक घटना का हम आज जिक्र कर रहे है और अगली घटना का जिक्र अगली पोस्ट मे । और ये घटना हमारे एक बहुत ही करीबी जानने वाले की भांजी के साथ हुई है।अब यही कोई १० साल पहले की घटना है बेबी उसको घर मे सब लोग इसी नाम से बुलाते है ।बेबी के पिता निहायत सीधे इंसान है । घर मे माँ का ही हुक्म चलता है। माँ जो कहें वही सही और वही घर के सब मानते है। उसकी माँ पढी-लिखी और एक हद तक समझदार भी मानी जाती है पर अपनी बेटी के मामले मे वो बहुत ही ग़लत साबित हुई। पहले भी और आज भी भी यू.पी.मे परिवार बेटी की शादी करके अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना ज्यादा बेहतर समझते है।बेबी परिवार की बड़ी और अकेली बेटी।गोरी ,सुंदर । बहुत लाड-प्यार से माँ-बाप ने पाला । माँ को हमेशा ये लगता था की बेटी की जितनी जल्दी शादी हो जाए उतना ही अच्छा है । लोगों ने समझाया की अब ज़माना बदल गया है पहले उसे पढ़ - लिख लेने दो फ़िर शादी करना पर उन्होंने इस मामले मे किसी की भी

क्या आप जानते है की गौरईया चिडिया (sparrow)खत्म हो रही है.

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अभी तक तो हम लोग शेर और चीते की प्रजाति के ख़त्म होने की बात सुन रहे थे पर अब तो चिडियों के भी लुप्त होने की ख़बर आ रही है। अभी हाल मे जो नई आउटलुक मैगजीन आई है उसमे गौरईया चिडिया के बारे मे लिखा है की अब गौरईया भी धीरे - धीरे ख़त्म हो रही है । ये पढ़ कर बहुत ही अजीब सा लगा क्यूंकि गौरईया चिडिया का घर - आँगन मे फुदकना , उड़ना , चहकना क्या हम लोग भूल सकते है । पहले जहाँ सुबह हुई कि चिडिया चूं - चूं करती आँगन मे आ जाती थी . जब भी मम्मी आँगन या छत पर कुछ धुप मे सुखाने के लिए डालती तो एक नौकर बैठाया जाता की कहीं चिडिया - कौवा मुंह ना मार दे । कहने का मतलब की उस समय इतनी ज्यादा चिडिया हुआ करती थी । ये तो हम सभी जानते है कि गौरईया चिडिया को कमरे के पंखों मे घोसला बनाने मे बड़ा मजा आता था । बचपन से गौरईया को कमरे के पंखों मे घोसला बनाते देखते हुए बड़े हुए है । जहाँ गर्मी आती थी की चिडिया कमरे मे घुसने की कोशिश करने लगती थी । मम्मी हम लोगों को क

निक नेम्स ( nick names )

निक नेम यानी कि घर मे प्यार से बुलाने वाला नाम । घरों मे बच्चों को बुलाने के लिए निक नेम्स रखना कोई नई बात नही है । हर माता - पिता या दादा - दादी , नाना - नानी अपने बच्चों के घर मे बुलाने का नाम अलग और बाहर ( स्कूल ) बुलाने का नाम अलग रखते है । निक नेम कि सबसे बड़ी खासियत ये है कि बचपन मे तो ठीक है पर जब ये बच्चे बड़े हो जाते है और ख़ुद भी बच्चों के माँ - बाप बन जाते है पर तब भी इन्हे इनके निक नेम से ही बुलाया जाता है । क्यूंकि कोई और नाम बुलाने मे बड़ा ही पराया पन लगता है । पर चाहे जो हो ये निक नेम होते बड़े ही प्यारे है । क्या हमने कुछ ग़लत कहा। पप्पू, मुन्नी , गुडिया , बेबी , बबली , गुड्डू , पिंकी , चिंकी , मिक्की , मुन्ना , चिंटू , चीकू , नंदू , मुन्नू , और भी ना जाने कितने ही ऐसे निक नेम हम आम तौर पर घरों मे सुनते है । हमे यकीन है कि इनमे से कोई ना कोई निक नेम तो आपका भी होगा ही । :) पर कभी - कभी कुछ अलग से नाम भी सुनने

गोवा मे परशुराम का मन्दिर

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ऐसी मान्यता है की पहले गोवा कहीं exist ही नही करता था । चारों और सिर्फ़ पानी और बहुत दूर कहीं पर जमीन थी । sayadris ( सयाद्री ) के पहाडों मे जमादाग्नी ऋषि ( जो की एक ब्राह्मण ) अपनी पत्नी रेनुका ( जो की एक क्षत्रिय थी ) और ४ पुत्रों के साथ रहते थे । परशुराम इन्ही ऋषि के सबसे छोटे पुत्र थे । एक दिन रेनुका जब नदी मे नहा रही थी तभी उन्हें एक क्षत्रिय राजा ने देख लिया था और वो राजा वहां रुक गया था और ऋषि ये सब देख कर क्रोधित हो गए थे और इसलिए उन्होंने अपने पुत्रों से अपनी माँ का वध करने को कहा पर उनके तीनो बड़े पुत्रों ने मना कर दिया पर परशुराम ने अपनी माँ का वध कर दिया । इस पर खुश होकर ऋषि ने परशुराम से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने अपनी माँ को जीवित करने का वरदान माँगा था । एक दिन जब ऋषि ध्यान मग्न थे तभी क्षत्रियों ने ऋषि का वध कर दिया जिससे क्रोधित होकर परशुराम ने क्षत्रियों का अंत करने की ठानी और उन्होंने

माँ,अम्मा,मम्मी

माँ जिन्हें हम सब भाई बहन अलग - अलग नाम से बुलाते कोई माँ तो कोई अम्मा तो कोई मम्मी कहता । आज माँ हम सबसे बहुत दूर है पर आज भी माँ हम सबके बहुत करीब है । आज भी उनका प्यार करना उनका डांटना उनका दुलारना सब याद आता है । माँ जिन्होंने जिंदगी मे कभी हार नही मानी , यहां तक की मौत को भी तीन बार हराया पर आख़िर मे जिंदगी ने उन का साथ छोड़ दिया । और माँ ने हम सबका । आज भी माँ का वो हँसता मुस्कुराता चेहरा आंखों और दिल मे बसा है माथे पर बड़ी लाल बिंदी और मांग मे सुर्ख लाल सिन्दूर सब याद आता है , बहुत याद आता है ।

जब हमने euphoria के लाइव शो का लुत्फ़ उठाया ...

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पहली मई को यहां कला अकेडमी मे गोवा के चौथे कोंकण फ़िल्म फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह मे EUPHORIA ग्रुप भी आया था। समारोह के उदघाटन का समय तो ६ बजे था और उसके बाद ही इन लोगों का कार्यक्रम था।दीप जलाने और भाषण वगैरा होने के बाद लोगों को इस बैंड को सुनने की ललक थी।भाषण और दीप जलाने का काम आधे घंटे मे ख़त्म हो गया और फ़िर ये एनाउंस किया गया की बस आधे घंटे मे EUPHORIA का प्रोग्राम शुरू होगा। इस एनाउंस मेंट के बाद कुछ लोग तो बाहर चाय - काफ़ी पीने चले गए और कुछ लोग वहीं बैठे रहे।और फ़िर शुरू हुआ स्टेज को सेट करने का काम। कभी माइक टेस्ट करते तो कभी लाईट । थोडी देर तो हम लोग भी ये सब देखते रहे पर ७ बजे हमारा सब्र टूट गया और हम लोग बाहर jetty पर घूमने चले गए । करीब पंद्रह मिनट बाद बाहर गिटार और ड्रम की आवाज आने लगी तो हम लोग वापिस हॉल मे आए पर हॉल के अन्दर तो अभी भी टेस्टिंग चल रही थी। खैर हम लोग बैठ गए