दुर्योधन
क्या हुआ ये नाम सुनकर चौंक गए , घबराइये मत हम यहाँ कोई महाभारत नही सुनाने जा रहे है। ये नाम यूं तो आम तौर पर सुनाई नही देता है खासकर उत्तर भारत मे पर, अंडमान मे हम कह सकते है कि ये नाम बहुत आम है, वैसे ३ दुर्योधन नाम के व्यक्तियों से हमारा सामना हुआ। पहली बार ये नाम हमने p.w.d.मे काम करने वाले plumber का सुना तो सुनकर यकीन ही नही हुआ कि कोई दुर्योधन नाम भी रख सकता है।
पर जब हमने दूसरी बार ये नाम अपने पतिदेव के ऑफिस मे काम करने वाले एक आदमी का सुना तो लगा की लो एक और दुर्योधन मिल गया । उन दिनों हम घर मे काम करने के लिए आदमी खोज रहे थे वैसे आपको शायद यकीन नही होगा कि अंडमान मे servant मिलना किसी खजाने के मिलने से कम नही है क्यूंकि वहां ज़्यादातर लोगों के पास या तो नारियल के बाग़ है सुपारी के बाग़ और काफी लोग खेती भी करते है। चुंकि वहां के लोगों खाना बहुत सादा है चावल और मछली, मतलब ना तो उन्हें काम की जरुरत है और ना वो करना चाहते है। और अगर काम करते भी है तो उन्हें पक्की नौकरी चाहिऐ होती है अगर नौकरी दिला सकते है तो आपको काम करने वाले मिल सकते है। खैर करीब २ महीने की जद्दोजहद के बाद एक आदमी मिल ही गया, अब इसे इत्तेफाक कहिये या हमारी किस्मत की उसका नाम भी दुर्योधन था। पर ये दुर्योधन खाना बहुत अच्छा बनता था बिल्कुल उसी तरह जैसे वो दुर्योधन युद्घ करता था। अब ये मत पूछिये की खाने और युद्घ का क्या संबंध? है भाई खाना बनाना भी किसी युद्घ से कम नही होता है।
पर जब हमने दूसरी बार ये नाम अपने पतिदेव के ऑफिस मे काम करने वाले एक आदमी का सुना तो लगा की लो एक और दुर्योधन मिल गया । उन दिनों हम घर मे काम करने के लिए आदमी खोज रहे थे वैसे आपको शायद यकीन नही होगा कि अंडमान मे servant मिलना किसी खजाने के मिलने से कम नही है क्यूंकि वहां ज़्यादातर लोगों के पास या तो नारियल के बाग़ है सुपारी के बाग़ और काफी लोग खेती भी करते है। चुंकि वहां के लोगों खाना बहुत सादा है चावल और मछली, मतलब ना तो उन्हें काम की जरुरत है और ना वो करना चाहते है। और अगर काम करते भी है तो उन्हें पक्की नौकरी चाहिऐ होती है अगर नौकरी दिला सकते है तो आपको काम करने वाले मिल सकते है। खैर करीब २ महीने की जद्दोजहद के बाद एक आदमी मिल ही गया, अब इसे इत्तेफाक कहिये या हमारी किस्मत की उसका नाम भी दुर्योधन था। पर ये दुर्योधन खाना बहुत अच्छा बनता था बिल्कुल उसी तरह जैसे वो दुर्योधन युद्घ करता था। अब ये मत पूछिये की खाने और युद्घ का क्या संबंध? है भाई खाना बनाना भी किसी युद्घ से कम नही होता है।
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वैसे आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तरांचल में कुछ जगह पांडवों और कर्ण के साथ साथ दुर्योधन का मंदिर भी है।