इलाहाबाद यात्रा की यादें (२) सुबह-सुबह जलेबी खाना :)
ये क्या ! जलेबी का नाम सुनकर मुंह मे पानी तो नही आ गया ना। :)
कोई बात नही हम अपनी इस पोस्ट को आज जलेबी मय बना देते है . :)
अब इलाहाबाद क्या पूरे उत्तर प्रदेश मे सुबह-सुबह गरमा गरम जलेबी खाने का जो मजा है वो दिल्ली मे शाम को मिलने वाली जलेबी मे कहाँ है।(पर खाते तब भी है माने शाम को ) अब क्या करें पुरबिया जो है। जब भी इलाहाबाद या लखनऊ जाते है तो रोज सुबह नियम से जलेबी घर मे मंगाई जाती है और जम कर दही-जलेबी खाई जाती है।
तो इस बार एक सुबह हम चल दिए कार मे जलेबी खरीदने . सबसे पहले कटरे के चौराहे पर गए जहाँ पहले बहुत ही बढ़िया जलेबी मिलती थी पर इस बार जब उस दूकान पर गए तो हमे जलेबी कुछ ख़ास अच्छी नही लगी । तो बस गाड़ी को मुड्वाया सिविल लाइंस की ओर और हम पहुँच गए हीरा हलवाई की दूकान पर जो की सिविल लाइंस के (अग्रवाल पेट्रोल पम्प से जो सड़क कैंट की ओर जाती है )पहले पड़ती है। और वहां पहुँच कर हमे ये देख कर बहुत अच्छा लगा की आज भी सुबह-सुबह लोग उठ कर दूकान पर जाकर गरमागरम जलेबी का आनंद उठाते है।क्या बच्चे,क्या बड़े और क्या आज कल के लड़के -लड़कियां। हर तरह के लोग दुकान पर आते है , जलेबी खाते है और पैक करवा कर ले जाते है।
तो दुकान पर पहुँच कर ड्राईवर को गरम जलेबी लाने के लिए भेजा और जितनी देर मे ड्राईवर जलेबी लाता उतनी देर हमने गाड़ी मे बैठे -बैठे ही अपने कैमरा से कुछ फोटो खींचे।सबसे ऊपर की फोटो मे जो आंटी जी बैठी दिख रही है(कोने मे ) वो गरम जलेबी का इंतजार कर रही है । बाद मे उनकी हम फोटो नही खींच पाये क्यूंकि वो जलेबी खाते हुए लगातार हमारी ओर देख रही थी और हमे भी अजीब लग रहा था उनकी फोटो खींचना ।
इन फोटो मे आप दुकान पर खड़े हुए लोग ,बाइक पर बैठ कर जलेबी का आनंद उठाते हुए लड़के,और माँ और उसका छोटा सा बेटा भी जलेबी का इंतजार करते हुए दिख रहे है।(हमारी तरह ही) :)
तो कहिये कैसा लगा सुबह-सुबह जलेबी का आनंद उठाना । :)
Comments
रंजन
aadityaranjan.blogspot.com
नीरज
बढिया रहा जलेबी वर्णन :)
अनूप जी ने कहा कि इलाहाबाद में आपको कोई टोक नहीं रहा है, तो मैं पता करने चला आया। अब हीरा हलवाई की दुकान पर चलता हूँ। सुबह-सुबह शायद आपके दर्शन हो जाँय।